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Agneepath Scheme: सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले नौजवानों में अग्निपथ योजना को लेकर नाराजगी बढ़ने लगी है. 14 जून को इस योजना का केंद्र सरकार द्वारा ऐलान हुआ कि सैनिक अब अग्निवीर कहे जाएंगे, लेकिन भावी अग्निवीरों को ये बात रास नहीं आई. 5-5 साल भर्ती की तैयारी कर रहे नोजवानों के सपनों पर बिजली गिर गई कि भर्ती होगी और 4 साल में ही रिटायरमेंट हो जाएगी. यह बात उनके दिलों-दिमाग में इतना घर कर गई की सिवाए खुदकुशी के कुछ नहीं दिख रहा.
23 वर्षीय युवक ने की आत्महत्या
जींद का रहने वाला 23 वर्षीय सचिन लाठर को शायद यही कदम सबसे आसान लगा. सेना में भर्ती होना केवल नौकरी का मामला नहीं है. यह मामला तो सचिन के उस सपने से जुड़ा था जो उसे देश के नाम पर मर मिटने का जज्बा दे रहा था, इसलिए वह मैदान में पसीना बहाने को मजबूर था. लेकिन अब तो उसने अपने को उस मैदानी दौड़ से निकालकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है.
पिता की तरह फौज में जाना चाहता था बेटा
रिटायर्ड आर्मी के बेटे ने अपने पिता की तरह ही आर्मी में जाने का सपना सजा लिया था. जींद से रोहतक तकरीबन 3 साल पहले सचिन यही ख्वाब लेकर आया था कि अपना कतरा-कतरा वो भी देश के नाम कर देगा. उसके इसी कुछ कर दिखाने के जज्बे और हौसले ने आज उसकी जान ले ली. देव कॉलोनी के पीजी में सचिन ने फांसी का फंदा लगा लिया. जब सुबह दोस्त उसे प्रैक्टिस के लिए जगाने आए तो उन्हें पता लगा कि अब सचिन कभी प्रैक्टिस पर नहीं जा पाएगा. जींद के लजवाना कलां के रहने वाले सचिन के पिता सत्यपाल इसमें किसी को दोषी नहीं मानते. उनका कहना है कि वो भी सेना से जवान के पद से रिटायर्ड हैं. बस उनके बेटे का टाइम आ गया था.
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परिवार और दोस्तों में गम का माहौल
आपको बता दें कि 6 भाई-बहनों में सचिन सबसे छोटा था, उसकी मां नहीं थी. पिता बतौर सैनिक रिटायर्ड हुए थे. सबसे हंस खेल कर बात करने वाला सचिन किसने सोचा था कि वह ऐसा कदम उठाने को मजबूर हो जाएगा. मौसी अपने आंसू नहीं रोक पा रही थी. सचिन की मौत पर विलाप करते हुए मौसी ने बताया कि रोहतक की देव कॉलोनी पीजी में उनका भांजा रह रहा था. उसकी तो भर्ती भी क्लियर थी, फिर क्यों उसने ऐसा खौफनाक कदम उठा लिया. परिवारजनों के अलावा दोस्त अपने आप को संभाल नहीं पा रहे थे. अकादमी से लेकर प्रैक्टिस पर सचिन के साथ हर जगह साथ जाने वाले दोस्तों को आज उसका गंभीर और शांत चेहरा रास नहीं आ रहा था. दोस्तों का कहना था कि सचिन मेहनती तो था ही, साथ में नटखट भी था.
'4 साल बाद क्या करेगा युवा?'
सचिन के भाई ने बताया कि गोवा की भर्ती में उसने मेडिकल और फिजिकल दोनों क्लियर कर रखे थे. इंतजार था तो बस अब इंटरव्यू और सिलेक्शन का. नौजवान आर्मी की भर्ती को लेकर इतने आवेशित रहते हैं कि उन्हें सिलेक्शन के आलावा कुछ नहीं दिखाई देता. ऐसा खौफजदा कदम उठाने से पहले कम से कम उन्हें अपने परिवार का तो सोचना चाहिए. अग्निपथ योजना के जरिए मात्र 4 साल के लिए वो सेना में भर्ती नहीं होना चाहता था. आखिर उन 4 साल बीत जाने के बाद युवा क्या करेंगे. क्या किसी ने सोचा की जिन 75% युवाओं को निष्कासित कर दिया जाएगा उनके मनोबल पर क्या असर पड़ेगा.
सरकार गिना रही योजना के फायदे
अग्निपथ योजना के फायदे सरकार गिनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही लेकिन इन भावी अग्निवीरों को सिवाए अग्नि के इस अग्निपथ में कोई पथ नहीं नजर आ रहा. सचिन के साथ अलग अलग भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवानों ने बताया कि सरकार युवाओं को 4 साल की कैंडी दे कर चुप कराना चाहती है. युवाओं ने सरकार से भर्ती मांगी तो भर्ती की जगह सरकार ने अग्निपथ दे दिया. क्या मोदी सरकार यही चाहती है कि किसान का बेटा किसान ही रहे. 4 साल के बाद युवा कहां नौकरी कर पाएगा, ना वो दोबारा पढाई में रुचि रख पाएगा और ना ही किसी प्राइवेट फर्म में. 4 साल बाद सेना से निष्कासित होने के बाद जब वो नौकरी की तलाश में किसी कंपनी में जाएंगे तो क्या कोई उनसे नहीं पूछेगा कि आप में कुछ तो कमी होगी जो आप 25% में नहीं शामिल हुए तो आपका रेट यानी आपकी सैलरी कम होगी. तो इस तरीके से प्राइवेट सेक्टर में भी सैनिकों का भाव गिर सकता है. ये कैसा नियम आया है की युवाओं के दिलों-दिमाग में फायदे के बजाय नुकसान ने घर कर लिया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा ये कहा गया कि अग्निपथ योजना के जरिए सेना यूथफुल होगी लेकिन रक्षा मंत्री को शायद ये नहीं पता कि बिना युथ के सेना कैसे यूथफुल होगी. लेकिन अब युथ का धैर्य समाप्त हो चुका है. इनके सब्र के बांध टूट चुके हैं.
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