Krutivaseshwar Mahadev: काशी में एक और 'ज्ञानवापी'.. औरंगजेब के क्रूरता की निशानियां कब तक मिट पाएंगी?
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Krutivaseshwar Mahadev: काशी में एक और 'ज्ञानवापी'.. औरंगजेब के क्रूरता की निशानियां कब तक मिट पाएंगी?

Krutivaseshwar Mahadev: काशी, जिसे बाबा विश्वनाथ की नगरी के रूप में जाना जाता है, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भारत के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है. यहां के मंदिरों और धार्मिक स्थलों का इतिहास सदियों पुराना है.

Krutivaseshwar Mahadev: काशी में एक और 'ज्ञानवापी'.. औरंगजेब के क्रूरता की निशानियां कब तक मिट पाएंगी?

Krutivaseshwar Mahadev: काशी, जिसे बाबा विश्वनाथ की नगरी के रूप में जाना जाता है, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भारत के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है. यहां के मंदिरों और धार्मिक स्थलों का इतिहास सदियों पुराना है. लेकिन काशी के इस पवित्र स्थान पर औरंगजेब की क्रूरता की छाप आज भी मौजूद है. ज्ञानवापी मस्जिद इसके सबसे बड़े सबूतों में से एक है, लेकिन यह अकेला नहीं है. कृतिवाशेश्वर महादेव का मंदिर भी औरंगजेब की इसी क्रूरता का शिकार हुआ था.

कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास

कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर काशी के हरतीरथ मोहल्ले में स्थित है, लेकिन आज यह मंदिर आलमगीर मस्जिद के अंदर मौजूद है. कहा जाता है कि 1669 में औरंगजेब ने काशी के कई पौराणिक मंदिरों को तुड़वाने का आदेश दिया था. इनमें सबसे पहले कृतिवाशेश्वर मंदिर को निशाना बनाया गया था. मस्जिद के अंदर शिवलिंग आज भी जमीन से 2 फीट नीचे स्थित है और उस पर हिंदू समुदाय द्वारा नियमित पूजा की जाती है.

वास्तुशिल्प और धार्मिक प्रतीक

जब ज़ी न्यूज़ की टीम ने आलमगीर मस्जिद का दौरा किया, तो मस्जिद के अंदर का वास्तुशिल्प हिंदू शैली जैसा ही पाया गया. मस्जिद के खंभों पर की गई कलाकृतियां और उसकी संरचना ज्ञानवापी मस्जिद के समान दिखाई दी. शिवलिंग के स्थान की तुलना ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिली आकृति से की जाती है, जो दोनों ही गहरे हिस्से में स्थित हैं.

विवाद और कानूनी लड़ाई

कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर और आलमगीर मस्जिद का विवाद अब अदालत में पहुंच चुका है. हिंदू पक्ष ने आलमगीर मस्जिद का पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI सर्वे) करवाने की मांग की है ताकि मंदिर की सच्चाई सामने आ सके. शुक्रवार को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, लेकिन मुस्लिम पक्ष के लोग सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए. अब इस केस की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी.

शिवलिंग या फव्वारा: विवाद का मूल

2006 से पहले मस्जिद के अंदर शिवलिंग की जगह पर एक फव्वारा था. लेकिन हिंदू पक्ष के लोगों ने इस स्थान की पहचान शिवलिंग के रूप में की और वहां पूजा शुरू कर दी. इसके बाद से शिवलिंग की नियमित पूजा होने लगी. मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा ही मानता है, लेकिन हिंदू पक्ष इसे एक पवित्र शिवलिंग के रूप में पूजता है.

काशी में औरंगजेब की निशानियों का अंत?

अयोध्या में राम मंदिर के न्याय के बाद अब काशी और मथुरा का मामला अदालत की दहलीज पर है. सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काशी की नई ज्ञानवापी पर कोई कार्रवाई करेंगे और कैसे औरंगजेब की हर निशानी को काशी से मिटाएंगे?

अदालत के फैसले का इंतजार

काशी की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर पर औरंगजेब की छाप को मिटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है. कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर और आलमगीर मस्जिद का विवाद इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. अब देखना होगा कि अदालत इस विवाद का क्या फैसला देती है और क्या काशी अपनी पुरानी 
धार्मिक पहचान को फिर से स्थापित कर पाएगी.

विवाद से जुड़ी मुख्य बातें

-1669 में औरंगजेब ने काशी के कई मंदिरों को तुड़वाया था.
-ज्ञानवापी से पहले कृतिवाशेश्वर मंदिर को तोड़ा गया था.
-कृतिवाशेश्वर मंदिर अब आलमगीर मस्जिद के अंदर है.
-मस्जिद के अंदर मौजूद शिवलिंग की पूजा होती है.
-हिंदू पक्ष ने मस्जिद की ASI सर्वे की मांग की है.
-मुस्लिम पक्ष शिवलिंग को फव्वारा बता रहा है.

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