Baidyanath Dham Deoghar : बैद्यनाथ धाम के वजूद की वजह है हरलाजोरी मंदिर, यहां रावण के साथ हुई थी साजिश
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Baidyanath Dham Deoghar : बैद्यनाथ धाम के वजूद की वजह है हरलाजोरी मंदिर, यहां रावण के साथ हुई थी साजिश

Baidyanath Dham Deoghar : बैद्यनाथ धाम मंदिर बनने के पीछे देवघर के पास स्थित हरलाजोरी मंदिर का बहुत बड़ा योगदान है. इसे महादेव शिव और विष्णु के मिलन स्थल के तौर पर भी जाना जाता है. 

Baidyanath Dham Deoghar : बैद्यनाथ धाम के वजूद की वजह है हरलाजोरी मंदिर, यहां रावण के साथ हुई थी साजिश

देवघर Baidyanath Dham Harlajori Mandir: पुराण प्रसिद्ध और महादेव स्वरूप बैद्यनाथ धाम की मान्यता दूर-दूर तक है. युगों-युगों से यह धाम भक्तों की मनोकामना पूरी करते आया है. बैद्यनाथधाम देवों की नगरी कहलाता है,

  1. यहां भगवान विष्णु और चतुर गणेश जी ने रचा था षड्यंत्र
  2. रावण से महादेव का आत्मलिंग बचाने के लिए किया नाटक

क्योंकि सभी देवता यहां सहज ही निवास करते हैं. रावण द्वारा स्थापित भगवान शिव का आत्मलिंग यहीं स्थित है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देवघर से कुछ दूर पहले ये मंदिर नहीं बना होता तो बैद्यनाथ धाम का कोई नाम नहीं होता. 

यहां रचा गया षड्यंत्र
दरअसल, देवघर में स्थित बैद्यनाथ धाम से कुछ किलोमीटर पहले ही एक मंदिर है, हरलाजोरी. भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर प्रभु जगन्नाथ और महादेव के सह स्वरूप का पूजा स्थान है.

दरअसल यह मंदिर वही जगह है, जहां भगवान विष्णु और चतुर गणेश जी ने रावण को छल से माया के हवाले करके उससे महादेव शिव का आत्मलिंग ले लिया था. इस स्थान को हरलाजोरी और हरलादेव मंदिर कहा जाता है. 

शिवहरि मंदिर भी है नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो उसे शिवलिंग ले जाने से रोकने के लिए देवताओं ने गणेश जी से कहकर छल स्वरूप रावण को लघुशंका का अहसाह करा दिया.

ठीक उसी समय भगवान विष्णु के समझाने पर बाल गणेश एक चरवाहे का रूप लेकर वहां आ गए. रावण ने गणेश रूपी चरवाहे को शिवलिंग सौंप दिया और लघुशंका करने पूजा-वंदना करने चला गया. इस तरह यह स्थल हरि-हर का मिलन स्थल बना.

कथाओं में यह भी वर्णित है कि रावण जिस झोले में शिवलिंग को लेकर जा रहा था भगवान विष्णु ने उस खाली झोले को एक हरला के पेड़ से टांग दिया. वह पेड़ उसी समय झुक गया जिससे शिवलिंग निकल आया, जिसे शम्भू लिंग कहा जाता है. इस मंदिर परिसर में शिवलिंग के आलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं, लेकिन सबसे विशेष है चरवाहे के रुप में आए भगवान विष्णु के पद चिन्ह. इसके दर्शन के लिए गुरुवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. 

रावण जोरी है खनिज सोता
रावण जब लघुशंका को गया तो कहते हैं उस समय वरुण देवता रावण के पेट में थे. जिस कारण वह सात दिन सात रात तक लघुशंका करता रहा. इससे यहां एक जोरी(नदी) बन गई. इसे आज रावण जोरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां जो भी स्नान करता है उसके चर्म रोग दूर हो जाते हैं.

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