प्रशांत किशोर बोले- नीतीश कुमार खुद नहीं चाहते बिहार को मिले विशेष राज्य का दर्जा
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प्रशांत किशोर बोले- नीतीश कुमार खुद नहीं चाहते बिहार को मिले विशेष राज्य का दर्जा

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से प्रदेश को ज्यादा लाभ नहीं होगा. बिहार में आईटी पार्क नहीं है, बिहार में चीनी मिल नहीं है, इन समस्याओं का विशेष राज्य से कोई लेना देना नहीं है.

प्रशांत किशोर बोले- नीतीश कुमार खुद नहीं चाहते बिहार को मिले विशेष राज्य का दर्जा

पटना: सारण के छपरा में जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशात किशोर ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार और अन्य दल तभी करते हैं, जब उनको उसका राजनीतिक लाभ हो. नीतीश कुमार जब केंद्र के विपक्ष में होते हैं, तब वो विशेष राज्य की मांग करते हैं. नीतीश कुमार के 17 साल के शासनकाल में 15 साल वो भाजपा के साथ सरकार में रहे है और उन 15 सालों में करीब 10 साल भाजपा केंन्द्र में रही है, उसके बाद नीतीश कुमार ये कहते हैं कि केंद्र सरकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे रही है.

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से प्रदेश को ज्यादा लाभ नहीं होगा. बिहार में आईटी पार्क नहीं है, बिहार में चीनी मिल नहीं है, इन समस्याओं का विशेष राज्य से कोई लेना देना नहीं है. जब चंपारण और सारण प्रमंडल में 50 चीनी मिल थे, तब उस समय बिहार विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं था, लेकिन आज विशेष राज्य की मांग को राजनीति से जोड़ दिया गया है.

आपराधिक घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पदयात्रा के दौरान पिछले 2 महीने से कानून व्यवस्था को लेकर लोगों की चिंता के बारे में सबसे ज्यादा सुन रहा हूं. जब चंपारण से पदयात्रा शुरू हुई थी तब एक दो लोग कहते थे कि महागठबंधन के सत्ता में आने के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, लेकिन पिछले 2 महीने से सुनने को मिल रहा है कि कानून व्यवस्था बहुत तेजी से बिगड़ी है. लोग सिवान और छपरा में हर दिन हत्या, लूटपाट, डकैती, रंगदारी जैसे मामले की चर्चा कर रहे है. पूरे बिहार में इस साल 15 से ज्यादा मुखिया और 6 से ज्यादा सरपंचों को गोली मार दी गई है. बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था पिछले 2 महीनों में एक गंभीर समस्या बन गई है.

प्रशांत ने कहा कि बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि जैसे 10 बड़े क्षेत्रों में बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल कराने की योजना बना रहे हैं. लोग सही तरीके से वोट करते हैं और एक सही विकल्प सत्ता में आ जाता है, जो बिहार के लोगों के द्वारा बनाया गया हो उसके पास एक सोची समझी योजना होनी चाहिए. पदयात्रा का जो तीसरा उद्देश्य है कि शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, कृषि, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय, खेल-कूद आदि जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए एक 10 साल की सोची समझी योजना बनाई जाए. ऐसी योजना जो अफसरों के द्वारा ऑफिस में बैठकर नहीं बनाई गई हो. गांव-गांव से लोगों से सुझाव लेकर एक ऐसी योजना बना रहे हैं ताकि अगले 10 सालों में बिहार को देश के 10 अग्रणी राज्यों में शामिल किया जा सके.

इनपुट- राकेश कुमार सिंह 

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