नीतीश कुमार की लव-कुश वाली राजनीति पर बिजली गिराने के फेर में बीजेपी, सम्राट के रूप में चल दिया तुरुप का इक्का
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नीतीश कुमार की लव-कुश वाली राजनीति पर बिजली गिराने के फेर में बीजेपी, सम्राट के रूप में चल दिया तुरुप का इक्का

बिहार की राजनीति में कुशवाहा समाज की पूछ बढ़ गई है. दरअसल, ओबीसी के सबसे बड़े वर्ग यादव वोटों पर राजद का एक तरह से कब्जा है तो कुर्मी वोटर नीतीश कुमार को वोट करते हैं. अब ओबीसी में यादवों के बाद सबसे ताकतवर समुदाय पर सबकी नजर है.

सम्राट चौधरी, बिहार बीजेपी के नवनियुक्त अध्यक्ष

बिहार की राजनीति में कुशवाहा समाज की पूछ बढ़ गई है. दरअसल, ओबीसी के सबसे बड़े वर्ग यादव वोटों पर राजद का एक तरह से कब्जा है तो कुर्मी वोटर नीतीश कुमार को वोट करते हैं. अब ओबीसी में यादवों के बाद सबसे ताकतवर समुदाय पर सबकी नजर है. ललन सिंह ने जब जेडीयू की टीम का ऐलान किया तब भी कुशवाहा वर्ग के नेताओं की बहार आ गई और अब बीजेपी ने तो कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को तो प्रदेश अध्यक्ष ही बना दिया. बोनस में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के पाले में पहले से जाते दिख रहे हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद से पूरे देश में तो बीजेपी पिछड़ों को लामबंद करने में सफल रही है लेकिन बिहार में बीजेपी की यह रणनीति अभी तक कामयाब नहीं हो पाई है. ऐसा इसलिए हुआ कि बिहार में पिछड़ों के सबसे बड़े नेता लालू प्रसाद यादव हुआ और उनसे मुकाबले के लिए नीतीश कुमार सामने आ गए, जो खुद पिछड़ा वर्ग कुर्मी समुदाय से आते हैं. इसलिए पीएम मोदी और अमित शाह की रणनीति अब तक बिहार में सफल नहीं हो पाई. अब बीजेपी बिहार में पिछड़ा कार्ड खेल चुकी है तो माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 में इसका फायदा हो सकता है. 

बिहार में माना जाता है कि ओबीसी में यादवों के बाद सबसे बड़ी आबादी वाला समुदाय कुशवाहा समुदाय है. बिहार में कुशवाहा वोटर करीब 7 से लेकर 9 फीसद तक हैं. अब तक नीतीश कुमार इसका लाभ लेते रहे तो उपेंद्र कुशवाहा के अलग होने के बाद दोनों नेताओं को अलग अलग इसका लाभ मिलता रहा. कुशवाहा समाज की परेशानी यह है कि कुर्मियों से संख्या में आगे होने पर भी वे नीतीश कुमार के साथ बने रहे और उनके नेता को उभार का उस तरह से कोई मौका ही नहीं मिला. इसलिए कुशवाहा समाज अब नीतीश कुमार से पीछा छुड़ाकर अपने नए नेतृत्व को खोज रहा है. बीजेपी ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कुशवाहा समाज को एक विकल्प दे दिया है. 

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा उत्तर बिहार तो सम्राट चौधरी दक्षिण बिहार में कुशवाहा समाज को गोलबंद कर सकते हैं और ऐसा कर वे दोनों नेता नीतीश कुमार की लव कुश वाली राजनीति पर बिजली गिरा सकते हैं. पिछले उपचुनावों में देखा गया कि कुशवाहा समाज बीजेपी के प्रति निष्ठा दिखा रहा है. उसके बाद से ही शायद बीजेपी के रणनीतिकारों के दिमाग में कुशवाहा समाज को नेतृत्व देने का ख्याल जोर पकड़ने लगा था. अब सम्राट चौधरी को कमान देकर बीजेपी ने सियासी तुरुप का इक्का चल दिया है.

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