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पटना: Patna High Court: पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से पांच सितारा होटल बनाने के लिए ऐतिहासिक सुल्तान पैलेस को तोड़ने के अपने फैसले पर जवाब मांगा है, यहां तक कि 100 साल पुराने ऐतिहासिक स्थल के केंद्र में प्रस्तावित विध्वंस पर उसने रोक लगा दी है.
सुल्तान पैलेस को गिराने पर रोक
याचिकाकर्ता के वकीलों के अनुसार, हाल ही में दायर तिए गए एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को ऑनलाइन सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद द्वारा 1922 में बनाए गए महल के विध्वंस पर रोक लगा दी है. आदालत के इस फैसले से विरासत प्रेमियों और नागरिकों के एक बड़े वर्ग को राहत मिली है, जो इस फैसले को अधिकारियों से वापस लेने की मांग कर रहे थे, और इसके बजाय महल को फिर से बहाल करने और पुन: उपयोग करने की मांग कर रहे थे.
परिवहन भवन के रूप में जाना जाता है
बता दें कि पटना के एक युवा वकील द्वारा जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी और इस मामले में ये पहली सुनवाई थी. सुनवाई के दौरान पेश हुए वकीलों की एक टीम के एक सदस्य ने कहा कि "अमरजीत बनाम भारत संघ शीर्षक वाली जनहित याचिका, पटना में विरासत भवन 'सुल्तान पैलेस' को ध्वस्त करने के बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ, जिसे आमतौर पर परिवहन भवन के रूप में जाना जाता है, कुछ सप्ताह पहले पटना उच्च न्यायालय के समक्ष दायर किया गया था.
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बिहार सरकार से जवाब मांगा
सदस्य ने कहा, " सुल्तान पैलेस के प्रस्तावित विध्वंस पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने रोक लगा दी." बिहार सरकार से अदालत ने जवाब मांगा है कि 100 साल पुरानी विरासत की इमारत को गिराने की योजना उसने क्यों बनाई है, और उसे आठ सप्ताह में इस मामले में जवाब देने के लिए कहा गया है. बता दे कि नीतीश सरकार ने जून के मध्य में घोषणा की थी कि राज्य कैबिनेट ने पटना में तीन पांच सितारा होटल बनाने की मंजूरी दे दी है, जिसमें एक बीर चंद पटेल रोड पर है. जहां महल बनाया गया है.
(इनपुट- पीटीआई)