आदिवासी नेता आनंद टू डू ने बताया कि आज पूरे भारत के 5 प्रदेशों में आदिवासी अपने विभिन्न मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन रोड जाम व रेल यातायात बाधित कर अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रख रही है.
Trending Photos
गिरिडीह : पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर विभिन्न मांगों को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान के बैनर तले स्थानीय आदिवासी समाज के लोग रेल यातायात बाधित करने के उद्देश्य से रेलवे ट्रैक में बैठ गए. हालांकि रेलवे प्रशासन गिरिडीह जिला पुलिस बल एवं अनुमंडल प्रशासन की तत्परता से रेलवे यातायात बाधित करने आए आदिवासी समाज के लोगों को समझाकर ट्रैक से बाहर किया. साथ ही प्रशासन ने आश्वासन दिया कि आपकी आवाज को राज्य व केंद्र सरकार तक हम लोगों द्वारा पहुंचा दिया जाएगा.
पांच प्रदेशों में आदिवासी समाज अपनी मांगों को लेकर कर रहे प्रदर्शन
आदिवासी नेता आनंद टू डू ने बताया कि आज पूरे भारत के 5 प्रदेशों में आदिवासी अपने विभिन्न मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन रोड जाम व रेल यातायात बाधित कर अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रख रही है उसी के तहत आज पारसनाथ रेलवे स्टेशन में भी रेल रोको अभियान चलाया गया है. उन्होंने बताया कि आदिवासी सिंगल अभियान झारखंड बिहार बंगाल उड़ीसा आसाम के अलावे नेपाल भूटान बांग्लादेश में भी आदिवासी सशक्तिकरण के लिए कार्यरत है तथा बताया कि भारत के आदिवासी प्राकृतिक पूजक हैं जिसे 2023 में हर हाल में सरना धर्म कोड लेना है. साथ ही अधिकांश आदिवासी ना ही हिंदू है ना ही मुसलमान और ना ही ईसाई हैं. आदिवासी का धर्म करना है और हमें हमारा धर्म का कोड चाहिए परंतु सरकार आदिवासियों के प्रति हमेशा उदाशीनता अपनाते आयी है परंतु अब कुछ भी हो 2023 में हमलोग अपना धर्म कोड ले कर रहेंगे.
आदिवासियों को सौंपा जाए देशभर के पहाड़
बताया कि झारखंड के पारसनाथ पहाड़ में अवस्थित आदिवासियों के ईश्वर मरांग बुरु को अविलंब जैनियों के कब्जे से मुक्त किया जाए और आदिवासियों को सुपुर्द किया जाए. देश में सभी पहाड़ों पर्वतों को आदिवासियों को सौंपा जाए क्योंकि पहाड़ों में आदिवासियों की देवी देवता रहते हैं और पहाड़ों की सुरक्षा तथा प्राकृतिक पर्यावरण और क्लाइमेट चेंज की रक्षा आदिवासी समाज कर सकता है. झारखंड प्रदेश अबुआ दिसुम अबुआ राज है आदिवासियों का गढ़ है यहां संविधान कानून मानव अधिकारों को लागू कर ऐसे शहीदों के सपनों को सच बनाना है जो आज लूट झूठ भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. झारखंड प्रदेश में एकमात्र बड़ी आदिवासी भाषा संथाली है जो आठवीं अनुसूची में शामिल है को अविलंब झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए और बाकी आदिवासी भाषाओं को आठवीं सूची में शामिल किया जाए. वही उन्होंने मांग किया कि आसाम अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को अविलंब एस टी का दर्जा दिया जाए तथा आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम में जनतंत्र और सविधान को समाहित करते हुए इसमें सुधार लाकर इसे अविलंब समृद्ध किया जाए.
बता दें कि 30 जनवरी 2023 तक संबंधित सरकारों द्वारा आदिवासियों के ईश्वर मरांग बुरु पारसनाथ पहाड़ को जैनियों के कब्जे से मुक्त कराने की मांग किया गया था. किंतु इस मामले में अब तक कोई पहल नहीं किया गया है और ना ही सरना धर्म कोड पर कोई विचार किया गया है. इसे लेकर आज आदिवासी समाज एक होकर 11 फरवरी अर्थात आज के दिन शहीद तिलका मुर्मू के जन्म दिवस के अवसर पर राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन रोड, रेल रोड चक्का जाम का कार्यक्रम किया है. इस कार्यक्रम में पारसनाथ स्टेशन में आदिवासी सेंगेल अभियान के बोकारो जोन के जोनल संयोजक आनंद टूडू झारखंड प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा, मांझी परगना मडवा अध्यक्ष झारखंड प्रदेश चंद्रमोहन मरांडी, डुमरी प्रखंड के मुख्य संयोजक अनिल हांसदा, डुमरी प्रखंड अध्यक्ष मोतीलाल मुर्मू, डुमरी प्रखंड संयोजक सुमित्रा सोरेन्ज़सरना धर्म मड़वा अध्यक्ष बृजेश और महिला मोर्चा अध्यक्ष चकरी पंचायत कौशल्या टुडू नावाडीह प्रखंड कोऑर्डिनेटर जागेश्वर मुर्मू नावाडीह प्रखंड संयोजक गणेश मरांडी ,नावाडीह प्रखंड युवा छात्र मोर्चा अध्यक्ष हरि नारायण मुर्मू समेत दर्जनों की संख्या में आदिवासी समाज के महिला पुरुष उपस्थित थे. वही स्थिति की नजाकत को देखते हुए डुमरी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मनोज कुमार रेलवे डीएसपी नौशाद आलम सीआरपीएफ के वरीय अधिकारियों जगह-जगह अपने जवानों के साथ मोर्चा संभाले हुए है. फिलहाल आदिवासी समाज के लोग पारसनाथ रेलवे स्टेशन के आउटर ट्रैक के पास धरना में बैठे हैं तथा स्टेशन परिसर के चारों तरफ स्थानीय पुलिस बल एवं रेलवे सुरक्षा बल की तैनाती देखी जा रही है.
इनपुट- मृणाल सिन्हा