Rugda Health Benefit: झारखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही बाजार में एक ऐसा खाद्य पदार्थ दिखने लगा है जिसे पूरे देश में शाकाहारी मटन कहा जाता है. बता दें कि झारखंड का यह शाकाहारी मटन अब बाजार में आ गया है. इस शाकाहारी मटन को रुगड़ा कहा जाता है. जो साल भर में केवल एक बार उगता है.
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रांची: Rugda Health Benefit: झारखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही बाजार में एक ऐसा खाद्य पदार्थ दिखने लगा है जिसे पूरे देश में शाकाहारी मटन कहा जाता है. बता दें कि झारखंड का यह शाकाहारी मटन अब बाजार में आ गया है. इस शाकाहारी मटन को रुगड़ा कहा जाता है. जो साल भर में केवल एक बार उगता है. धरती के फटे हिस्से से बाहर झांक रहे इस रुगड़ा की कीमत आपको हैरान कर देगी. वहीं बाजार में इसका भाव सुनकर तो आपको चक्कर आ जाएगा.
झारखंड के जंगलों में रह रहे आदिवासियों के लिए यह प्राकृतिक आजीविका का स्त्रोत है. झारखंड में जहां भी सखुआ के जंगल हैं उसके आसपास के गांवों मे रुगड़ा सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. प्रकृति के इस उपहार को आप खुली आंखों से निहार नहीं सकते क्योंकि यह छिपा होता है और यहां के रहनेवाले ही इसे खोज सकते हैं. मानसून की पहली बारिश के साथ प्रकृति का यह उपहार सखुआ के जंगलों के आसपास रहनेवाले लोगों के लिए सुलभ हो जाता है.
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आज से नहीं बल्कि प्राचीनकाल से ही रुगड़ा आदिवासियों के भोजन का हिस्सा रहा है. यह दो प्रकार को होता है सफेद रुगड़ा और काला रुगड़ा. वैसे काले रुगड़े को लोग ज्यादा पसंद करते हैं और इसकी कीमत भी सफेद रुगड़े के मुकाबले ज्यादा है. वैसे आपको बता दें कि रुगड़ा मशरूम की ही एक किस्म है. दुनिया भर में 2000 से ज्यादा किस्म के मशरुम पाए जाते हैं जिनमें से 283 किस्म के मशरुम भी मानव के खाने लायक हैं. अब तो मशरूम की खेती फॉर्म पर भी होने लगी है लेकिन, रुगड़ा यह तो केवल और केवल प्रकृति की गोद में ही मिलता है. मतलब इसे तमाम प्रयासों के बावजूद भी फॉर्म पर उगाया नहीं जा सका है. इसके साथ ही यह रुगड़ा मशरूम शायद दुनिया का एक ऐसा मशरूम है जो जमीन के गर्भ में होता है.
इस रुगड़ा में बेशुमार मात्रा में प्रोटीन और फ़ाइबर होता है इसके साथ ही यह आपकी इम्युनिटी भी बढ़ाता है. बीपी, शुगर और दिल के मरीज़ों के लिए तो यह प्रकृति का वरदान है. इसका इस्तेमाल झारखंड के आदिवासी आयुर्वेदिक दवाई के रूप में भी करते हैं. इसे पुटकल या मुंडारी भाषा में इसे पुट्टू भी कहा जाता है. हालांकि यह पश्चिम बंगाल और ओडिशा के जंगलों में भी होता है लेकिन इसी बहुतायत मात्रा झारखंड में ही पायी जाती है. यह विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन बी 12, विटामिन डी, फोलिक एसिड, लवण, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, तांबा और राइबोलोन, थायमिन का खजाना है. इसे 1000 से लेकर 2000 रुपए किलो तक की कीमत पर बेचा जाता है.
मतलब साफ है कि ये शाकाहारी मटन आपको साल में केवल 2 महीने ही उपलब्ध होगा. रूगड़ा कैंसर और पेट की बीमारी के लिए भी काफी फायदेमंद है. ऐसे में मौका मिले तो इस झारखंड में उगनेवाली औषधी समान शाकाहारी मटन का सेवन एक बार जरूर करें.