बिहार के सहरसा का एकमात्र पर्यटन स्थल मत्स्यगंधा झील का अस्तित्व इन दिनों खतरे में है. जिस झील में कभी लबालब पानी हुआ करता था, उस झील का पानी मई के महीने में ही पूरी तरह से सूख गया है. झील पूरी तरह सूखने के कगार पर आ गई है.
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सहरसाः बिहार के सहरसा का एकमात्र पर्यटन स्थल मत्स्यगंधा झील का अस्तित्व इन दिनों खतरे में है. जिस झील में कभी लबालब पानी हुआ करता था, उस झील का पानी मई के महीने में ही पूरी तरह से सूख गया है. झील पूरी तरह सूखने के कगार पर आ गई है. जिससे यहां नौका बिहार की व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो चुका है.
पूरी तरह से सूखने की कगार पर मत्स्यगंधा झील
ऐसे में यहां दूर दराज से घूमने आने वाले पर्यटकों को निराशा हाथ लग रही है. बता दें कि जिला प्रशासन द्वारा मत्स्यगंधा झील में मत्स्य पालन से लेकर सैलानियों के लिए नौका बिहार की व्यवस्था की गई है. जिससे जिला प्रशासन को करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन जिला प्रशासन की उदाशीनता के कारण आज मत्स्यगंधा झील पूरी तरह से सूखने के कगार पर है.
झील टापू में तब्दील
वहीं झील टापू में तब्दील हो चुकी है. इस मत्स्यगंधा झील का जिस वक्त निर्माण हुआ था, उस वक्त तत्कालीन डीएम टी.एन. लाल दास ने मत्स्यगंधा झील में पानी की कमी को दूर करने के लिए झील को एक नहर से कनेक्ट किया था, लेकिन समय बीतता गया और झील में पानी देने वाला श्रोत वह नहर आज अतिक्रमण की चपेट में है. ऐसे में मत्स्यगंधा झील का अस्तित्व एक बार फिर खतरे में है और यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को मायूसी हाथ लग रही है.
पर्यटकों को होना पड़ रहा निराश
वहीं पानी की कमी होने के वजह से बोट परिचालन पर भी असर पड़ता दिख रहा है. मत्स्यगंधा झील में नौका बिहार का आनंद लेने के लिए आने वाले पर्यटकों को वापस लौटना पड़ रहा है. वहीं अब बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां शुरु होने वाली है. जिसमें बहुत से लोगों का यहां आने का प्लान भी बनेगा, लेकिन निराश होकर उन्हें फिर वापस जाना पड़ेगा.
इनपुट- विशाल कुमार
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