Ratna Jyotish Importance of Opal: ओपल रत्न पति-पत्नी के विवादों को पल भर में दूर करने वाला बहुत ही चमत्कारिक रत्न है. शुक्र का सम्बन्ध विवाह से होता है, ओपल शुक्र ग्रह के प्रभाव को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है.
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पटनाः Ratna Jyotish Importance of Opal: ओपल रत्न पति-पत्नी के विवादों को पल भर में दूर करने वाला बहुत ही चमत्कारिक रत्न है. शुक्र का सम्बन्ध विवाह से होता है, ओपल शुक्र ग्रह के प्रभाव को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है. हिंदी में ओपल को दूधिया पत्थर के नाम से भी जाना जाता है. ओपल तुला, वृषभ, लग्न वाले जातक या जिसकी कुंडली में शुक्र फलदायी नहीं होता, शुक्र का बल कम होता है, ऐसे जातक के लिए रत्न धारण करना बहुत ही लाभकारी होता है.
ओपल पत्थर क्या है?
ओपल पत्थर एक प्रकार के धातु से बना जैल है, जो बहुत ही कम तापमान पर चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, आग्नेय चट्टान, मार्ल और बेसाल्ट जैसे चट्टान की दरारों में इकठ्ठा होने से बनता है. यह एक पारदर्शी रत्न है. यह सभी रंगों में सबसे रंगीन है और इसके इन्द्रधनुषी रंगों के कारण ये सभी रत्नों में सबसे अधिक सुन्दर दिखाई देता है. दाम्पत्य जीवन के सुख के लिए दूधिया रंग का ओपल पत्थर सबसे लाभदायक होता है.
ओपल रत्न किसे धारण करना चाहिए?
ज्योतिष के अनुसार ओपल रत्न शुक्र ग्रह के प्रभाव को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है. जिस जातक की जन्म कुंडली में तुला तथा वृषभ लग्न हो या जिसकी जन्म राशि तुला या वृषभ हो वह जातक ओपल रत्न बिना संकोच धारण कर सकता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र बलवान नहीं है उस जातक को भी ओपल रत्न धारण कर अपने शुक्र को मजबूत करना चाहिए. कर्क और मकर लग्न की कुंडली वाले जातक भी ओपल रत्न धारण कर सकते है. ओपल रत्न को हीरा का सबस्टिीच्यूड माना जाता है.
दाम्पत्य जीवन में स्थिरता लाता है ओपल रत्न
दाम्पत्य जीवन में या प्रेम संबंधों में यदि अकारण कलह, दरार, अनबन या अलगाव या तलाक की स्थिति उत्पन्न हो रही हो तो उस स्थिति में परेशान शादीशुदा जीवन में स्थिरता लाने के लिए ओपल रत्न धारण किया जाता है, इसे धारण करने से उत्पन्न विवादों को शीघ्र ही दूर किया जा सकता है. अधिकतर मामलों में ओपल रत्न धारण करने के कारण महिलाओं तथा पुरुषों के निजी जीवन में प्यार और रोमांस को पुनर्जीवित किया है. ओपल पहनने से पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका के बीच यदि खराब सम्बन्ध है, तो जल्दी से जल्दी ओपल धारण करना चाहिए. यह रत्न मान-सम्मान में वृद्धि करता है तथा उलझे हुए दाम्पत्य जीवन तथा प्रेम-संबंधों में मधुरता लाता है.
ओपल पहनने की विधि
दिन- शुक्रवार
पक्ष- शुक्ल
नक्षत्र -भरणी, पूर्व फाल्गुन, पूर्व अषाढ़ा
ओपल रत्न शुक्रवार के दिन या शुक्र की होरा में धारण किया जाता है. ओपल सीधे हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करते है. इस रत्न को धारण करते समय शुक्र देव को याद करते हुए 108 बार मंत्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः का जाप करना चाहिए, उसके बाद विधिवत संकल्पपूर्वक धूप, दीप मिष्टान्न से पूजा अर्चना करके अंगूठी को पहनना चाहिए.