OPINION: मिस्टर मणिशंकर अय्यर! पाकिस्तान के कसीदे पढ़ने के लिए भारत को नीचा दिखाना जरूरी नहीं
Advertisement
trendingNow12106631

OPINION: मिस्टर मणिशंकर अय्यर! पाकिस्तान के कसीदे पढ़ने के लिए भारत को नीचा दिखाना जरूरी नहीं

Mani Shankar Aiyar News: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने लाहौर में कहा कि पाकिस्तान से बातचीत न करना पिछले 10 सालों में भारत की सबसे बड़ी गलती है. उन्‍होंने कहा कि 'हमारे पास सर्जिकल स्ट्राइक करने की हिम्मत है, लेकिन बातचीत करने की नहीं.'

OPINION: मिस्टर मणिशंकर अय्यर! पाकिस्तान के कसीदे पढ़ने के लिए भारत को नीचा दिखाना जरूरी नहीं

Mani Shankar Aiyar In Pakistan: पूर्व डिप्लोमैट और कांग्रेस के सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर इन दिनों पाकिस्तान में हैं. लाहौर में फैज़ फेस्टिवल में शिरकत करने गए हैं. बतौर डिप्लोमैट, पाकिस्तान में लंबा अरसा गुजारने वाले मणिशंकर को लाहौर भूलता नहीं. उनकी पैदाइश भी तो वहीं की है. मगर अपनी जड़ों को याद रखना अलग बात है, उस रिश्ते की आड़ लेकर अपने मुल्‍क को नीचा दिखाना दूसरी बात. अय्यर की नजर में 'पाकिस्तान से बातचीत न करना पिछले 10 सालों की सबसे बड़ी गलती' है. बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने की कोशिश में वह भारत के साहस पर सवाल उठा देते हैं. द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मणिशंकर अय्यर कहते हैं, "हमारे पास आपके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने का साहस है, लेकिन मेज पर बैठकर बात करने का साहस नहीं है." किसी दूसरे देश की तारीफ करने, उसे सराहने में कुछ गलत नहीं. सवाल तब उठता है जब आप एक आतंकी मुल्क के कसीदे पढ़ते हुए अपने देश को कठघरे में खड़ा करने लगते हैं. मिस्टर मणिशंकर अय्यर! पाकिस्तान की तारीफ करने के लिए आपको भारत को नीचा दिखाने की जरूरत नहीं है.

लाहौर में बैठकर यह कैसी भाषा बोल रहे मणिशंकर अय्यर

मणिशंकर अय्यर ने फैज़ फेस्टिवल के दूसरे दिन कहा, 'मेरे अनुभव से, पाकिस्तानी ऐसे लोग हैं जो शायद ओवररिएक्ट करते हैं.' उन्होंने कहा कि वह कभी किसी ऐसे देश में नहीं गए जहां उनका इतनी खुली बांहों से स्वागत किया गया हो जितना पाकिस्तान में हुआ. अय्यर ने कहा कि सद्भावना की आवश्यकता थी लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के बाद से पिछले 10 वर्षों में सद्भावना के बजाय उल्टा हुआ है. इसके बाद अय्यर भारत के चुनावी सिस्‍टम की 'खामी' गिना देते हैं. वह कहते हैं, "मैं (पाकिस्तान के) लोगों से बस इतना कहना चाहता हूं कि यह याद रखें कि मोदी को कभी भी एक तिहाई से अधिक वोट नहीं मिले हैं, लेकिन हमारा सिस्टम ऐसा है कि अगर उनके पास एक तिहाई वोट हैं, तो उनके पास दो-तिहाई सीटें हैं. तो दो-तिहाई भारतीय आपकी (पाकिस्तानियों) तरफ आने को तैयार हैं."

बीजेपी पर निशाना या विदेश नीति पर सवाल?

अय्यर अपने बीजेपी और मोदी विरोध में यहीं तक नहीं रुके. आगे कहते हैं, "पिछले 10 वर्षों में हमने जो सबसे बड़ी गलती की, वह थी संवाद से इनकार. हमारे पास आपके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने का साहस है, लेकिन मेज पर बैठकर बात करने का साहस नहीं है." अय्यर ने कहा, "हिंदुत्व के तहत, वे पाकिस्तान की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो एक इस्लामिक रिपब्लिक बन गया. इस्लामी गणतंत्र को गांधी-नेहरू का जवाब था कि वे धर्म पर आधारित गणतंत्र नहीं बल्कि सभी धर्मों पर आधारित गणतंत्र बनेंगे. लेकिन 65 साल तक चले उनके दर्शन को 2014 में उखाड़ फेंका गया और अगले पांच साल तक हमारी दिल्ली में यही मानसिकता रहेगी."

कांग्रेस का फायदा तो नहीं, बयानों से नुकसान जरूर करा देते हैं मणिशंकर

मणिशंकर अय्यर का बड़बोलापन कांग्रेस को कई बार भारी पड़ा है. 2004 में विनायक दामोदर सावरकर की तुलना मोहम्‍मद अली जिन्ना से करके अय्यर ने सियासी तूफान ला दिया था. अय्यर उस समय केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री थे. तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और पूरी कैबिनेट को अय्यर के बयान से किनारा करना पड़ा था.

बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर मणिशंकर अय्यर की तल्खी अलग लेवल पर है. 2014 के आम चुनाव से ऐन पहले, अय्यर ने 'चायवाला' बयान देकर खलबली मचा दी थी. उन्‍होंने कहा था कि 'एक चायवाला कभी भारत का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता, लेकिन AICC की बैठकों में चाय जरूर बेच सकता है.' तब मोदी बीजेपी के पीएम कैंडिडेट थे. कांग्रेस ने इसे 'निजी राय' बताकर पल्ला झाड़ दिया था.

2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने गए मणिशंकर अय्यर ने फिर मोदी पर बयान देकर कांग्रेस को मुसीबत में डाल दिया था. 7 दिसंबर 2017 को अय्यर ने मोदी के लिए कहा था, 'ये आदमी बहुत नीच किस्म का है, इसमें कोई सभ्यता नहीं है...' पीएम मोदी ने अय्यर ने हमले का चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और कांग्रेस पर पलटवार किया. तब अय्यर ने कहा था कि उनकी हिंदी ने उन्‍हें परेशानी में डाल दिया.

हालांकि, दो साल बाद, लोकसभा चुनाव से पहले अय्यर ने अपने 'नीच आदमी' वाले बयान को सही ठहराया. उन्‍होंने एक लेख में कहा कि 'मुझे याद है कि 7 दिसंबर 2017 को मैंने क्या कहा था। क्या मैं भविष्यवक्ता नहीं था?'

कांग्रेस को मणिशंकर अय्यर के इन बयानों का कोई फायदा नहीं हुआ, उल्‍टे नुकसान जरूर हो गया. मोदी और बीजेपी ने ऐसे तमाम बयानों को 'पिछड़ों और गरीबों पर हमले' की तरह पेश किया.

Trending news