कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के फोन के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी अब नीतीश की राह आसान करती हुई नजर आ रही हैं. सोनिया गांधी ने मंगलवार (11 अप्रैल) को एक बार फिर से पीएम मोदी पर निशाना साधा.
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Congres on nititsh kumar: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी की ओर से पीएम मोदी ही नेतृत्व करेंगे, जबकि विपक्ष से पीएम पद के लिए नीतीश कुमार अपनी दावेदारी कर रहे हैं. मोदी को हटाने के लिए विपक्ष का एकजुट होना बहुत जरूरी है. विपक्षी एकता में अबतक का रोड़ा रही कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की सांसदी जाते ही सरेंडर करती दिख रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के फोन के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी अब नीतीश की राह आसान करती हुई नजर आ रही हैं. सोनिया गांधी ने मंगलवार (11 अप्रैल) को एक बार फिर से पीएम मोदी पर निशाना साधा. मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए उन्होंने विपक्षी एकता की बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा के लिए कांग्रेस पार्टी सभी समान विचारधारा वाले दलों से हाथ मिलाएगी.
नीतीश कुमार की राह आसान हुई
सोनिया गांधी के बयान से लगता है कि कांग्रेस पार्टी अब नीतीश के पीछे खड़े होने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लोकतंत्र और संविधान को नष्ट कर रही है. इसकी रक्षा के लिए कांग्रेस समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों के साथ मिलकर काम करेगी. उनकी पार्टी बीजेपी की कारगुजारी का सीधा संदेश लोगों तक ले जाएगी. इससे पहले खड़गे ने नीतीश कुमार को फोन किया था. जानकारी के मुताबिक, खड़गे ने नीतीश से आगे बढ़ने के लिए कहा था.
विपक्षी नेताओं से मिल रहे नीतीश
खड़गे के फोन के बाद नीतीश कुमार एक्टिव हो गए हैं. वह इन दिनों दिल्ली में हैं और विपक्षी नेताओं से मुलाकात करने में लगे हैं. मंगलवार (11 अप्रैल) को उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की. अब वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात करेंगे. एनसीपी प्रमुख शरद यादव से भी मुलाकात की योजना है.
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पिछली कोशिश हो गई थी असफल
परिस्थितियों को समझने के लिए नीतीश अभी विपक्षी दलों के नेताओं से अलग-अलग मुलाकात करेंगे, फिर कॉमन मीटिंग की तारीख तय होगी. पिछली बार नीतीश की कोशिशों पर पलीता लग गया था. कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को ही आगे किया जा रहा था. जिसके बाद उन्होंने तीसरे मोर्चे के गठन की कोशिश की थी, लेकिन इसमें ममता बनर्जी का सहयोग नहीं मिला था.