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पटना: JDU Internal Politics: जनता दल(यू) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिल्ली में चल रही है. एक तरफ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इस्तीफे की पेशकश की वहीं नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए नाम का प्रस्ताव भी रखा गया. अब आपको बता दें कि पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो रही है. जिसमें इस पर मुहर भी लग जानी है. यानी बिहार में सीएम की कुर्सी के साथ ही नीतीश कुमार पार्टी की कमान भी अपने हाथ में रखेंगे. हालांकि इसके साथ ही एक विचित्र बात यह है कि पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तो होती रही है लेकिन पार्टी के गठन के समय 2003 में जो राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई थी जब समता पार्टी और लोक शक्ति पार्टी का विलय होकर जेडीयू का गठन हुआ था उसके बाद से 20 साल बाद पार्टी के राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो रही है.
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नीतीश कुमार जब इस बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली से पटना रवाना होनेवाले थे तो सूत्रों की मानें तो उनकी पटना में पार्टी नेताओं से बैठक हुई थी और तब पार्टी के अधिकतर नेताओं ने नीतीश कुमार को यह सुझाव दिया था कि पार्टी को एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन जाना चाहिए. ऐसे में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी की ऐसा कुछ होनेवाला है या नहीं.
इस सब के बीच पार्टी के नेता अपनी-अपनी राय जरूर रख रहे हैं. ऐसे में बेगूसराय के मटिहानी से पार्टी के पूर्व विधायक रहे नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने जो कहा है वह नीतीश कुमार एंड पार्टी को समझना होगा. बोगो सिंह की मानें तो नीतीश कुमार अपना काम बेहतर तरीके से कर रहे हैं. इस सब के बीच अब उन्हें वह गलती एक बार करनी होगी जिसकी जरूरत है. उनकी मानें तो एनडीए में एक बार फिर से शामिल होने की गलती उन्हें दोहरानी होगी. क्योंकि अगर वह इस गलती को नहीं करेंगे तो उनका बेड़ा पार होना मुश्किल है.
वह बिहार में जारी राजनीतिक अस्थिरता के माहौल से काफी दुखी हैं. ऐसे में उनका मानना है कि नीतीश कुमार की छवि एक विकास पुरुष की थी और उनके सलाहाकार टीम से एक बहुत बड़ी भयानक भूल हो गई. जिसकी वजह से बिहार में यह स्थिति पैदा हुई है.
उन्होंने आगे कहा कि नीतीश के सलाहकारों ने उनके द्वारा तैयार विकास पुरुष की छवि वाले इतिहास को उन्हीं के हाथों से मिटवाने का काम किया है. जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हो गए हैं. ऐसे में नीतीश कुमार को भी इस बात का एहसास हो गया है. ऐसे में उन्हें अपनी गलती को दोहराना होगा और एनडीए में वापसी करनी होगी क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई रास्ता शेष नहीं बचता है.