माता का आशीर्वाद पाने बूढ़ी काली की शरण में जाएंगे शाह, जानिए क्या है मंदिर का इतिहास
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माता का आशीर्वाद पाने बूढ़ी काली की शरण में जाएंगे शाह, जानिए क्या है मंदिर का इतिहास

मंदिर के मुख्य पुजारी मलय मुखर्जी के अनुसार किशनगंज का बुढ़ी काली माता मंदिर काफी प्राचीन माना जाता है. मंदिर भवन में इसके स्थापित होने की तिथि भले ही सन 1902 अंकित है, लेकिन यह मंदिर उससे भी काफी पुराना बताया जाता है. 

माता का आशीर्वाद पाने बूढ़ी काली की शरण में जाएंगे शाह, जानिए क्या है मंदिर का इतिहास

किशनगंज : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार में सीमांचल के दौरे पर हैं. अमित शाह इस दौरे में बिहार के ऐतिहासिक मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करेंगे. अमित शाह देश के पहले गृह मंत्री है जो बूढ़ी काली माता मंदिर में मां का आशीर्वाद लेने आ रहे हैं. शनिवार की सुबह 9.30 बजे अमित शाह मंदिर आएंगे और करीब 15 मिनट यहां रुकेंगे. शाह का माता के दर्शन करने के साथ प्रसाद चढ़ाने का कार्यक्रम है. 

बूढ़ी काली मंदिर मंदिर में हर इच्छा होती है पूरी
मंदिर के मुख्य पुजारी मलय मुखर्जी के अनुसार किशनगंज का बूढ़ी काली माता मंदिर काफी प्राचीन माना जाता है. मंदिर भवन में इसके स्थापित होने की तिथि भले ही सन 1902 अंकित है, लेकिन यह मंदिर उससे भी काफी पुराना बताया जाता है. 1902 के सर्वे में इस मंदिर के मौजूद होने की पुष्टि की गई है, जिसका मतलब है कि इसकी स्थापना 1902 से पूर्व हुई थी. शुरू से ही इस मंदिर में मूर्ति दान की परंपरा रही है, लेकिन मूर्ति दान के लिए भक्तों को कई वर्षों का इंतजार करना पड़ता है. अभी आने वाले 20 साल तक मूर्ति दान करने के लिए वेटिंग लिस्ट है. अगले 20 साल तक मूर्ति दान करने के लिए बुकिंग हो चुकी है. आज के समय में कोई मूर्ति दान करना चाहेगा तो उसको 20 साल इंतजार करना पड़ेगा.  साथ ही इस मंदिर में भक्तों की बहुत आस्था है और लोग दूर दराज से आते हैं. यहां आने वाले की मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं.

मनोकामना पूरी होने पर दी जाती है बली
इस मंदिर के लेकर विभिन्न तरह की आस्था भरी बातें प्रचलित है. मंदिर को लेकर कहा गया है कि इस मंदिर के प्रति भक्तों में इतना श्रद्धा और विश्वास है कि यहां मूर्ति दान की होड़ लगी रहती है. अगर कोई मूर्ति दान की इच्छा रखता है तो उसे 21 साल तक प्रतीक्षा करनी होगी. बूढ़ी काली मंदिर में हर वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या को भव्य रूप में निशा पूजा होती है, जिसमें सुदूर क्षेत्रों से आए बड़ी संख्या में भक्त इस निशा पूजा में शामिल होते हैं. वर्तमान पुजारी मलय मुखर्जी के पूर्वजों द्वारा मंदिर में कई पीढ़ियों से पूजा करने की परंपरा कायम है. यहां बलि भी दी जाती है. मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त मां काली की प्रतिमा के समक्ष स्थापित बलि वेदी में मां काली को बलि अर्पित करते हैं.

इन्होंने माता के मंदिर की स्थापना के लिए दी थी जमीन
बता दें कि करीब 250 साल पहले नवाब असद रजा ने इस मंदिर की स्थापना के लिए अपनी जमीन दान दी थी. असद रजा इस क्षेत्र में पगला राजा के नाम से विख्यात हैं. सीमांचल में असद रजा द्वारा मंदिर के लिए जमीन के दान करने के पीछे भी कई तरह के किस्से यहां प्रचलित हैं. किशनगंज शहर में स्थित माता बूढ़ी काली के इस प्राचीन मंदिर पर लोगों की अटूट श्रद्धा है और विश्वास वर्षों से बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर सिद्ध है और इसमें अनंत शक्ति विद्यमान है. बूढ़ी काली मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर मां काली भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

मंदिर की दीवार पर बनाई गई पेंटिंग
बता दें कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह की आने की खुशी में ऐतिहासिक बूढ़ी काली मंदिर परिसर में जगह-जगह विभिन्न प्रकार से सजाया जा रहा है. मंदिर परिसर की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग की कला कृतियां की गई है. शहर की ही कुछ छात्राओं के द्वारा मंदिर की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग बनाई है. जानकारी के लिए बता दें कि बूढ़ी काली मंदिर में आराधना के बाद गृहमंत्री का संभावित कार्यक्रम जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर टेढ़ागाछ प्रखंड में है, जहां नेपाल बॉर्डर है और गृहमंत्री वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे.

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