Child Trafficking: देश की राजधानी दिल्ली में CBI ने नवजात बच्चों का व्यापार करने वाले गिरोह को पकड़ा है. ये गिरोह उसी तरह नवजात बच्चों की खरीद और बिक्री करता था जिस तरह कोई व्यापार में सामान खरीदकर बेचता है और अपना मुनाफा कमाता है. खुलासा CBI रेड में हुआ है.
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CBI ने एक इनपुट के आधार पर शुक्रवार की शाम एक साथ दिल्ली और हरियाणा की अलग-अलग Locations पर छापेमारी की थी. इसी रेड के दौरान दिल्ली के केशवपुरम इलाके में एक घर से सात लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनके पास से तीन नवजात बच्चों को रेस्क्यू करवाया गया. इनमें दो लड़के हैं, जिनमें एक डेढ़ दिन और दूसरा 15 दिन का है। एक बच्ची करीब महीने भर की है। CBI के अधिकारियों ने बताया है कि ये तीनों बच्चे अलग-अलग जगह से चुराए गए थे, या खरीदे गए थे जिन्हें बेचने की कोशिश की जा रही थी...जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है..उनमें बच्चों को बेचने वाली महिला के साथ-साथ बच्चों को खरीदने वाले भी शामिल हैं.
इस मामले में आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया. जिसके बाद कोर्ट ने 7 आरोपियों को सीबीआई रिमांड में भेज दिया है. सीबीआई ने इंदू और नीरज को इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड बताया है. CBI ने अभी तक इस केस में जो खुलासे किये हैं..वो हैरान कर देने वाले हैं...Zee News संवाददाता प्रमोद शर्मा ने उस लोकेशन से एक ग्राउंड रिपोर्ट भेजी है..जहां एक घर से ये गैंग Active था...
CBI ने केस में किए खुलासे..
अब अगर आप सोच रहे हैं कि ये बच्चा चोरी करने वाला कोई छोटा-मोटा गैंग था तो आप गलत सोच रहे हैं. इसकी एक नहीं कई वजह हैं. एक वजह तो यही है कि इस गैंग को किसी लोकल पुलिस ने नहीं पकड़ा है बल्कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी cbi ने पकड़ा है. और सबसे बड़ी वजह तो ये है कि इस गैंग में बड़े बड़े अस्पताल और बड़े बड़े नाम शामिल हैं. जिसका खुलासा cbi ने किया है.
बच्चों को खरीदने बेचने वाला ये गैंग काम कैसे करता था
CBI के मुताबिक, ये गैंग अस्पतालों में माता-पिता या सरोगेट मदर्स से बच्चे खरीदते थे. फिर सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक पेज और Whatsapp Groups के जरिये बच्चा गोद लेने के इच्छुक दंपतियों की तलाश करते थे. ये गिरोह Adoption के फर्जी दस्तावेज बनाकर बच्चों को बेचा करते थे.
CBI के मुताबिक आरोपी ब्लैक मार्केट में सामान की तरह बच्चों का सौदा किया करते थे. जिसमें एक बच्चे की कीमत चार लाख से छह लाख रुपये तक लगाई जाती थी. सूत्रों के मुताबिक, पिछले महीने ही इस गैंग ने लगभग 10 बच्चे बेचे हैं. नवजात बच्चों की Illegal Trading करने वाले इस गिरोह का दायरा भी सिर्फ दिल्ली NCR तक सीमित नहीं है. और ना ही इस गिरोह की सांठ-गांठ सिर्फ एक-दो अस्पतालों तक सीमित है..
बच्चों की खरीद-फरोख्त..
CBI के मुताबिक...नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त के इस धंधे में कई नामी और बड़े अस्पतालों के स्टाफ के लोग भी शामिल हैं. जिनमें से एक अस्पताल के वॉर्ड बॉय को गिरफ्तार किया गया है. CBI ने बच्चों की खरीद-फरोख्त के इस धंधे के तार Pan India यानी देशभर से जुड़े होने का दावा किया है. दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के कई नामी अस्पताल..CBI जांच के दायरे में आए हैं.
