Navratri Skandmata Puja: नवरात्र के पांचवें दिन आज करें स्कंदमाता की पूजा, जानिए मां के कितने नाम
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Navratri Skandmata Puja: नवरात्र के पांचवें दिन आज करें स्कंदमाता की पूजा, जानिए मां के कितने नाम

Skandmata Puja Navratri: कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है. कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी जाता है. मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं.

(फाइल फोटो)

पटनाः Skandmata Puja Navratri: नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता शब्द ही दो शब्दों से मिलकर बना है स्कंद और माता. स्कंद कार्तिकेय भगवान का नाम है, जो कार्तिकेय की माता हैं, वो स्कंदमाता कहलाती हैं.  इसलिए माता के इस स्वरूप को स्कंदमाता पुकारा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कंदमाता को पहाड़ों पर रहकर दुनिया के जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वाली देवी कहा जाता है. जो भी सच्चे मन से मां की पूजा और आराधना करता है तो माता उसे प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं. संतान प्राप्ति के लिए भी माता की आराधना करना लाभकारी माना गया है.

स्कंदमाता के अन्य नाम
कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है. कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी जाता है. मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं. पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है. इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है.

स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता की स्वरूप हर व्यक्ति के मन को मोह लेता है. मां के चार भुजा हैं, जिसमें दो हाथों में कमल लिए हैं, एक हाथ में कार्तिकेय बाल रूप में बैठे हैं और वह हाथ में तीर लिए हुए नजर आ रहे हैं और देवी मां ने चौथे हाथ से आशीर्वाद देते हुए नजर आ रही हैं. मां कमल में विराजमान है. इसके साथ ही मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है. देवी भगवती का पांचवा स्वरूप करुणा, दया, क्षमा, शीलता से युक्त है. अपनी संतान के प्रति मां के अव्यक्त भाव ही इनके आभूषण हैं. चुतुर्भुजी मां की गोद में स्कन्दकुमार हैं. दोनों हाथों में कमल पुष्प हैं. एक हाथ में बालक और एक हाथ से वे आशीर्वाद प्रदान करती हैं. शुभ और ज्योत्सनामयी मां को पद्मासना भी कहा गया है. इनकी पूजा से स्कन्द भगवान की पूजा स्वयं हो जाती है.

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