DNA: शहद या मीठा जहर? लैब टेस्ट में फेल हुआ डाबर हनी!
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DNA: शहद या मीठा जहर? लैब टेस्ट में फेल हुआ डाबर हनी!

DNA Analysis on Dabur Honey: आयुर्वेद में शहद को अमृत के समान माना गया है. शहद का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बरकरार रहती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है. यहां तक कि नियमित शहद खाने से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है.

DNA: शहद या मीठा जहर? लैब टेस्ट में फेल हुआ डाबर हनी!

DNA Analysis on Dabur Honey: आयुर्वेद में शहद को अमृत के समान माना गया है. शहद का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बरकरार रहती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है. यहां तक कि नियमित शहद खाने से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है. इसलिए आयुर्वेदिक औषधियों में भी शहद का इस्तेमाल होता है. आपमें से बहुत से लोग शहद खाते होंगे. गुनगुने पानी में लोग ये सोचकर शहद ले लेते हैं कि वो पतले हो जाएंगे. डायबिटीज के कई मरीज, चीनी के विकल्प के तौर पर शहद की चाय-कॉफी पीते हैं. यहां तक कि भारतीय परिवारों में नवजात बच्चे के अन्नप्रासन में सबसे पहले शहद की बूंद चटाई जाती है. ये सोचकर कि शहद, प्रकृति से मिलने वाली सबसे शुद्ध चीज है.

लेकिन मिलावट के इस दौर में अब अमृत समान शहद के नाम पर कैसे आपको विष बेचा जा रहा है, आज हम इसका, Lab Tested खुलासा करेंगे. देश की नामचीत कंपनियां Branded शहद को लेकर दावा करती हैं कि उनका ब्रांड देश ही नहीं दुनिया का नंबर वन Brand है. आपमें से कई लोग इस Brand के शहद का सेवन करते हैं. ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि Branded Company का शहद है तो इसमें मिलावट नहीं होगी. लेकिन क्या ये शहद असली है ? शुद्ध है ? जैसा कि कंपनियां दावा करती हैं .

इसका Reality Check करने के लिए ज़ी न्यूज़ ने कई महीनों तक रिसर्च और Ground Reporting की हैं. ज़ी न्यूज़ ने देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले शहद के कई बड़े और छोटे Brands का लैब टेस्ट भी करवाया है..जिसके नतीजे, जितने हैरान कर देने वाले हैं, उससे ज्यादा परेशान कर देने वाले हैं... बड़े बड़े ब्रैंड्स दावा करते हैं कि उनका शहद सबसे शुद्ध है. और जीरो मिलावट का दम भरते हैं. लेकिन क्या वाकई डाबर जैसे बड़े ब्रैंड्स के शहद, शुद्धता की कसौटी पर खरे उतरते हैं?

शहद में शहद है ही नहीं, चीनी है. ऐसी शिकायतें सुनने को मिलती हैं. हमें शिकायत मिलीं. लेकिन वो लैब टैस्ट नहीं करवा सकते. इसका फायदा कंपनियां उठाती हैं. हमने बाजार से देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले शहद के दो सैंपल उठाए. जिसमें से एक सैंपल, सबसे बड़े ब्रैंड डाबर का था. और फिर इन सैंपल्स को लैब टेस्टिंग के लिए भेजने की तैयारी शुरु की. हमने दोनों सैंपल्स को उनके ब्रैंड्स के डिब्बों से निकालकर दूसरे डिब्बों में स्टोर किया. ताकि जब हम लैब में ये सैंपल भेजें तो पता ना चले कि कौन सा शहद, किस ब्रैंड का है. शहद की टेस्टिंग करने वाली मान्यता प्राप्त लैब्स की संख्या देश में गिनी चुनी है. ज्यादातर प्राइवेट लैब ने हमारे सैंपल टेस्ट करने से ही इंकार कर दिया.

गुड़गांव की एक नामी लैब Fare labs ने हमारे सैंपल टेस्ट करने के लिए हामी भरी. हमसे सैंपल भी ले लिए. कंपनी के एक्सपर्ट ने सैंपल रिसीव करते समय हमसे बाकायदा कैमरे पर बात की. हमें उम्मीद थी कि जल्द ही हमें टेस्ट रिजल्ट मिल जाएंगे. लेकिन करीब एक हफ्ते बाद कंपनी की तरफ से एक ई-मेल भेजा गया. जिसमें कहा गया कि शहद की टेस्टिंग करने वाली मशीन का एक पार्ट टूट गया है जिसे उन्हें इंपोर्ट करना पड़ेगा इसलिए वो टेस्टिंग नहीं कर पाएंगे. यानी लैब, शहद का टेस्ट करने से ही मुकर गई.

