UPSC रिजल्ट की लड़ाई में बिहार का तुषार ही असली, जानिए क्या है असली-नकली कैंडिडेट्स की कहानी?
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UPSC रिजल्ट की लड़ाई में बिहार का तुषार ही असली, जानिए क्या है असली-नकली कैंडिडेट्स की कहानी?

44वीं रैंक और 184वीं रैंक को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. इन दोनों रैंक के लिए 2-2 कैंडिडेट्स ने दावा ठोंका था. दोनों के नाम और रोल नंबर भी एक थे. 

 

असली-नकली कैंडिडेट्स की कहानी

UPSC 44 Rank Controversy: 23 मई को UPSC का रिजल्ट जारी किया गया था. संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में हमेशा की तरह इस बार भी बिहार के कैंडिडेट्स का बोलबाला रहा. फर्स्ट एंड सेकेंड टॉपर के साथ बिहार के 50 से अधिक कैंडिडेट्स ने सफलता हासिल की. यूपीएससी के रिजल्ट में इस बड़ा फर्जीवाड़ा देखने को मिला. 44वीं रैंक और 184वीं रैंक को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. इन दोनों रैंक के लिए 2-2 कैंडिडेट्स ने दावा ठोंका था. दोनों के नाम और रोल नंबर भी एक थे. 

44वीं रैंक के लिए बिहार के तुषार और हरियाणा के तुषार के बीच मुकाबला था. एक ही रोल नंबर के दो एडमिट कार्ड दिखाकर हरियाणा और बिहार के तुषार कुमार ने 44वीं रैंक हासिल करने का दावा किया था. रिजल्ट के बाद दोनों के घरों में जश्न का माहौल था. मीडिया में दोनों इंटरव्यू देने में लगे थे. अब इसका फैसला हो चुका है. UPSC के मुताबिक, बिहार का तुषार ही असली है, जबकि हरियाणा के तुषार ने फर्जीवाड़ा करने की कोशिश की.

बिहार के भागलपुर के उधाडही गांव के रहने वाले तुषार मौजूदा समय में कैमूर के मोहनिया में अवर निर्वाचन पदाधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. उन्होंने 6वीं बार में यूपीएससी की परीक्षा में बड़ी सफलता हासिल की है. उनकी मेहनत का फल लेने के लिए हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले तुषार ने फर्जी कागजात बना लिए और खुद को 44वीं रैंक का कैंडिडेट़्स बताकर नई कहानी सुना दी. अब UPSC ने फाइनल कर दिया है कि हरियाणा के तुषार की कहानी पूरी तरह से झूठी है. UPSC ने हरियाणा के तुषार पर अब कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है.

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इसी तरह 184वीं रैंक पर एमपी के देवास की आयशा फातिमा और अलीराजपुर की आयशा मकरानी अपना-अपना दावा कर रहीं थीं. UPSC  के मुताबिक, आयशा मकरानी ने रिजल्ट को अपने पक्ष में करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है. यूपीएससी के अनुसार, आयशा मकरानी ने प्रारंभिक परीक्षा में हिस्सा ली थी, लेकिन क्वालिफाई नहीं कर पाई थी. यूपीएससी का वॉटर मार्क देवास की आयशा फातिमा के एडमिट कार्ड में लगा हुआ है. जबकि, मकरानी के केस में वह सादा कागज पर प्रिंट आउट जैसा लग रहा है. 

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