सबसे हैरान कर देने वाला खुलासा ये है कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड एक सरकारी अधिकारी है. सूत्रों के मुताबिक CBI ने इस केस में एक Assistant Labour Commissioner को हिरासत में लिया है. CBI का दावा है कि बच्चों को खरीदने और बेचने वाले गैंग से अभी पूछताछ जारी है..और इस मामले में और भी ज्यादा हैरान कर देने वाले कई और खुलासे हो सकते हैं..
छापेमारी के बाद अभी कई बड़े खुलासे होने बाकी..
जिस तरह से इस मामले में अस्पताल के वॉर्ड बॉय समेत कई महिलाओं और लोगों को गिरफ्तार किया गया है उससे साफ है कि इनके तार कई और अस्पतालों से भी जुड़े हो सकते है...माना जा रहा है कि अभी इस गिरोह के कई और लोगों की गिरफ्तारी होगी. जिसके बाद पता चलेगा कि इस गिरोह के तार कहां कहां तक फैले हुए है...
देश में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले
हमारे देश में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले तेज़ी से बढ़े है, हर महीने कोई ना कोई गिरोह चाइल्ड ट्रैफिकिंग में शामिल पकड़ा जाता है. लेकिन इसके बावजूद बच्चों के मिसिंग के मामले बढ़े है.
- हमारे देश में हर घंटे 6 बच्चे गायब होते है.
- रिपोर्ट कहती हैं कि देश में हर दिन 212 बच्चे गायब होते है.
- इनमें हर 4 मासूमों में से 3 बेटियां होती है.
भारत में बच्चों के गायब होने की समस्या हर वर्ष विकराल हो रही है....देश के लगभग हर राज्य से बच्चे गायब हो रहे है....एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक,
- वर्ष 2021 में कुल 73,535 बच्चे गायब हुए थे.
- पिछले 5 वर्षों में 3.4 लाख से ज्यादा बच्चों की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज की गई है।
- NCRB रिपोर्ट के अनुसार, बेटियों के गायब होने का आंकड़ा डराने वाला है. गायब होने वाले बच्चों में 75 प्रतिशत बेटियां हैं.
मिसिंग रिपोर्ट की संख्या बढ़ी..
ये किसी एक या दो राज्यों की समस्या नहीं है. बल्कि हर राज्य में बच्चों की मिसिंग रिपोर्ट की संख्या बढ़ी है...अब मैं आपको राज्यों का आंकड़ा दिखाता हूं...जिसे देखकर आपको पता चलेगा राज्य जैसे बच्चों के लिए अनसेफ हो रहे है.
- मध्य प्रदेश में वर्ष 2021 में सबसे ज्यादा कुल 11,607 बच्चे चोरी हुए.
- पश्चिम बंगाल 9,996 तमिलनाडु 6,399, दिल्ली में 5,772 और राजस्थान में 4,936 बच्चे गायब हुए.
- लगभग 50% से ज्यादा मामले सिर्फ इन्हीं राज्यों में दर्ज किए गए हैं।
ये राज्य बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहे है. NCRB की रिपोर्ट कहती है कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों के लापता होने की दर ज्यादा है... गायब हो रहे बच्चों को कई गिरोह एक राज्य से दूसरे राज्यों में भेजते है और उसके बाद वेश्यावृत्ति, भीख, मजदूरी समेत कई तरह के काम के लिए मजबूर करते है.
हत्या एक गंभीर अपराध है...ठीक उसी तरह से बच्चों को बेचना भी एक गंभीर अपराध है. ऐसे मामलों में पुलिस को गुमशुदगी की जांच हत्या के मामले की तरह तुरंत और सख्ती से करनी चाहिए। ताकि देश के भविष्य को बचाया जा सके.