लेकिन हमने हार नहीं मानी और फिर शहद के सैंपल्स को लेकर हम पहुंचे गुजरात के आणंद में स्थित National Dairy Development Board की laboratory...Centre for Analysis and Learning in Livestock and Food के सेंटर पर. जो देश की सबसे विश्वसनीय टेस्टिंग लैब है. लैब में शहद के सैंपल्स की जांच उन सभी 40 मानकों पर की जानी थी जो भारत में शहद बेचने के लिए जरूरी है . तो सैंपल, लैब में जा चुके थे. और हमें इंतजार था टेस्ट रिपोर्ट का. तो क्या शहद के बाजार में मार्केट लीडर, बिक्री में नंबर वन, डाबर हनी शुद्धता के मानकों पर खरता उतरा?

बाजार में मिलने वाले नामी ब्रैंड्स के शहद की लैब टेस्टिंग के नतीजे चौंकाने वाले आए. हमने दो Brands के शहद के तीन सैंपल टेस्ट के लिए भेजे थे. और दोनों ही सैंपल, एक खास Parameter पर Fail हो गये. दोनों ही कंपनियों के शहद में एक खास Compound की मात्रा, तय सीमा से दोगुने से भी ज्यादा मिली. इस कंपाउंड का नाम है Hydroxy-methyl-furfural यानी HMF. डाबर के जिस शहद का सैंपल हमने टेस्टिंग के लिए भेजा. उसमें HMF की मात्रा 176.57 मिलीग्राम मिली. तय मानकों के मुताबिक ये मात्रा किसी भी स्थिति में 80 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. डाबर के ही दूसरे सैंपल में भी HMF की मात्रा 97.250 मिलीग्राम मिली. जबकि एक अन्य ब्रैंड, श्री जी हनी का सैंपल भी टेस्ट में फेल हो गया. जिसमें HMF की मात्रा 135.16 मिलीग्राम थी.

यानी तीनों ही सैंपल शुद्धता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे. तो अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये HMF है क्या ? और ये सेहत के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है. तो ये भी आपको बताते हैं. HMF एक Organic Compound है जो कुछ मात्रा में मीठी चीजों में पाया जाता है. आमतौर पर शुद्ध और ताजा शहद में HMF की मात्रा प्रति किलो 15 मिलीग्राम तक होती है. शहद के अलावा HMF, ब्रेड्स और बेकरी के ज्यादातर प्रॉडक्ट्स, डेयरी प्रॉडक्टस में भी पाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक शहद में HMF की मात्रा प्रति किलो 40 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. गर्म इलाकों में बनने वाले शहद के लिए ये मात्रा प्रति किलो 80 मिलिग्राम से कम होनी चाहिए.

लेकिन बाजार में मिलने वाले बड़े Brands के शहद के जो Samples हमने टेस्ट करवाए हैं. उनमें HMF काफी ज्यादा है. टेस्ट रिपोर्ट साफ-साफ इसका खुलासा कर रही है. लेकिन जब डाबर जैसी कंपनियां एकदम शुद्ध शहद बेचने का दावा करती हैं तो फिर उनके शहद में HMF की मात्रा ज्यादा क्यों मिली ? तो इसकी कई वजह हो सकती हैं.

अमेरिका की National Centre For Bio-Technology Information के मुताबिक...शहद में HMF की मात्रा तब बढ़ जाती है, जब शहद बहुत पुराना है. शहद को Processing के दौरान ज्यादा गर्म किया गया हो. शहद में Moisture यानी नमी ज्यादा हो. शहद का Storage सही तरीके से नहीं किया गया हो. शहद में चीनी जैसे Sugar Syrup की मिलावट की गई हो. या शहद को Metal के Container में रख दिया गया हो.

इन सभी वजहों से शहद में HMF Compound ज्यादा हो सकता है. और हमारे पास जो लैब टेस्ट रिपोर्ट हैं. वो साबित करती हैं कि डाबर जैसे बड़े ब्रैंड्स के शहद में भी HMF की मात्रा, तय मानक से बहुत ज्यादा पाई गई है. इसका सीधा सा मतलब ये है कि बाजार में मिलने वाला शहद, शुद्ध तो बिलकुल भी नहीं है.

