महागठबंधन ने कोरोना कुप्रबंधन पर नीतीश सरकार को घेरा, संक्रमण से बचने के लिए दिए अहम सुझाव
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महागठबंधन ने कोरोना कुप्रबंधन पर नीतीश सरकार को घेरा, संक्रमण से बचने के लिए दिए अहम सुझाव

कोरोना की दूसरी लहर में विपक्ष सरकार को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती है. इसी कड़ी में बिहार में महागठबंधन ने बैठक की. 

महागठबंधन ने कोरोना कुप्रबंधन पर नीतीश सरकार को घेरा (फाइल फोटो)

Patna: कोरोना की दूसरी लहर में विपक्ष सरकार को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती है. इसी कड़ी में बिहार में महागठबंधन ने बैठक की. इस बैठक अध्यक्षता तेजस्वी यादव ने की. इस दौरान मीटिंग में कई फैसले लिए गए हैं. मीटिंग के बाद जारी  महागठबंधन ने अपना बयान में भी जारी किया है. 

कोरोना की दूसरी लहर से उत्पन्न संकट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा के पश्चात निम्नलिखित बिंदुओं पर सामूहिक सहमति बनी: 

  • कोरोना की पहली लहर के प्रारंभ से लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार महत्वपूर्ण और आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने में असमर्थ रही है. जिस वजह से आज बिहार के करोड़ों लोगों का जीवन संकट में है. अत्यंत प्रिय नेताओं व नौकरशाहों द्वारा दिखाए गए नकली गुलाबी फाइलों को ही मुख्यमंत्री ने सच मान लिया है और उन्होंने जमीनी हकीकत को पूरी तरह से नकार दिया है. 
  • कोरोना की पहली लहर ने हमने चेतावनी दी थी कि डॉक्टर्स, नर्सेज, पारा-मेडिक स्टाफ और सफाई कर्मचारियों की लाखों रिक्तियों भरा जाये लेकिन तब सरकार ने इस नकार दिया था. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो अब जल्द से जल्द से स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती करें. 
  •  PM-CARES फंड से प्रदत्त Ventilators के बारे में मिल रही जानकारी अत्यंत चिंता का विषय है. ऐसी ख़बरें मिल रहीं है कि अधिकतर मशीन ख़राब हैं और जो काम करने लायक़ हैं, उन्हें वापस मांगा कर निजी अस्पतालों में भेजा जा रहा है.  एक संवेदनशील सरकार को विभिन्न ज़िलों में वेंटिलेटर चलाने वाले technicians की नियुक्ति करनी चाहिए थी ताकि दूर-दराज़ के इलाकों के लोगों की जान बचायी जा सके. हम सरकार से इस बिंदु पर अविलंब श्वेत पत्र की मांग करते हैं और इस फैसले की पुनः समीक्षा की मांग करते हैं. सरकारी अस्पतालों को सुदृढ़ करने की बजाय निजी अस्पतालों को ऐसे जीवन रक्षक उपकरणों को देना प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना प्रतीत होता है. 
  • देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार vaccination(टीकाकरण) के मामले में सबसे निचले पायदान पर है जबकि विशेषज्ञ ये मानते हैं कि ज़ल्द से ज़ल्द अधिकांश आबादी का टीकाकरण ही कोरोना संकट से हमें निकाल सकता है.जहां बाकि राज्य अपने नागरिकों के बचाव के लिए केंद्र से अधिक से अधिक वैक्सीन की मांग कर रहे हैं और मजबूती से अपना पक्ष रख रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री और उनकी सरकार की चुप्पी बिहारवासियों के साथ विश्वासघात की श्रेणी में आता है. जरूरत के अनुसार विदेशों से वैक्सीन आयात करने पर भी पहलकदमी की जाए. 
  •  ग्रामीण इलाकों की जटिलता के मद्देनजर टीकाकरण के लिए पंजीकरण और आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म करते हुए स्कूल, वार्ड और आंगनवाडी 
  • केंद्रों के माध्यम से वैक्सीनेशन सुनिश्चित किया जाए. Mobile Vaccination Centre की शुरुआत करनी चाहिए. जिससे संक्रमण का खतरा भी कम होगा और टीकाकरण में तेजी आएगी.
  •  हमारा मानना है विधान मंडल सदस्यों से मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना मद से 2021-22 से ली गयी 2 करोड़ की राशि का खर्च मुख्यमंत्री और नौकरशाहों की मनमर्जी से ना किया जाए. चूंकि विधायक क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व करते हैं अतः इस राशि को उनके क्षेत्र में चिकित्सा कमियों और जरूरतों की पूर्ति के लिए किया जाए. इसके अलावा क्षेत्र विशेष की ज़रूरत को चिंहित  करने से लेकर आवंटन तक की पूरी प्रक्रिया में विधायकों/पार्षदों की सहभागिता और उनकी सलाह को सर्वोपरी माना जाए. हम मुख्यमंत्री से इस संबंध में फ़ौरन नीतिगत निर्णय निर्गत करने की मांग करते हैं.
  •  सरकारी आंकड़े ऑक्सीजन आवंटन की सच्चाई से मीलों दूर हैं. बिहार के विभिन्न ज़िलों खास तौर पर दूर-दराज के इलाकों में ज़रूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. मरीजों के परिजन ऑक्सीजन के लिए दर दर भटक रहे हैं. अपने घरों में इलाजरत मरीजों की स्थिति तो और भी भयावह है. ऐसे में सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिये. 
  •  हमारे बार-बार आग्रह के बावजूद कोरोना जांच के मामले में बिहार सबसे पूछे हैं. हम सरकार को आगाह करते हैं कि आंकड़ों को छुपाने और ढकने की बजाय ईमानदारी से जांच का दायरा बढ़ाया जाये. 
  •  इस पूरे कोरोना काल में सरकार के तरफ़ से Communication Gap (संवादहीनता) प्रमुख समस्या बनकर उभरी है. मरीज़ों को दवाई,बेड,ऑक्सीजन के लिए इधर-उधर भागते हुए मदद की गुहार लगाते हुए देखा है. कोशिश की जाने पर इन लोगों की जान बचाई जा सकती थी. ऐसे में सरकार को इस ओर भी ध्यान देना होगा 
  • हम जानना चाहते हैं कि बीते 15 वर्षों में MP/MLA/MLC के फंड से कितने एम्बुलेंस खरीदे गए और किन किन क्षेत्रों/जिले में ये उपलब्ध है।.हमारी मांग है कि इस सन्दर्भ में एक सप्ताह के अन्दर रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाये. 

