Delhi Ordinance Case: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सरकार आगामी मॉनसून सत्र में इस अध्यादेश को बिल के रूप में पेश कर रही है. अभी अध्यादेश जिस रूप में है, संसद द्वारा पास होने के बाद हो सकता है कि उसमें बदलाव हो.
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Center Ordinance: दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर आज (17 जुलाई) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सरकार आगामी मॉनसून सत्र में इस अध्यादेश को बिल के रूप में पेश कर रही है. अभी अध्यादेश जिस रूप में है, संसद द्वारा पास होने के बाद हो सकता है कि उसमें बदलाव हो. इसलिए बेहतर होगा कि इसे संसद की मंजूरी तक का इंतजार कर लिया जाए.
संविधान पीठ को भेजा जा सकता है मामला
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वो प्रशासनिक अधिकारियों पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए संविधान पीठ को भेज सकता है.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार ने आर्टिकल 239AA(7) के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल करके दिल्ली सरकार से प्रशासनिक अधिकारियों का नियंत्रण अपने पास ले लिया है. केंद्र ने एक तरीके से संविधान में संशोधन किया है.हमें ये देखना है कि क्या सरकार ऐसा कर सकती है, मुझे नहीं लगता कि संविधान पीठ के पहले दिए गए दो फैसलों में इस पहलू को कवर किया गया है, लिहाजा हम इस मसले को आगे विचार के लिए संविधान पीठ को भेजने पर विचार कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार विरोध करेगी
हालांकि दिल्ली सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वो मामला संविधान पीठ को रेफर किए जाने के विरोध में गुरुवार को दलील रखेंगे और कोर्ट उनकी दलीलों को सुनने के बाद ही इस बारे में फैसला ले.
बहरहाल, कोर्ट ने सुनवाई 20 जुलाई गुरुवार के लिए टाल दी. उसी दिन शुरुआती दलील सुनने के बाद कोर्ट तय कर सकता है कि ये मामला संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं.
केंद्र सरकार का जवाब
इसी बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि अध्यादेश इसलिए लाया गया क्योंकि दिल्ली सरकार विजिलेंस डिपार्टमेंट के अधिकारियों को परेशान कर रही थी. दिल्ली सरकार ने विजिलेंस डिपार्टमेंट से जुड़ी फाइलों को गैरकानूनी तरीके से अपने कब्ज़े में लेने की कोशिश की. इन फाइलों में मुख्यमंत्री के बंगले के निर्माण और आबकारी नीति की जांच से जुड़ी फाइल शामिल थी.
केंद्र सरकार का कहना है कि अध्यादेश के विरोध में दिल्ली सरकार की दलील संवैधानिक पहलुओं के बजाए राजनीतिक दलीलों पर आधारित है.