बाजार में भले ही कोई भी कंपनी कहे कि उसके ब्रैंड का शहद सबसे शुद्ध है तो यकीन मत कीजियेगा. क्योंकि शानदार Packaging और बड़े-बड़े दावों के साथ बाजार में बिकने वाला शहद में मिलावट है. और ये मिलावट जानलेवा भी साबित हो सकती है. क्योंकि शहद में HMF की ज्यादा मात्रा कैंसर का कारण भी बन सकती है. कई शोध में ये पता चला है कि इंसान, रोजाना 30 से 150 मिलीग्राम HMF ही पचा सकते हैं. लेकिन रोजाना HMF की इससे ज्यादा मात्रा का सेवन करने से कैंसर हो सकता है. खासतौर पर आंतों, लिवर और किडनी को HMF बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. HMF, Neo-Plasticity पैदा कर सकता है. यानी ये शरीर के Healthy Cells को Tumor वाले Cells में बदल सकता है. HMF की ज्यादा मात्रा, Gene Mutation कर सकती है यानी आपकी आनुवांशिक संरचना को बदल सकती है.

इतना ही नहीं, लगातार HMF का जरूरत से ज्यादा सेवन इंसान के DNA को भी नुकसान पहुंचाने की ताकत रखता है. अगर आपको हमारी बातों पर जरा सा भी शक है तो आप खुद Expert Doctors से सुन लीजिये कि बाजार में मिलने वाले शहद में तय मात्रा से ज्यादा HMF आपको कितना बीमार बना सकता है.

तो अब तो आप भी मानेंगे कि बाजार में मिलने वाला शहद, जो आप सेहतमंद बनने की इच्छा से खाते हैं. वो आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसके बावजूद हमारे देश में डाबर जैसे बड़े ब्रैंड भी शुद्ध शहद का दावा करके मिलावटी शहद बेच रहे हैं. और इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि हमारे देश में शहद की क्वालिटी चेक करने का जो Mechanism है, वो इतना कारगर नहीं है कि शहद में मिलावट को सौ फीसदी पकड़ पाए. हम ये किस आधार पर कह रहे हैं. ये भी आपको बताते हैं. दिसंबर 2020 में NGO, Centre For Science And Environment यानी CSE ने भारत में बिकने वाले ब्रैंडेड शहद को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था.

CSE ने दावा किया था कि डाबर सहित भारत में 13 प्रमुख Brands द्वारा बेचे जाने वाले शहद में चीनी सिरप की मिलावट पाई गई. CSE के शोधकर्ताओं ने शुद्धता की जांच के लिए, उन 13 Brands को चुना था जो भारत में Processed शहद बेचते हैं. इस स्टडी में पाया गया था कि 77 प्रतिशत सैंपल्स में चीनी सिरप की मिलावट थी. CSE की स्टडी में कहा गया है कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी जैसे प्रमुख ब्रांड्स के शहद के सैंपल्स, टेस्ट में फेल रहे.

दिलचस्प बात ये है कि इन Brands के Samples का टेस्ट सबसे पहले भारत की लैब्स में किया गया था. और लगभग सभी Samples, शुद्धता के परीक्षण में पास भी हो गये थे. लेकिन जब इन सैंपल्स का, CSE ने जर्मनी की Bruker Biospin लैब में Advance Test करवाया तो Branded शहर में मिलावट पकड़ में आई. भारत में शहद के Samples की testing करने वाली लैब्स की विश्वसनीयता तभी से संदेह के घेरे में है. जो शहद में मिलावट को पकड़ ही नहीं पा रही हैं. लेकिन तीन साल पहले जब CSE ने शहद में मिलावट का खुलासा किया था. तब भी डाबर ने ये मानने से इंकार कर दिया था कि उसके शहद में कोई मिलावट है. और अब तीन साल बाद ज़ी न्यूज़ ने डाबर के शहद में मिलावट का खुलासा किया है तो अब देखते हैं कि इस बार डाबर क्या जवाब देती है.

लेकिन इससे एक बात तो साबित होती है कि बाजार में मिलने वाले शहद को लेकर चाहे कोई कंपनी जितने मर्जी दावे करे. उनके शुद्ध होने की ना तो कोई Guarantee है और ना कोई Warranty.

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