DNA: क्या CAA नागरिकता छीनने वाला कानून है? इस रिपोर्ट में है सभी शंकाओं का समाधान
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DNA: क्या CAA नागरिकता छीनने वाला कानून है? इस रिपोर्ट में है सभी शंकाओं का समाधान

CAA के नियम लागू होने के साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन , पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों भारतीय नागरिकता मिल जाएगी.

DNA: क्या CAA नागरिकता छीनने वाला कानून है? इस रिपोर्ट में है सभी शंकाओं का समाधान

Citizenship Amendment Bill: पिछले दिनों से इस बात की चर्चा बहुत गर्म हो गई है कि केंद्र सरकार CAA यानी Citizenship Amendment Bill 2019 का नोटिफिकेशन लेकर आने वाली हैं. CAA एक ऐसा मुद्दा है, जिसको लेकर whatsapp university पर पीएचडी करवाई जाती है. हमारे देश में राह चलते, या फिर सोशल मीडिया पर ऐसे सैकड़ों CAA के पीएचडी होल्डर मिल जाएंगे, जिन्होंने whatsapp university से पीएचडी की हुई है. तो ऐसे झोलाछाप ज्ञानियों को आज हम CAA पर असली ज्ञान देंगे. इसके अलावा वो दर्शक जो अभी तक CAA को लेकर गलतफहमी में थे, आज हम DNA में उनकी भी सारी गलतफहमियां दूर करने वाले हैं.

शरणार्थी शिविरों से ज्यादातर लोग हिंदू हैं, जो पाकिस्तान से अपनी जान बचाकर भारत की शरण में आ गए थे. इनकी पहचान कई साल बाद भी, पाकिस्तानी शरणार्थी की ही है, ना इन्हें संवैधानिक हक है, ना ही सरकार की तरफ से मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं. हम आपको बताना चाहते हैं कि whatsapp university के PHD बुद्धजीवी कुछ भी कहें, लेकिन CAA जैसा कानून ऐसे लोगों के लिए वरदान की तरह है. इसके लागू होने के बाद, इन लोगों को भारत का नागरिक होने की पहचान मिलेगी.

आज से करीब 4 वर्ष पहले 11 दिसंबर 2019 को संसद ने 'नागरिकता संशोधन बिल' पारित किए था. ये पारित बिल अगले ही दिन राष्ट्रपति की सहमति के बाद 12 दिसंबर को कानून बन गया. यही नहीं अगले ही महीने 10 जनवरी 2020 को इस कानून को लागू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया . लेकिन CAA को लेकर होने वाले विरोध प्रदर्शनों की वजह से नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को जारी नहीं किए जा सका था. यही वजह है कि ऐसे शरणार्थी जो भारत में पिछले कई वर्षों से रह रहे हैं उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिल पाई.

- अब खबर ये है कि इसी महीने केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के नियम Gazette Notification के जरिए जारी कर देगी.
- इससे होगा ये कि CAA के नियम देश में पूरी तरह से लागू हो जाएंगे.

CAA के नियम लागू होने के साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन , पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों भारतीय नागरिकता मिल जाएगी.

आप यकीन नहीं करेंगे, कि बदतर हालात में रहने वाले ऐसे शरणार्थी जिन्हें पिछले कई वर्षों से नागरिक होने का मूलभूत अधिकार नहीं मिला था, उन लोगों के लिए CAA लागू होने की खबर कितनी खुशी लेकर आई हैं. हमारी टीम ऐसे लोगों से मिली, हमने उनके हालात देखे और CAA से जुड़ी खबर सुनकर उनकी खुशी देखी. चलिए हम आपको वो रिपोर्ट दिखाते हैं.

ये वो लोग जिनके नाम कई हैं
लेकिन पहचान एक है..इन्हें शरणार्थी कहते हैं

कोई पाकिस्तान से आया है
कोई अफगानिस्तान से आया है
......
वजह एक ही है...गैर मुस्लिम होना.
इनमें से कोई हिंदू है, कोई सिख ईसाई तो कोई बौद्ध
इनका धर्म ही इनके लिए सबसे बड़ा खतरा बना गया था
.
कभी इनके पास इनके देश में कई बीघे जमीन थी
लेकिन आज सिर छिपाने के लिए पक्की छत भी नहीं है
......
वैसे को केंद्र सरकार की कई योजनाएं हैं
किसी में छत मिलती है...तो किसी में सिलेंडर
किसी में पानी मिलता है, तो किसी में राशन
लेकिन इन्हें मिलता रहा है आश्वासन
इन्हें ये सब कुछ इसलिए नहीं मिलता,
क्योंकि ये भारतीय नहीं हैं. ये शरणार्थी हैं.
...
CAA कानून लागू होने की खबर ने
इन्हें आज नई उम्मीद दी है.