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  •   बिहार से छोटे राज्यों जहां आबादी और संक्रमण भी कम है, उन्हें ऑक्सीजन, Remdesivir जैसी दवाइयां और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों ज्यादा मिलें है. ऐसे में सरकार राज्य सरकार को भी मांग को मजबूती से रखना होगा. 
  • हम लोगों ने 17 अप्रैल को राज्यपाल महोदय के साथ हुए सर्वदलीय बैठक में सुझाव दिया था. इसके अलावा हमने कोरोना प्रबंधन के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन की भी मांग की थी. हम इस मांग को फिर से दोहराते हैं. 
  •  सरकार सभी अधिकारियों विशेषकर ज़िलों के डीएम/एसपी को निर्देशित करे की विधायकों/सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों का फ़ोन उठायें और उनके समस्याओं का संज्ञान लेते हुए त्वरित कारवाई करें. 
  • प्रधानमंत्री के चीफ वैज्ञानिक सलाहकार समेत कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना का थर्ड वेव आ सकती है. सरकार को इसके मद्देनज़र विशेष तैयारी करनी चाहिए ताकि इस बार की तरह स्थिति विस्फोटक ना हो. 
  •  बिना कोविड जांच के अभाव में मरने वाले मरीज़ों के परिजनों को भी ₹400000 अनुग्रह राशि प्रदान किया जाए.

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