झारखंड सरकार का केंद्र के पास करोड़ों बकाया, कंपनसेशन बढ़ाने की उठी मांग
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झारखंड सरकार का केंद्र के पास करोड़ों बकाया, कंपनसेशन बढ़ाने की उठी मांग

झारखंड सरकार लगातार केंद्र सरकार से अपने बकाए भुगतान की मांग को लेकर आवाज बुलंद कर रही है. इतना ही नहीं जीएसटी कंपनसेशन को 5 साल के लिए बढ़ाने की मांग की गई है. 

झारखंड सरकार का केंद्र के पास करोड़ों बकाया, कंपनसेशन बढ़ाने की उठी मांग

Ranchi: झारखंड सरकार लगातार केंद्र सरकार से अपने बकाए भुगतान की मांग को लेकर आवाज बुलंद कर रही है. इतना ही नहीं जीएसटी कंपनसेशन को 5 साल के लिए बढ़ाने की मांग की गई है. जुलाई 2022 से कंपनसेशन व्यवस्था खत्म होने से झारखंड को हजारों करोड़ के नुकसान की संभावना है. 

प्री बजट बैठक में पहुंचे वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव
दिल्ली की बैठक में भाग लेकर वापस लौटे वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने बताया कि वित्त मंत्री भारत सरकार के द्वारा आहूत प्री बजट बैठक आयोजित की गई थी. बजट बनाने से पहले इस पर एक होल्डर समेत तमाम लोगों से बातें होती हैं. उनकी बातों को शामिल किया जाता है. इसी संबंध में बैठक हुई थी. 

5 साल कंपनसेशन बढ़ाने की मांग
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने बताया कि बैठक में झारखंड की समस्याओं को बजट में लाना चाहिए, इस संबंध पर बातें हुई. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को रेवेन्यू चाहिए और जीएसटी में रेवेन्यू मिल भी रहा है. लेकिन साल भर के हिसाब से 45100 का घाटा चल रहा है. इसलिए केंद्र सरकार से मांग की गई है कि क्षतिपूर्ति को 5 साल के लिए बढ़ाया जाए. जिसके लिए अन्य राज्यों ने भी सपोर्ट किया है. 

136 लाख करोड़ों रुपए केंद्र सरकार के पास बकाया
रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य में कई कोयला कंपनियां काम कर रही हैं. सरकार से जमीन लेती है, लेकिन मुआवजा पूरी तरीके से नहीं मिल पाता हैं और जानकारी के मुताबिक 136 लाख करोड़ों रुपए केंद्र सरकार का बकाया है. वह अगर वापस मिलता है तो आय बढ़ेगी, जिससे राज्य का विकास होगा. वहीं उन्होंने खनन कार्य पूर्ण होने के बाद भी इलाके को उसी स्थिति में छोड़ जाने पर भी चिंता जाहिर की है. 

राज्य को मिलेगा कंपनसेशन से फायदा
उन्होंने आगे बताया कि लोगों को रेलवे ओवरब्रिज बनाने के लिए जमीन दी गई है और कंपनसेशन के तौर पर 20 प्रतिशत केंद्र देती है. जबकि आधा-आधा होना चाहिए. वहीं उन्होंने बताया कि सामाजिक पेंशन के तहत सभी पेंशन धारकों को 1000 देते हैं. जबकि केंद्र की तरफ से 200 या फिर 300 रुपये दिए जाते हैं. जिसके कारण राज्य सरकार का खर्च ज्यादा होता है, इसलिए मांग की गई है कि उस राशि को भी बढ़ाया जाए ताकि राज्य सरकार को राहत मिल सके. 

(रिपोर्टर-कामरान जलीली)

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