टिकट की चाह में गुप्तेश्वर पांडेय बने ‘बाबा’ तो लालू ने डीपी ओझा का बांध दिया ‘बोझा’, बिहार में ऐसा रहा है खाकी से खादी होने का सफर
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टिकट की चाह में गुप्तेश्वर पांडेय बने ‘बाबा’ तो लालू ने डीपी ओझा का बांध दिया ‘बोझा’, बिहार में ऐसा रहा है खाकी से खादी होने का सफर

Bihar News: बिहार में खाकी और खादी का काफी पुराना रिश्ता रहा है. कई बार ऐसा देखने को मिला है कि खाकी वाले लोग अपनी नौकरी छोड़कर खादी में अपना भाग्य आजमाने आ जाते हैं. जिसमें ज्यादातर लोगों को असफलता ही मिली है.

बिहार पुलिस

पटना: बिहार पुलिस में सिंघम के नाम से नवाजे जा चुके तेजतर्रार और चर्चित आईपीएस शिवदीप वामनराव लांडे से अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने ई-मेल से राज्य सरकार को इस्तीफा भेज दिया है. शिवदीप लांडे के इस्तीफा के बाद से ही चर्चा तेज हो गई वो राजनीति में जा सकते हैं. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि शिवदीप लांडे प्रशांक किशोर की जन सुराज को ज्वाइन कर सकते हैं और बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. बता दें कि शिवदीप लांडे पहले ऐसे पुलिस अधिकारी नहीं हैं जिन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़कर पॉलिटिक्स ज्वाइन की है. इससे पहले भी कई अधिकारी ऐसा कर चुके हैं. जिसमें कुछ को सफलता मिली तो कुछ सफलता से कोसों दूर हैं.

बीते कुछ सालों में कई ऐसे नौकरशाह रहे हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा है. इनमें डीजीपी रहे डीपी ओझा हों या फिर गुप्तेश्वर पांडेय, यहां तक कि आशीष रंजन, अशोक गुप्ता तक ने राजनीति में कदम रखा. हालांकि, सियासत में इन्हें कोई खास पहचान नहीं मिल सकी.शहबुद्दीन प्रकरण से चर्चा में आए पूर्व डीजीपी डीपी ओझा ने पुलिस की नौकरी छोड़कर बेगुसराय से निर्दलीय चुनाव लड़े और उन्हें बुरी तरह हार मिली. डीपी ओझा जब पुलिस सेवा में थे तब भी उनकी शख्सियतराजनीति से जुड़ी हुई थी. मो. शहाबुद्दीन के लिए जेल का दरवाजा खोलने वाले डीजी ओझा के लिए लालू यादव अपनी रैलियों में कहा करते थे कि हमने डीपी ओझा का बोझा बांध दिया है. ओझा 1967 बैच के आईपीएस थे.

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने चुनावी जंग में उतरने के लिए वीआरएस तक ले लिया, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वो पुलिस सेवा में वापस आ गए. अवकाश प्राप्त के बाद गुप्तेश्वर पांडे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की सदस्यता भी ली. मगर नीतीश कुमार से रेस्पॉन्स नहीं मिने के बाद उन्होंने बीजेपी की तरफ कदम बढ़ाए. जब वहां भी तरजीह नहीं मिली तो उन्होंने वैराग्य अपना लिया. अब वो प्रवचन देकर लोगों की जिंदगी में खुशियां और उम्मीद भरने का काम रहते हैं.

पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा ने पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम बढ़ाए. सबसे पहले उन्होंने लालू यादव की पार्टी आरजेडी की सदस्यता ली. लेकिन यहां जब उन्हें राजनीतिक रास नहीं आई और तो कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने नालंदा से लोकसभा चुनाव भी लेकिन वह तीसरे नंबर पर रह गए. इसके बाद वो बीजेपी में आ गए.

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बिहार के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार गुप्ता ने भी राजनीति में अपनी किस्मक आजमाई. नौकरी छोड़कर उन्होंने पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के चुनाव भी लड़ा लेकिन इस चुनाव में उनकी जमानत भी जब्त हो गई.

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