अगर किसी के जीवन में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो तो ऐसे जातक का जीवन काफी कठिनाइयों से भरा हो जाता है. वहीं अगर आपकी कुंडली में शनि ग्रह नीच का या क्रुर हो तो भी आपकी जिंदगी परेशानियों से भर जाती है.
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पटना: अगर किसी के जीवन में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो तो ऐसे जातक का जीवन काफी कठिनाइयों से भरा हो जाता है. वहीं अगर आपकी कुंडली में शनि ग्रह नीच का या क्रुर हो तो भी आपकी जिंदगी परेशानियों से भर जाती है. ऐसे में आपको कहा जाता है कि आप शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में उनके शुभ फल पाने के लिए भगवान शिव, भगवान हनुमान और शनि देव की पूजा करें.
ऐसे में लोगों को यह भी कहा जाता है कि आप शमी के पौधे की पूजा करें इससे आपके जीवन में आ रही कठिनाईयों से मुक्ति मिलेगी. ज्यादातर लोग इस बात को केवल जानते हैं कि शनि ग्रह के दोषों से मुक्ति पाने के लिए या शनि की कृपा पाने के लिए शमी के पौधे को घर में लगाकर रखना और इसकी पूजा करना चाहिए. लेकिन कम लोग जानते होंगे कि शमी का पौधा भगवान शिव, सिद्धि दाता गणेश और प्रभु श्रीराम को भी अत्यंत प्रिय है और साथ ही मां शक्ति की कृपा भी इस पौधे की पूजा से बनी रहती है.
शमी की पूजा से मिलती है भगवान शनि की कृपा
शमी की पूजा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है.
इसके जड़ को शनि रत्न के रूप में धारण किया जाता है.
शमी के पौधे को पूरे नियम और निष्ठा से घर में लगाने और इसकी पूजा करने से परिवार में व्याप्त धन का अभाव और दरिद्रता दूर होती है.
शमी के पौधे की जड़ में शिवलिंग स्थापित कर इसकी विधि-विधान से पूजा करने पर स्वयं या परिवार में किसी को भी कोई रोग हो तो वह जल्दी ही दूर होता है.
विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए शनिवार से प्रारंभ करते हुए लगातार 45 दिनों तक शाम के समय शमी के पौधे में घी का दीपक लगाने और सिंदूर से पूजन करने से शीघ्र विवाह का योग बनता है. शनि दोष समाप्त होता है.
शमी के पौधे को घर में लगाने और नियमित पूजा से शनि का जन्मकुंडली में दोष और पीड़ा समाप्त होती है.
आपके जीवन में यदि शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही है तो नियमित रूप से शमी के पौधे पूजा करें. राज इसकी जड़ में जल डालें, शाम के समय यहां दीपक जलाएं. शनिवार को पौधे की जड़ में काले तिल और काले उड़द अर्पित करें. इससे शनि का दुष्प्रभाव कम होता.
बार-बार दुर्घटना होने की स्थिति में शमी के पौधे के नियमित पूजा और दर्शन करना चाहिए इससे होनेवाली दुर्घटनाएं टलती हैं.
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