Makar Sankranti: मकर संक्रांति को लेकर गया का तिलकुट व्यवसाय इन दिनों अपने पूरे परवान पर है. 14 जनवरी को मकर संक्रांति पूरे देश में मनायी जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन तिल खाने और दान करने का विधान है.
Trending Photos
गयाः Makar Sankranti: मकर संक्रांति को लेकर गया का तिलकुट व्यवसाय इन दिनों अपने पूरे परवान पर है. 14 जनवरी को मकर संक्रांति पूरे देश में मनायी जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन तिल खाने और दान करने का विधान है. इसे लेकर तिलकुट की मुख्य मंडी गया के रमना रोड और टिकारी रोड की दुकानें सजी हुयी है. जहां लोग तिलकुट की खरीदारी कर रहे है.
वैसे तो गयाजी प्राचीनतम धार्मिक नगरी है. यह शहर मुक्तिधाम के रूप में प्रख्यात है, लेकिन गया की पहचान तिलकुट के अनूठे स्वाद के लिए भी जानी जाती है. यहां के नरम और खस्ता तिलकुट की मांग देश-विदेश तक है. ठंड के मौसम में तिलकुट की मांग काफी बढ़ जाती है. तिलकुट की तासीर गर्म होती है. यह आयुर्वेदिक दवा का भी काम करता है. तिलकुट खाने से कब्जियत जैसी बीमारी नहीं होती है. इसके साथ ही यह पाचन क्रिया को भी बढ़ाता है.
तिलकुट निर्माण के लिए गया की जलवायु भी काफी अच्छी मानी जाती है. यहां का मौसम और पानी इसके निर्माण में काफी उपयोगी सिद्ध होता है. वैसे तो गया में तिलकुट की शुरुआत डेढ़ सौ साल पहले गोपी साव नामक हलवाई ने रमना रोड से की थी. उसके बाद उनके वशंज आज तक इस पारंपकि तिलकुट व्यवसाय को करते आ रहे है. हालांकि अब रमना और टिकारी रोड में कई दुकानें खुल चुकी है. जहां काफी मात्रा में तिलकुट बनायी जाती है.
वैसे तो पूरे देश में कई जगहों पर तिलकुट का व्यवसाय होता है. लेकिन गया में निर्मित तिलकुट और उसके स्वाद का मुकाबला कहीं नहीं है. यहां के तिलकुट के स्वाद का जोड़ कहीं नहीं है. यही वजह है कि गया में निर्मित तिलकुट झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में भेजी जाती है.
गया आने-जाने वाले लोग यहां के तिलकुट का स्वाद जरूर लेते है और अपने दूर दराज के रिश्तेदारों के लिए भी झोले में भरकर तिलकुट को ले जाते है. तिलकुट व्यवसाय से जुड़े लोग बताते है कि तिल और चीनी से तिलकुट का निर्माण किया जाता है. इसके लिए एक निश्चित मात्रा में तिल और चीनी के मिश्रण को कोयले की आग पर निश्चित समय सीमा तक मिलाया जाता है और एक निश्चित समय तक इसे कूटा जाता है. जिसके बाद लजीज और जायकेदार खस्ता तिलकुट खाने के लिए तैयार हो जाता है और मिश्रण और कूटने की प्रक्रिया में थोड़ी भी गड़बड़ी होती है तो स्वाद बिगड़ने का डर रहता है.
गया में चीनी के अलावा गुड़ और खोवा का भी तिलकुट बनाया जाता है, जो विभिन्न दरों पर बाजार में बेचा जा रहा है. मकर संक्रांति को लेकर शहरवाशी देर रात तक तिलकुट खरीदते दिखे.
इनपुट- पुरूषोत्तम कुमार
यह भी पढ़ें- गया के तिलकुट की खासियत ऐसी कि देश-विदेश में है फेमस, जानें कैसे होता है तैयार