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Rahu Planet: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी कुंडली में नवग्रह होते हैं. जो कुंडली के बारह भावों में विराजते हैं. इनमें से हर ग्रह का अपना-अपना घर भी निर्धारित है. ऐसे में नवग्रहों में से दो छाया ग्रह हैं जिन्हें राहु और केतु कहा जाता है. ये दोनों ग्रह हमेशा वक्री यानी एंटी क्लॉक वाइज चलते हैं. वहीं बाकि के ग्रह कुंडली में अपना स्थान मार्गी या वक्री दोनों ही स्थितियों में तय करते हैं. ऐसे में राहु और केतु की दृष्टि कुंडली में जिस ग्रह पर पड़ रही होती है. वह उसी के अनुसार काम करने लगता है. अगर राहु या केतु मजबूत स्थिति में हो तो उसकी दृष्टि जिस ग्रह पर पड़ रही है वह कमजोर हो तो फिर वह अपने प्रभाव से उस ग्रह को चलाता रहता है.
वैसे राहु के नाम से ही लोग खौफ से भर जाते हैं. जबकि राहु कुंडली में अप्रत्याशित फल देने के लिए भी जाना जाता है. इन दोनों को पाप ग्रह की भी संज्ञा दी गई है. पृथ्वी और चंद्रमा के परिक्रमा पथ जिस स्थान पर एक दूसरे को काटता हो राहु को वही स्थान माना गया है. ऐसे में राहु तीव्र ऊर्जा से भरा हुआ है.
पुराणों की मानें तो राहु का कोई आकार नहीं है. इसे वैदिक ज्योतिष ग्रंथ मायावी ग्रह भी कहते हैं. ऐसे में यह मायावी ग्रह राजा को रंक और रंक को राजा बनाने की क्षमता रखता है. कुंडली में इसकी अच्छी स्थिति जातक को बहुत शुभ परिणाम देता है. ऐसे में राहु अगर कन्या राशि में हो तो यह इसका घर है. वहीं कर्क राशि में यह मूल त्रिकोश में होता है जबकि वृष राहु की उच्च राशि है.
हालांकि राहु के मित्र ग्रहों की बात की जाए तो बुध, शुक्र और शनि इसके मित्र ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्रम के साथ इसकी शत्रुता होती है. वहीं मंगल और गुरु के साथ यह समान व्यवहार करता है. यह एक पुरुष प्रधान ग्रह है. इसका रत्न गोमेद या सुलेमानी पत्थर है.
ऐसे में आपको अगर राहु को अपनी कुंडली में प्रबल बनाना है और इससे लाभ लेना है तो आपको ये उपाय करना चाहिए.
अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए.
रसोई घर में बैठकर भोजन करना चाहिए.
शिव सहस्रनाम और हनुमत सहस्त्रनाम का भी पाठ करना चाहिए.
राहु की इष्ट देवी सरस्वती हैं ऐसे में उनकी पूजा से राहु का दोष दूर होता है.