Arms Exports: रॉकेट, शेल्स से बम तक...भारत का वो शहर, जो बना हथियारों की मंडी, झमाझम बरस रहे नोट
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Arms Exports: रॉकेट, शेल्स से बम तक...भारत का वो शहर, जो बना हथियारों की मंडी, झमाझम बरस रहे नोट

Nagpur: दुनिया के कई देश इस वक्त युद्ध के बीच में हैं. रूस-यूक्रेन संघर्ष को 3 साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है और इजरायल भी अपने दुश्मनों के साथ एक साल से जंग लड़ रहा है. रूस-यूक्रेन और मिडिल ईस्ट में जहां युद्ध से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं इससे भारत के एक शहर को बंपर फायदा हो रहा है.

Arms Exports: रॉकेट, शेल्स से बम तक...भारत का वो शहर, जो बना हथियारों की मंडी, झमाझम बरस रहे नोट

Nagpur: दुनिया के कई देश इस वक्त युद्ध के बीच में हैं. रूस-यूक्रेन संघर्ष को 3 साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है और इजरायल भी अपने दुश्मनों के साथ एक साल से जंग लड़ रहा है. रूस-यूक्रेन और मिडिल ईस्ट में जहां युद्ध से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं इससे भारत के एक शहर को बंपर फायदा हो रहा है. यहां बात हो रही है नागपुर की. नागपुर वैश्विक हथियारों के व्यापार का एक अहम केंद्र बन चुका है. 

तीन महीनों में 900 करोड़ रुपये के हथियारों का निर्यात

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक यहां के विस्फोटक उद्योग में इस समय जबरदस्त हलचल मची हुई है. रूस-यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्षों के बीच नागपुर की कंपनियों ने पिछले तीन महीनों में 900 करोड़ रुपये के हथियारों का निर्यात किया है. इतना ही नहीं आने वाले समय में 3,000 करोड़ रुपये के और ऑर्डर मिलने की उम्मीद है.

155 मिमी के शेल्स और 40 मिमी के रॉकेट्स का प्रोडक्शन

नागपुर में मौजूद कंपनियां इस वक्त 155 मिमी के शेल्स और 40 मिमी के रॉकेट्स का प्रोडक्शन कर रही हैं. इन दोनों ही हथियारों की दुनिया भर में सबसे ज्यादा डिमांड है. गौर करने वाली बात यह है कि बुल्गारिया, स्पेन, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम, पोलैंड, ब्राजील और सऊदी अरब में युद्ध नहीं चल रहा है, फिर भी वहां गोला-बारूद की भारी खपत हो रही है. जिससे साफ है कि ये सभी देश युद्ध सामग्री जमा करने की रणनीति के साथ आगे चल रहे हैं. जो भविष्य में संभावित संघर्षों के लिए तैयार रहने का संकेत देती है.

क्या कहा एक्सपर्ट्स ने..

एक्सपर्ट्स का मानना है कि नागपुर के निर्माता विदेशों से अंतिम उपयोग प्रमाण पत्र प्राप्त कर रहे हैं, जिसके आधार पर वे सरकार से निर्यात के लिए लाइसेंस प्राप्त कर रहे हैं. हालांकि, कंपनियों का कहना है कि वे किसी भी युद्धरत देश को हथियार नहीं बेच रहे हैं. इसके बजाय, वे केवल उन देशों को सामग्री बेच रहे हैं जो अपनी घरेलू जरूरतों के लिए इन्हें स्टॉक कर रहे हैं.

रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा

रिपोर्ट के मुताबिक नागपुर में स्थित यंत्र इंडिया लिमिटेड (YIL) और म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL) जैसी कंपनियां इस बढ़ती मांग को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रही हैं. बता दें कि YIL ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भी अपना प्रोडक्शन बढ़ा दिया था. चंद्रपुर और भंडारा में स्थित MIL ने भी अपना प्रोडक्शन बढ़ा दिया है.

विश्व स्तर पर बढ़ रही है मांग

इन कंपनियों के अलावा निजी क्षेत्र की कंपनियां भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं. सोलर इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियां उच्च ऊर्जा वाले कच्चे माल, जैसे HMX, RDX और TNT का उत्पादन करती हैं, जिनकी मांग विश्व स्तर पर बढ़ रही है. ये कच्चे माल यूरोप, पूर्वी एशिया और पश्चिम एशिया के हथियार निर्माण कंपनियों को निर्यात किए जा रहे हैं.

दुनिया में हुआ नागपुर का नाम

नागपुर का विस्फोटक उद्योग न केवल भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान दे रहा है, बल्कि यह वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बना रहा है. वैश्विक स्तर पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के साथ, नागपुर के निर्माता अपनी क्षमता और गुणवत्ता के साथ दुनिया के सामने उभर रहे हैं.

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