DNA on Monkey Pox in India: क्या कोरोना के बाद अब दुनिया में मंकी पॉक्स नई महामारी बनने जा रहा है. इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बड़ा अलर्ट जारी किया है, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए.
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DNA on Monkey Pox in India: कोरोना के लंबे संक्रमण काल से बेहाल दुनिया पर एक नए संक्रमण का गंभीर खतरा है और इस खतरे का नाम है मंकी पॉक्स (Monkey Pox), दुनिया के कई देशों की तरह भारत में भी धीरे धीरे मंकी पॉक्स के केस बढ़ रहे हैं. रविवार को भी देश की राजधानी दिल्ली में भी मंकी पॉक्स का नया केस मिला है. इस केस के साथ देश में मंकी पॉक्स के अबतक चार मामले सामने आ चुके हैं. कहने को ये संख्या अभी सिर्फ 4 तक सीमित है लेकिन ये आंकड़ा भी बेहद चिंताजनक है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो दिन पहले ही मंकी पॉक्स को ग्लोबल Public हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है.
मंकी पॉक्स ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित
आप इसे कोरोना की तरह की ही बीमारी है कह सकते हैं, जो संक्रमण से होती है. इसका मतलब है कि मंकी पॉक्स (Monkey Pox) की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इसे रोकने के लिए उचित रोकथाम और सावधानी भी बेहद जरूरी है. मंकी पॉक्स वायरस की गंभीरता को आप इस बात से समझ सकते हैं कि दुनिया में WHO ने अब से पहले सिर्फ 6 बार ही ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है. जिसमें 2020 का कोरोना वायरस, 2019 इबोला, 2016 का ज़ीका वायरस भी शामिल है.
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— Zee News (@ZeeNews) July 25, 2022
यानि आपको मंकी पॉक्स से सावधान रहने की ज़रूरत है, ये बीमारी या महामारी कितनी खतरनाक है, इसके लक्षण क्या हैं...क्यों WHO ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. इन सबके बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं. दिल्ली में जिस व्यक्ति में मंकी पॉक्स मिला है, उसकी उम्र 31 वर्ष है और उसे 2 हफ्ते से बुखार था और त्वचा पर घाव जैसे फफोले थे. दो दिन पहले ही उसे मंकी पॉक्स के शक में LNJP अस्पताल में भर्ती कराया गया है. युवक के संपर्क में आने वाले सभी लोगों की पहचान कर ली गई है, उन्हें भी क्वॉरंटीन कर दिया गया है और उन पर नज़र रखी जा रही है. मंकी पॉक्स भी ठीक उसी तरह से संक्रमित करने में सक्षम है, जिस प्रकार से कोरोना लोगों को संक्रमित करता है.
दिल्ली में सामने आया पहला केस
इसमें जो बात गौर करने लायक है, वो ये है कि दिल्ली में जिस व्यक्ति में मंकी पॉक्स (Monkey Pox) के लक्षण मिले हैं. उसकी विदेश की ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है, जबकि इससे पहले केरल में मंकी पॉक्स के जो तीनों केस मिले थे उन सभी की किसी न किसी स्तर पर विदेश से ट्रैवल हिस्ट्री मिली है. इससे साफ है कि ये ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन वाला मामला लगता है और इसीलिए सरकार को इस पर विशेष नज़र रखने की ज़रूरत है.
केरल में 14 जुलाई को कोल्लम में मंकी पॉक्स का पहला केस मिला था, वो व्यक्ति UAE से वापस लौटा था. दूसरा केस 18 जुलाई को कुन्नूर को मिला था, वो व्यक्ति दुबई से लौटा था जबकि तीसरा केस मलल्पपुरम में पाया गया, वो व्यक्ति UAE से लौटा था. आपको याद होगा वर्ष 2020 में जब चीन और दुनिया के कुछ हिस्सों में कोरोना तेज़ी से बढ़ रहा था, उस समय भी भारत में कोरोना कुछ इसी तरह से दाखिल हुआ था.
केरल में मिल चुके हैं 3 मामले
उस समय भी कोरोना के पहले तीनों केस केरल में मिले थे और इस बार मंकी पॉक्स के भी तीनों केस केरल से ही मिले हैं जबकि कोरोना का चौथा केस दिल्ली में मिला था और बिल्कुल उसी तरह से मंकी पॉक्स का चौथा केस भी दिल्ली में मिला है. उस समय भी विदेश की ट्रैवल हिस्ट्री पाए जाने वालों में ही कोरोना पाया गया था लेकिन उसके बाद देश में कब ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांशमिशन शुरू हो गया, किसी को समझ में नही आया. मंकी पॉक्स के साथ भी बिल्कुल वैसी ही स्थिति है. ऐसे में दुनिया जिस तरह से वायरस के संक्रमण काल से गुजर रही है, डरने की नहीं बल्कि सावधान होने की जरूरत है.
