Chanakya Niti: जानें रूपवान पत्नी का होना कैसे पति के लिए बन जाता है श्राप
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Chanakya Niti: जानें रूपवान पत्नी का होना कैसे पति के लिए बन जाता है श्राप

आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत सभी के लिए प्रासंगिक हैं. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के सिद्धांतों में महिला, पुरुष, देश, समाज, सत्ता, अर्थव्यवस्था, विदेशों के साथ संबंध आदि को लेकर अपने सिद्धांत दिए और आज उनके सिद्धांत सबसे ज्यादा लोगों के लिए फायदेमंद हैं.

(फाइल फोटो)

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत सभी के लिए प्रासंगिक हैं. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के सिद्धांतों में महिला, पुरुष, देश, समाज, सत्ता, अर्थव्यवस्था, विदेशों के साथ संबंध आदि को लेकर अपने सिद्धांत दिए और आज उनके सिद्धांत सबसे ज्यादा लोगों के लिए फायदेमंद हैं. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के सिद्धांतों में पत्नी और पति के बीच के संबंधों पर भी कई बातें कही है. 

आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के सिद्धांत में एक श्लोक के जरिए कहा...
ऋणकर्ता पिता शत्रुर्माता च व्यभिचारिणी
भार्या रूपवती शत्रु: पुत्र: शत्रुरपण्डित:

इस सिद्धांत के अनुसार अगर पिता ऋण में डूबा हुआ हो, संतान अगर कम दिमाग हो, मां अगर भेदभाव करे और पत्नी अगर रूपववान हो तो ऐसे परिवार में समृद्धि की कमी रहती है. सुख शांति समाप्त हो जाती है.

पत्नी रूपवती हो
आचार्य चाणक्य की मानें तो रूपवान स्त्री अपने पति के लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं. कहते हैं कि रूपवान होने के साथ पत्नी को चरित्रवान भी होना चाहिए. अगर पत्नी रूपवान हो और वह अपने पति के अलावा किसी और से संबंध रखे उससे प्रेम ना करे. ऐसे पत्नी की वजह से पति की जिंदगी नर्क हो जाती है और समाज में ऐसे पति का सम्मान खत्म हो जाता है. 

संतान कम दिमाग हो 
आचार्य चाणक्य की मानें तो संतान को दिमाग से मजबूत होना चाहिए अगर संतान कम दिमाग हो तो ये माता-पिता के लिए परेशानी का कारण बन जाती है. ऐसी संतान हमेशा माता-पिता पर आश्रित हो जाते हैं और ऐसी संतान से माता-पिता को कोई सुख नहीं मिल पाता है. ऐसी संतान अर्जित धन का भी नुकसान कर देते हैं. 

पिता कर्ज में डूबा हो
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर पिता कर्ज में डूबा हो तो पूरा परिवार बिखर जाता है. पिता का कर्ज परिवार के लिए दुश्मन से कम नहीं है. पिता अपने परिवार के भरण पोषण के लिए हमेशा सजग रहता है. ऐसे में अगर पिता ही कर्ज ले तो उसकी संतान को अंततः इसको चुकाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. 

भेदभाव भरा मां का व्यवहार 
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मां के लिए हर संतान बराबर होता है. लेकिन अगर मां दो संतानों के बीच भेदभाव करे तो इससे परिवार में रिश्तों के बीच दरार आने लगती हैं. परिवार जल्द बिखर जाता है. ऐसी मां परिवार और संतान के लिए दुश्मन के समान होती है. 

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