जिस देश का पासपोर्ट इनके हाथों में है...उस देश ने उनकी इज्जत नहीं...उस देश ने इन बहन बेटियों को सुरक्षा नहीं दी...उस देश ने उन्हें नागरिक होने का हक नहीं दिया. वर्ष 2011 से ये भारत में हैं और इस बात से खुश हैं कि कम से कम भारत ने उन्हें अपना समझा है.

पाकिस्तान के सिंध के पारंपरिक परिधान में दिख रहे हीरालाल, आज सीना चौड़ा करके खुद के हिंदू होने पर गर्व कर पाते हैं. लेकिन ये हक उन्हें पाकिस्तान में नहीं कभी नहीं मिल पाया था. आज जिस गर्व से वो सीने पर अपने आराध्य श्रीराम का चित्र लगाए हुए हैं, शायद पाकिस्तान में वो ऐसा करते तो मारे जाते.

दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके में 150 से ज्यादा हिंदू शरणार्थी परिवार रहते हैं. इन परिवारों में 700 से ज्यादा लोग हैं. लेकिन पिछले कई वर्षों से ये भारतीय हो जाने का इंतजार कर रहे थे. पाकिस्तान से जान और इज्जत बचाकर भारत आईं शयानी और गोमती आज बहुत खुश हैं. ये इस बात से खुश हैं कि जिस धर्म में उन्होंने जन्म लिया, आज वो बिना किसी डर इस धर्म का पालन कर सकती हैं.

CAA को लेकर अड़चन पैदा करने वाले, शायद इन बच्चों की हसरतों को ना समझें. लेकिन इनके मां बाप खुद को धन्य मानते हैं कि उनके बच्चे भारत में हैं पाकिस्तान में नहीं. पाकिस्तान में रहे इन हिंदू परिवारों को हमेशा इस बात का डर रहता था कि पाकिस्तन में इनकी बच्चियों को कोई बहुसंख्यक मुस्लिम किडनैप ना कर ले. इन्हें इस बात का डर रहता था जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाकर, कोई इनक बच्चियों को उठा ना ले जाए. आज ये खुश हैं कि इन बच्चे जल्दी ही भारतीय कहे जाएंगे.

शरणार्थियों की खुशी सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, पश्चिम बंगाल और राजस्थान से भी हमारे पास रिपोर्ट आई हैं, जिसमें शरणार्थी केंद्र सरकार को धन्यवाद कह रहे हैं. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के एक शिमुलतला में 90 प्रतिशत लोग हिंदू शरणार्थी हैं. गैर मुस्लिम होने की वजह से इन्हें बांग्लादेश के कट्टर इस्लामिक संगठनों का दंश झेलना पड़ा.

96 वर्ष के हरलाल, 1992 में भारत आए थे. वो बांग्लादेश के रहने वाले हैं, लेकिन जब बांग्लादेश में कट्टर इस्लामिक संगठनों के जुल्म बढ़ गए, तब ये भारत आ गए. सिर्फ हरलाल ही नहीं, इनके जैसे कई और भी हैं जो भारत में शरण लिए हुए हैं.

बाइट- हरलाल डे,शरणार्थी
बाइट- राधेश्याम दे, फूल व्यापारी

राजस्थान में ऐसा ही एक कैंप जयपुर में मौजूद हैं. हमारी टीम वहां भी गई थी. वहां के लोगों की कहानी भी वही है जो दिल्ली या पश्चिम बंगाल के शरणार्थी कैंपों में मौजूद शरणार्थियों की है. ये सभी गैर मुस्लिम होने की वजह से प्रताड़ित किए जाते रहे

2014 से पहले भारत आ चुके शरणार्थी तभी से भारतीय नागरिकता की कोशिश करते रहे हैं. लेकिन नागरिकता कानून की अड़चनों की वजह से उन्हें भारतीय नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित थे. CAA के लागू होने के बाद इन शरणार्थियों को मिल सकेगा, इस पर हमने कानून के जानकारों से बात की.

CAA को लागू ना होने देना, इन लोगो के साथ वो अन्याय है, जो कई वर्षों से चल रहा है. CAA लागू होना होने देना, इनके बच्चों का बचपन छीन लेने जैसा है. CAA का विरोध करने वाले, इनके अधिकार को छीनने वाले लोग हैं. अब इन्हें उम्मीद है कि जल्दी केंद्र सरकार इन्हें इनके अधिकार दिलवाएगी.

(दिल्ली से शिवांक मिश्रा, पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना से सौमित सेन गुप्ता और जयपुर से दिनेश की रिपोर्ट, जी मीडिया)

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