मंकी पॉक्स (Monkey Pox) का वायरस अब तक 75 से ज्यादा देशों में फैल चुका है और दुनियाभर में इससे 16 हज़ार से भी ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. सबसे ख़राब हालत स्पेन की है जहां 31 सौ से ज्यादा केस मिल चुके हैं. उसके बाद अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्राज़ील और कनाडा जैसे देश हैं. जहां मंकी पॉक्स के मामले 500 से ज्यादा हैं. खास बात ये है कि इस वर्ष शून्य से 16 हजार केस तक पहुंचने में मंकी पॉक्स को महज 80 दिन लगे.
कोरोना की तरह फैल रहा मंकी पॉक्स
वर्ष 2022 में मंकी पॉक्स का पहला केस 6 मई को मिला था और कल यानि 24 जुलाई तक मंकी पॉक्स के संक्रमण के 16 हजार 3 सौ से ज्यादा के केस मिले चुके हैं. इसमें परेशान करने वाली जो बात है, वो ये है कि पिछले महीने 47 देशों में मंकी पॉक्स के सिर्फ 3 हजार 40 केस थे. लेकिन उसके बाद सिर्फ 30 दिन में इसके मरीज 5 गुना बढ़ गए.
यानि संक्रमण का पूरा तरीका कोरोना जैसा है. इसीलिए हम आपसे कह रहे हैं डरने की नहीं, सावधान रहने की जरूरत है. और इसके लिए आपको ये जानना जरूरी है कि मंकी पॉक्स (Monkey Pox) आखिर फैलता कैसे है.
इन वजहों से फैल रही ये बीमारी
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है, यानि वो बीमारी जो जानवरों से इंसानों में फैल सकती है. इससे संक्रमित कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति में भी संक्रमण फैला सकता है. ध्यान रखने वाली ये है कि अगर कोई व्यक्ति मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना खाता है, उसका Towel इस्तेमाल करता है, उसके पसीने, कपड़े, बर्तन, बिस्तर के भी संपर्क में आता है तो उसे मंकी पॉक्स के संक्रमण का ख़तरा हो सकता है.
अब आप ये सोच रहे होंगे कि किसी व्यक्ति को मंकी पॉक्स हुआ है इसे पहचानेंगे कैसे तो इसके लक्षण बेहद सामान्य और आसानी से पहचाने जा सकते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की त्वचा पर फफोले, बुखार , सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान, गले में ख़राश, खांसी जैसे लक्षण दिखाई दें तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
इस उम्र के लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
आपके मन में ये भी सवाल होगा कि आखिर मंकी पॉक्स (Monkey Pox) से सबसे ज्यादा ख़तरा किसे हो सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक जिन लोगों का जन्म वर्ष 1980 के बाद हुआ है, उन्हें मंकी पॉक्स का ख़तरा ज्यादा है यानि 42 साल से कम उम्र के लोगों पर मंकी पॉक्स का बड़ा खतरा है. 1980 से पहले पैदा हुए लोगों में से ज्यादातर को चिकन पॉक्स या स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है. रिसर्च के मुताबिक़ आज भी स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन मंकी पॉक्स पर सबसे ज्यादा प्रभावी है. ऐसे में जिन्हें स्मॉल पॉक्स या चिकन पॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है वो मंकी पॉक्स से सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. यानि बच्चों पर मंकी पॉक्स का बड़ा खतरा है.
आप लोगों में से बहुत से लोगों ने कुछ ही दिन पहले मंकी पॉक्स का नाम सुना होगा, लेकिन मंकी पॉक्स नाम का वायरस 6 दशक पुराना है. मंकी पॉक्स का पहला मामला डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में वर्ष 1958 में सामने आया था, जब एक रिसर्च सेंटर के 2 बंदरों में स्मॉल पॉक्स से अलग वायरस पाया गया. वहीं से इस वायरस का नाम मंकी पॉक्स रखा गया. इंसानों में मंकी पॉक्स का पहला केस वर्ष 1970 में अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कॉन्गो में मिला था.
इस बीमारी पर न बरतें लापरवाही
खास बात ये है कि लंबे समय तक मंकी पॉक्स (Monkey Pox) का वायरस अफ्रीकी देशों तक ही सीमित रहा लेकिन उसके बाद वर्ष 2003 में अमेरिका में मंकी पॉक्स के 70 से ज्यादा मामले सामने आए. हालांकि उस समय टेस्टिंग और ट्रैकिंग के जरिए मंकी पॉक्स पर काबू पा लिया गया था, लेकिन उसके करीब 2 दशक बाद वर्ष 2021 के जुलाई और नवंबर महीनों में एक बार फिर अमेरिका में मंकी पॉक्स के वायरस ने लोगों को संक्रमित किया.
उसी समय से और उसके बाद अब एक बार फिर मई से मंकी पॉक्स (Monkey Pox) का संक्रमण तेजी से बढ़ा है, लेकिन इस बार ये संक्रमण वैश्विक स्तर पर पहुंच चुका है. हमारी आपको सलाह भी है और विनती भी है कि आप मंकी पॉक्स को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें. अपने आसपास आपको कहीं मंकी पॉक्स जैसे लक्षणों वाला कोई व्यक्ति दिखता है तो उसकी जानकारी जिम्मेदार लोगों तक जरूर पहुंचाए क्योंकि ये आपकी, हम सबकी सुरक्षा का मामला है
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