बच्चों की तस्करी को आधुनिक युग की गुलामी कहा जाता है. हमारे देश में ये एक ऐसी समस्या है जिस पर तभी ध्यान जाता है जब चाइल्ड ट्रैफिंकिंग पर कोई रिपोर्ट आती है. या फिर जब 30 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र मानव तस्करी के विरोध में दिवस मनाता है.
ग्राफ भारत में हर वर्ष बढ़ रहा..
हकीकत ये है कि चाइल्ड ट्रैफिकिंग का ग्राफ भारत में हर वर्ष बढ़ रहा है. और इसकी सबसे बड़ी वजह बाल तस्करी गिरोह है....जिनके लिए बच्चों का सौदा आम बात है, उन्हें बच्चों की खरीद फिरोख्त में मुनाफा दिखता है...बिना ये सोचे की वो किसी परिवार को कभी ना भूलने वाला दर्द दे रहे हैं. NCRB की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक,
- पूरे भारत में बाल तस्करी के 2,878 मामले दर्ज हुए थे...
- इनमें 1,059 लड़कियां बाल तस्करी का शिकार हुई थी.
- वर्ष 2022 में 62 हजार 99 बच्चियों का अपहरण हुआ था.
- इसी तरह 13 हजार 970 बच्चों को किडनैप किया गया.
बाल तस्करी किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है. हमारे देश में बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कानून है, लेकिन इसके बावजूद बाल तस्करी के मामले बढ़े है. जिस वक्त बच्चों के हाथ में किताब और पैन-पैंसिल होनी चाहिए उस वक्त छोटे छोटे बच्चों को खतरनाक काम-धंधों में धकेल दिया जाता है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग पूरे देश में कालीन, रत्न पॉलिश, ज्वैलरी, पीतल, कांच, बीड़ी उद्योग, हस्तशिल्प, पत्थर खुदाई, चाय बागान, बाल वेश्यावृत्ति जैसे कार्यों में करोड़ों बच्चे लिप्त हैं।..केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक
पिछले 5 साल में देश भर में 2 लाख 75 हजार से ज्यादा बच्चे गुम हुए हैं. लापता बच्चों में 2 लाख 12 हजार लड़कियां हैं। लड़कियों के गायब होने के मामले लड़कों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हैं। हालांकि, बच्चों को ढूंढ़ने के मामले में सरकार की फुर्ती भी नजर आती है। लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 से जून 2023 तक कुल 2 लाख 75 हजार 125 बच्चे गायब हुए जिनमें से 2 लाख 40 हजार बच्चों को ढूंढ निकाला गया, और इनमें भी 1 लाख 73 हजार लड़कियां थी.
हमारे देश में हजारों बच्चे हर साल लापता हो जाते हैं और इनमें हजारों बच्चे लौटकर कभी अपने मां बाप के पास नहीं आ पाते, क्योंकि वो या तो मर चुके होते हैं या फिर मानव तस्करों के चंगुल में फंस चुके होते हैं, जहां से लौटना नामुकिन होता है. एक बार इन गिरोह के चंगुल में फंसने के बाद इन बच्चों का भविष्य हमेशा हमेशा के लिए अंधकारमय हो जाता है. यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक
- तस्करी के शिकार 50 फीसदी बच्चों का यौन उत्पीड़न होता है और उनको वेश्यावृत्ति में झोंक दिया जाता है.
- 38 फीसदी बच्चों से जबरन काम कराया जाता है.
- 6 फीसदी बच्चों को आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है.
- 1.5 फीसदी बच्चों से भीख मंगवाई जाती है.
- 1 फीसदी लड़कियों की जबरन शादी करा दी जाती है.
किसी देश के लिए बच्चे उसकी सबसे बड़ी पूंजी होते हैं। बच्चे ही देश का भविष्य तय करते हैं। इसलिए उनका संरक्षण राष्ट्र के लिए सर्वोपरि होना चाहिए। इसको लेकर सख्त कानून होना चाहिए, बाल तस्करी करने वालों गिरोहों के बीच डर होना बेहद चाहिए. तभी बाल तस्करी के मामलों में कमी आएगी.