सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से मिली राहत, क्या है पूरा मामला?
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सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से मिली राहत, क्या है पूरा मामला?

Delhi Politics:  तीस हजारी कोर्ट ने सुनीता केजरीवाल को 18 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का समन जारी किया था. सुनीता केजरीवाल ने निचली अदलात के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. 

सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से मिली राहत, क्या है पूरा मामला?

Delhi News: दो वोटर आईडी कार्ड के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को समन जारी करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह रोक 1 फरवरी 2024 तक लगाई है. 

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए इसे एक फरवरी को सूचीबद्ध किया और आदेश दिया, ‘इस फैसले से कई सवाल खड़े हो गए हैं इसलिए इसे लागू करने पर रोक रहेगी.’

18 नवंबर को जारी हुआ था समन
बता दें तीस हजारी कोर्ट ने सुनीता केजरीवाल को 18 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का समन जारी किया था. सुनीता केजरीवाल ने निचली अदलात के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. 

बीजेपी नेता ने दर्ज कराया मामला
बीजेपी नेता हरीश खुराना ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की पत्नी ने जन प्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

बीजेपी नेता ने दावा किया कि सुनीता केजरीवाल साहिबाबाद निर्वाचन क्षेत्र (संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद), उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची में मतदाता के तौर पर पंजीकृत थीं और वह दिल्ली में चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र में भी पंजीकृत थीं, जो आरपी अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन है. उन्होंने दावा किया कि झूठी घोषणाएं करने से संबंधित अधिनियम की धारा 31 के तहत अपराध के लिए सुनीता केजरीवाल को दंडित किया जाना चाहिए.

सुनीता केजरीवाल के वकील ने दी एचसी में यह दलील
सुनीता केजरीवाल की ओर से पेश सीनियर वकील रेबेका जॉन ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी कि निचली अदालत का आदेश बिना सोचे समझे पारित किया गया.  उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दो मतदाता पहचान पत्र रखना कोई अपराध नहीं है और इस बात के कोई सबूत नहीं है कि याचिकाकर्ता ने कोई गलत बयान दिए थे. 

(एजेंसी इनपुट के साथ)

 

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