बिहार में बारिश न होने से किसान हलकान हैं. मानसून की इस बेरुखी से धान की रोपनी भी नहीं हो पाई है.
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पटनाः बिहार में इस साल मानसून समय से सक्रिय नहीं हुआ. इसके सभी हिस्सों में सक्रिय न होने की वजह से धान की रोपनी को लेकर समस्या आ रही है. राज्य में अब तक सिर्फ 57 फीसदी रोपनी ही हो पायी है और मध्य के साथ दक्षिण बिहार में स्थिति बेहद खराब है. सूखे की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं. इसको लेकर ठोस प्रयास किये जा रहे हैं जिससे किसानो को कुछ राहत मिल सके.
मौसम की बेरुखी, किसानों पर भारी
अगस्त का महीना आ गया है, लेकिन मौसम की बेरुखी को लेकर धन की रोपनी बिहार में अब तक ठीक से नहीं हो पायी है. अभी तक बिहार में मात्र 57 फीसदी धान की रोपनी हो पायी है, जबकि मध्य और दक्षिण बिहार में ज्यादातर जिलों में बीस फीसदी भी धान खेतों में नहीं लग पाया है. सूखे की स्थिति से निपटने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद समीक्षा बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं, जबकि जिलों में प्रतिदिन समीक्षा करने का आदेश जिलाधिकारी को दिया गया है.
कई जिलों में कम हुई बारिश
जुलाई महीने में ज्यादातर जिलों में वर्षा सामान्य से कम हुई है और इसको लेकर धान की रोपनी में समस्या आई है. जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि 16 घंटे कृषि फीडर के लिए बिजली आपूर्ति के आदेश दिए गए हैं साथ ही नहरों में अंतिम छोड़ तक पानी पहुंचे इसकी व्यवस्था की जा रही है. सीमांचल के इलाके में अच्छी बारिश समय से होने की वजह से इस क्षेत्र में नब्बे फीसदी से ज्यादा धान की रोपनी हो गई है जिसमे पूर्णिया में 99 फीसदी धान की रोपनी हुई है लेकिन मध्य और दक्षिण बिहार की स्थिति बेहद खराब है. वहीं किसानों की हालत देखते हुए राज्य सरकार ने डीजल सब्सिडी के लिए आवेदन मांगे हैं और किसानो को डीजल सब्सिडी देने की घोषणा की गयी है.
ये है धान रोपाई की मात्रा (फीसदी में)
बांका में मात्र 5 फीसदी
जमुई में 3 फीसदी
मुंगेर में 6 फीसदी
भागलपुर में 14 फीसदी
शेखपुरा में 13 फीसदी
गया में 12 फीसदी
नवादा में 10 फीसदी
5421 लोगों ने किए डीजल सब्सिडी के लिए आवेदन
डीजल सब्सिडी के लिए भी अभी तक मात्र 5421 आवेदन ही मिले हैं. किसान इसके लिए जिलाधिकारी को ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं साथ ही आकस्मिक फसल योजना पर अभी से काम करना शुरू कर दिया गया है. जिससे समय से धन की फसल न ले पाने की स्थिति में खरीफ और रवि के बीच में वैकल्पिक फसल के जरिए किसान अपने नुकसान को कम कर सके और बैकल्पिक फसल का लाभ ले सके.
रिपोर्टः रजनीश