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भागलपुर : बिहार के शोक के नाम से मशहूर 'कोसी' नदी का कहर अब लोगों को डराने लगा है. दरअसल अभी तो बिहार में सुखाड़ जैसे हालात थे. लोग पहले सूखे के डर से घबराए थे लेकिन जैसे ही बारिश शुरू हुई कोसी ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया. एक तो हो रही बारिश ऊपर से नेपास से छोड़ा जा रहा पानी दोनों मिलकर इस नदी की भयावहता को और बढ़ा रहे हैं.
नवगछिया में कोसी का रौद्र रूप
भागलपुर जिले के नवगछिया में कोसी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. यहां नदी के कटाव से तास के पत्ते की तरह मकान ढहकर गिरा. अब तक दर्जनों पक्के मकान कोसी में समा चुके हैं, इलाके में जारी कटावरोधी कार्य ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है.
पक्के माकान भी कटाव में कोसी के गर्भ में समा गए
भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र के जहांगीरपुर बैसी में कोसी ने फिर से विकराल रूप धारण कर लिया है और अब फिर पक्का मकान ताश के पत्ते की तरह ढह कर कोसी की तेज धारा में समाता जा रहा है. प्रशासन की ओर से यहां कटावरोधी कार्य तो किया जा रहा है जो ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है. कोसी की धारा गांव के तरफ मुड़ चुकी है, लिहाजा अब तक 3 दर्जन से अधिक परिवार बेघर हो चुके हैं. इनमें से अधिकांश लोगों का पक्का का मकान था, कई मकान दो मंजिला भी था.
बांध पर पॉलीथिन शीट के सहारे रह रहे लोग
आज फिर कोसी के करंट में मोहम्मद मुस्ताख का घर कट कर गिर गया मकान का आधा हिस्सा भी गिरने के कगार पर है पीड़ित ने बताया कि 20 साल चंडीगढ़ में रहे ईंट ढोया और उस मेहनत की कमाई से घर बनाए थे. आज घर गिर गया. बांध पर पॉलीथिन शीट के सहारे रहेंगे. पीड़ितों का कहना है कि वो लोग रिंग बांध पर रह रहे हैं, सिर्फ 2 किलो चावल और एक प्लास्टिक सरकार की ओर से मिला है.
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इस मामले पर जल संसाधन विभाग के एसडीओ विनीत कुमार ने बताया कि आज जो घर गिरा पहले से पानी में था वहां भी कटावरोधी कार्य हुआ था, लेकिन एसडीओ यह नहीं बता पाए कि कितने घर नदी के कटाव की भेंट चढ़ गए. उन्होंने कहा की रीस्टोरेशन का कार्य कर रहे हैं. फ्लड फाइटिंग का भी काम किया जा रहा है. बहरहाल इलाके में हालात दिन-ब-दिन भयावह होते जा रहे हैं, जरूरत है जिला प्रशासन बेहतर ढंग से कटाव रोधी कार्य कराए नहीं तो पूरा का पूरा गांव कोसी की तेज धारा में समाहित हो जाएगा.