झारखंड: अंकिता के मर्डर पर मुखर बीजेपी, सुनीता पर मौन क्यों?
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झारखंड: अंकिता के मर्डर पर मुखर बीजेपी, सुनीता पर मौन क्यों?

अंकिता केस की डिटेलिंग चूंकि चीख-चीख कर बताई गई है इसलिए मैं थोड़ी डिटेलिंग सुनीता केस की भी जानना जरूरी है. 

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

रांची: Ankita Murder Case: राजनीति की चाल और चरित्र देखिए. दोहरा चेहरा देखिए. झारखंड में एक सिरफिरे आशिक ने एक लड़की को जलाकर मार डाला. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. बीजेपी इस मामले को लेकर आंदोलनरत है. झारखंड में ही एक और लड़की पर आठ साल तक जुल्म हुआ. आरोपी बीजेपी की नेता है. लेकिन बीजेपी इस मुद्दे पर मुखर नहीं. 

दरअसल, पहला केस दुमका का है जहां शाहरुख नाम के शख्स ने एकतरफा प्यार में अंकिता नाम की लड़की को जिंदा जला दिया. मामला जघन्य है, इसकी जितनी निंदा हो, कम है लेकिन ये क्या कि किसी के दर्द में भी सेलेक्टिव हुआ जाए. और जब कोई किसी के दर्द में भी सियासत की सुविधा देखने लगे तो शक होता है कि उसे अपनी राजनीति की परवाह है या फिर पीड़ित की.

अंकिता केस की डिटेलिंग चूंकि चीख-चीख कर बताई गई है इसलिए मैं थोड़ी डिटेलिंग सुनीता केस की भी जानना जरूरी है. सुनीता पर आठ साल जुल्म ढाया गया. उसके दांत तोड़ दिए गए. गर्म तवे से उसे दागा गया. उसे इतना पीटा गया कि वो चलने फिरने के काबिल नहीं रही. फिर उसे एक कमरे में बंद कर दिया. 

वो घसीट कर चलती है अब. आरोप है कि उसपर जुल्म ढाने वाली महिला ने उससे मुंह से पेशाब साफ करवाया. और ये सब करने वाली महिला आरोपी एक बीजेपी नेता है. जिसे अब पार्टी ने सस्पेंड कर दिया है. ये जानकर और ताज्जुब होता है कि आरोपी महिला सीमा पातरा बीजेपी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की प्रदेश संयोजक है. कम से कम इस नाम से मौजूद एक फेसबुक पेज पर तो यही लिखा है. 

झारखंड से बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे दुमका केस में ट्वीट की बौछार किए हुए हैं, लेकिन उन्हें सुनीता का दर्द नहीं दिखता. बाबूलाल मरांडी सुनीता केस में चुप्पी पर सवाल उठने के बाद एक ट्वीट करते हैं. अंकिता के घर दिल्ली से बीजेपी नेता दुमका पहुंच रहे हैं. लेकिन सुनीता से मिलने कोई नहीं गया. आखिर क्यों? 

हकीकत ये है कि नेता चाहें किसी पार्टी के हों, उन्हें औरतों की सिसकियों में सियासत दिखती है. हकीकत ये है कि महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने में हर सरकार नाकाम रही है. और इसका सबूत NCRB का 2021 का डेटा भी दे रहा है. 

निर्भया केस पर सियासत कर सत्ता पाने वाली पार्टी के राज में आलम ये है कि देश में हर 24 घंटे में 86 महिलाएं रेप का शिकार हो रही हैं. हर 24 घंटे में 206 लड़कियां अगवा हो रही हैं.

कांग्रेस शासित राजस्थान में सबसे ज्यादा रेप हो रहे हैं तो बीजेपी शासित मध्य प्रदेश रेप के मामले में नंबर दो पर है. 2020 की तुलना में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध 15 फीसदी बढ़ गए हैं. औसतन हर 74 सेकंड में महिलाओं के खिलाफ एक अपराध दर्ज हो रहा है. याद रखिएगा कि ये दर्ज मामले हैं. असल केस इससे ज्यादा हो सकते हैं. 

जाहिर है महिला वोटों पर लार टपकाने वाले नेता महिलाओं के दर्द पर सिर्फ घड़ियाली आंसू टपकाते हैं. डेटा गवाही दे रहा है कि जमीन पर कानून-व्यवस्था बदतर हुई है. खैरे चलिए अब सुनीता और अंकिता पर लौटते हैं. अगर महिलाओं की सुरक्षा पर सियासत की सहूलियत से हल्ला मचाएंगे तो महिलाओं के खिलाफ अपराध कम नहीं होंगे. इस पार्टी, जाति और धर्म की लाइन से ऊपर उठकर काम करना होगा.

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