सोमवार, गुरुवार या शनिवार; जानिए किस दिन पड़ता है Deadliest हार्ट अटैक, अध्ययन में हुआ खुलासा
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सोमवार, गुरुवार या शनिवार; जानिए किस दिन पड़ता है Deadliest हार्ट अटैक, अध्ययन में हुआ खुलासा

हार्ट अटैक एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें दिल के मांसपेशियों को खून पहुंचाने वाली मुख्य धमनी (कोरोनरी धमनी) में रुकावट आ जाती है. यह रुकावट आमतौर पर खून का थक्के द्वारा होती है जो धमनी को ब्लॉक कर देता है.

सोमवार, गुरुवार या शनिवार; जानिए किस दिन पड़ता है Deadliest हार्ट अटैक, अध्ययन में हुआ खुलासा

हार्ट अटैक (Heart Attack) एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें दिल के मांसपेशियों को खून पहुंचाने वाली मुख्य धमनी (कोरोनरी धमनी) में रुकावट आ जाती है. यह रुकावट आमतौर पर खून का थक्के द्वारा होती है जो धमनी को ब्लॉक कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप हृदय के एक भाग को खून सप्लाई की अवधि में आवश्यक ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. यदि इस स्थिति का तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो यह मांसपेशियों के डैमेज या मृत्यु का कारण बन सकता है. हाल ही में हुए एक अध्ययन से चौंका देने वाली बात सामने आई है.

अध्ययन से पता चला है कि सोमवार को सबसे गंभीर दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है. बेलफास्ट हेल्थ एंड सोशल केयर ट्रस्ट और आयरलैंड में रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स के डॉक्टरों ने 10,528 मरीजों के डेटा का विश्लेषण किया. इसमें उन्होंने पाया कि सप्ताह के शुरुआत यानी सोमवार को सबसे ज्यादा घातक दिल का दौरा पड़ा.

4 जून को ब्रिटिश कार्डियोवैस्कुलर सोसाइटी में अध्ययन प्रस्तुत करने वाले डॉक्टरों ने एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एसटीईएमआई) का अध्ययन किया, जो तब होता है जब एक प्रमुख कोरोनरी धमनी पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है. आयरलैंड में 2013 और 2018 के बीच अस्पताल में भर्ती हुए लोगों में एसटीईएमआई हार्ट अटैक की दर में बढ़ोतरी सोमवार को उच्चतम दरों के साथ देखी गई. रविवार को अपेक्षा से अधिक एसटीईएमआई की दरें भी थीं.

सर्कडियन लय से लिंक है हार्ट अटैक
अब तक, वैज्ञानिक पूरी तरह से यह समझाने में असमर्थ रहे हैं कि यह "ब्लू मंडे" घटना क्यों होती है. पिछले अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि दिल का दौरा सोमवार को होने की अधिक संभावना है और यह सर्कडियन लय से जुड़ा हुआ है. इसे शरीर की नींद या जागने का चक्र के रूप में जाना जाता है. ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन (BHF) के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर सर नीलेश समानी ने कहा कि उनका अध्ययन डॉक्टरों को इस घातक स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है ताकि हम भविष्य में और अधिक जीवन बचा सकें.

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