Papankusha Ekadashi Vrat: सुबह स्नान ध्यान के बाद पापांकुशा एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प करें. इसके बाद शुभ समय में भगवान विष्णु की मूर्ति को पूजा स्थान पर स्थापित करें. इसके बाद उनको पंचामृत से स्नान कराएं. वस्त्र अर्पित करें.
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पटनाः Papankusha Ekadashi Vrat: विजयदशमी के ठीक अगले दिन आश्विन मास की एकादशी आती है. इस एकादशी का जीवन में बहुत महत्व है. इसे पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह व्रत आज रखा जा रहा है. इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु पापों पर अंकुश लगाते हैं. इसके साथ ही जाने अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है. परिवार में सुख और समृद्धि आती है, दुखों का नाश होता है, व्यक्ति को मृत्यु के बाद यम लोक की यातनाए नहीं भोगनी पड़ती है, उसे विष्णु कृपा से मोक्ष प्राप्त हो जाता है. जानिए पापांकुशा एकादशी व्रत के पूजा मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
पापांकुशा एकादशी मुहूर्त 2022
आश्विन शुक्ल एकादशी तिथि की शुरूआत: 05 अक्टूबर, बुधवार, दोपहर 12:00 बजे से
आश्विन शुक्ल एकादशी तिथि की समाप्ति: 06 अक्टूबर, गुरुवार, सुबह 09:40 बजे पर
पापांकुशा व्रत पारण
पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण 07 अक्टूबर को सुबह 06:17 बजे से कर सकते हैं. लेकिन पारण का समय सुबह 07:26 पर समाप्त हो रहा है. इस बात का ध्यान रहे कि समय समाप्ति से पूर्व पारण कर लें.
शुभ उत्तम मुहूर्त: सुबह 06:17 बजे से सुबह 07:45 बजे तक
लाभ उन्नति मुहूर्त: दोपहर 12:09 बजे से दोपहर 01:37 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: दिन में 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक
ये है व्रत की पूजा विधि
सुबह स्नान ध्यान के बाद पापांकुशा एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प करें. इसके बाद शुभ समय में भगवान विष्णु की मूर्ति को पूजा स्थान पर स्थापित करें. इसके बाद उनको पंचामृत से स्नान कराएं. वस्त्र अर्पित करें. फिर भगवान को चंदन, पीले फूल, अक्षत्, तुलसी के पत्ते, गुड़, चने की दाल, बेसन के लड्डू, धूप, दीप आदि से पूजन करें. इसके बाद आप श्रीविष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, पापांकुशा एकादशी व्रत कथा आदि का पाठ करें. इसके बाद आप भगवान श्रीहरि की आरती करें. फिर प्रसाद वितरण करें. दिन में आप फलाहार करें. रात्रि के समय में श्रीहरि के लिए जागरण करें. अब अगले दिन प्रात: स्नान के बाद पूजन करें. फिर किसी ब्राह्मण को दान करें. उसके बाद शुभ समय में पारण करके व्रत को पूरा करें.
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