Jitiya Vrat Upay: जितिया व्रत के दिन अपने बच्चों को लाल या पीले रंग का धागा बांधें. इसके बाद 11 आटे की लोइयां बनाएं और हर लोई में तिल और लौंग डालें. यह उपाय करने से आपके बच्चों के करियर में आ रही नकारात्मकता खत्म होगी और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे.
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Jitiya Vrat 2024 Upay: जितिया व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. इस साल जितिया व्रत 24 सितंबर 2024 से शुरू होगा और इसका समापन 26 सितंबर 2024 को पारण के साथ होगा. आचार्य मदन मोहन के अनुसार जितिया व्रत के दौरान कुछ खास उपाय करने से न केवल माताओं को बल्कि उनके बच्चों को भी शुभफल की प्राप्ति होती है.
संतान की उन्नति के लिए उपाय
आचार्य मदन मोहन के अनुसार व्रत के दिन एक लाल कपड़े को सरसों के तेल में भिगोकर नारियल पर बांध लें. फिर इस नारियल को भगवान जीमूतवाहन के लिए अर्पित करें और पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें. नारियल प्रवाहित करते समय अपने बच्चों की उन्नति और लंबी उम्र की प्रार्थना अवश्य करें. यह उपाय बच्चों की उन्नति के लिए शुभ माना जाता है.
नकारात्मकता को दूर करने के उपाय
व्रत के दिन अपने बच्चों को लाल या पीले रंग का धागा बांधें. इसके बाद 11 आटे की लोइयां बनाएं और प्रत्येक लोई में तिल और लौंग मिलाएं. इन लोइयों को किसी पवित्र स्थान पर अर्पित करें. इससे बच्चों के जीवन में आ रही नकारात्मकता दूर होगी और उनका करियर बेहतर दिशा में आगे बढ़ेगा. साथ ही एक अन्य उपाय के अनुसार एक कपड़े में इलायची, पान-सुपारी और अक्षत (चावल) बांध लें. उस कपड़े को कलावा से बांधकर उसमें 16 गांठें लगाएं. इसके बाद उस कपड़े को बांस के पेड़ से बांध दें. अगर बांस का पेड़ पास में न हो, तो इसे बरगद के पेड़ से भी बांध सकते हैं. यह उपाय बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है.
जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त
इसके अलावा वैदिक पंचांग के अनुसार जितिया व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12:38 बजे से शुरू होगी और 25 सितंबर 2024 को दोपहर 12:10 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार जितिया व्रत 25 सितंबर 2024 बुधवार को रखा जाएगा. इस दिन व्रत की पूजा का शुभ समय सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक रहेगा. व्रत से एक दिन पहले यानी 24 सितंबर 2024 को नहाय-खाय की पूजा होगी. इस दिन महिलाएं पवित्र नदी में स्नान कर व्रत की तैयारी करती हैं.
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