US vetoes a Gaza cease-fire resolution: अमेरिका वीटो की ताकत से इजरायल और हमास की जंग में एक बार फिर दरोगा बन बैठा है. वीटो की ताकत के इस्तेमाल को लेकर एक बहस शुरू हो गई है. सयुंक्त राष्ट्र में भारत ने वीटो को लेकर पूरी दुनिया के सामने जो कहने की हिम्मत दिखाई है उसकी चर्चा हो रही है. तो आइए जानते हैं क्या है वीटो, भारत का क्या है इससे रिश्ता, अमेरिका ने वीटो की ताकत का कैसे और कहां किया प्रयोग.
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India on Veto: आप सबने कई बार घरों में, ऑफिसों में, किसी बातचीत में एक शब्द वीटो तो जरूर सुना होगा, कई मौके पर किसी के मुंह से सुना होगा कि अपना वीटो लगा दिया, वरना यह काम हो जाता, कई बार आपने यह शब्द चीन को लेकर सुना, पढ़ा होगा कि चीन ने अपना वीटो लगा दिया और भारत का काम रूक गया. तो आइए जानते हैं आखिर क्या है यह वीटो पावर, और इसकी ताकत से अमेरिका ने इजरायल- हमास के जंग नहीं रूकने दिया और इस वीटों को लेकर एक बार फिर चर्चा छिड़ गई. जिसमें भारत ने जबरदस्त अपनी बात रखी है. समझते हैं पूरा मामला. इससे पहले जानें आखिर अमेरिका ने क्या किया है वीटो के दमपर
इजरायल-हमास के बीच जारी रहेगी जंग, अमेरिका का गाजा संघर्ष विराम प्रस्ताव पर वीटो
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को गाजा में संघर्ष विराम को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया लेकिन यह पारित नहीं हो सका. क्योंकि अमेरिका ने इस पर वीटो लगा दिया. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के उप राजदूत राबर्ट वुड ने कहा कि वाशिंगटन स्पष्ट कर चुका है कि वह केवल उस प्रस्ताव का समर्थन करेगा जिसमें संघर्ष विराम के तहत बंधकों की तत्काल रिहाई की बात कही गई हो.
अब जानें वीटो पर भारत ने कैसे UN में दिखाई आंख?
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथानेनी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति के मुद्दे पर बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखी. हरीश ने कहा 'पिछले आठ दशकों के दौरान, परिषद के सभी पांच स्थायी सदस्यों ने अपने-अपने राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए वीटो का उपयोग किया है. इस अवधि के दौरान वीटो का उपयोग लगभग 200 बार किया गया है.
भारत की हुंकार, वीटो को लेकर खड़ा किया सवाल
हरीश ने वीटो पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि 'अध्यक्ष महोदय, वीटो पर भारत का रुख यह रहा है कि जब तक वीटो मौजूद है, तब तक सभी स्थायी सदस्यों को निष्पक्षता और न्याय के मामले में इसका इस्तेमाल करना चाहिए. वीटो के अस्तित्व के व्यापक निहितार्थों का उल्लेख करते हुए हरीश ने कहा, 'वीटो का उपयोग केवल पांच सदस्य देशों के लिए उपलब्ध एक प्रावधान रहा है, हालांकि यह संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संप्रभु समानता की अवधारणा के खिलाफ है'. सुधार के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का आह्वान करते हुए हरीश ने आगे कहा, 'इसलिए, हम दृढ़ता से आग्रह करते हैं कि वीटो के सवाल सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार के सभी पांच पहलुओं को आईजीएन प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से परिभाषित समयसीमा के माध्यम से व्यापक तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए'.
अब समझे क्या है वीटो?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखने की सबसे पहली जिम्मेदारी होती है. ये यूएन की सबसे पावरफुल ब्रांच या सब-ग्रुप है. इसमें 15 सदस्यों होते है और दो तरह की मेंबरशिप होती है- एक स्थाई यानी परमानेंट और दूसरी अस्थाई यानी नॉन परमानेंट. 15 में से पांच देश इसके परमानेंट सदस्य हैं. वहीं इसके अलावा 10 ऐसे देश होते हैं, जो हर दो साल में बदल जाते हैं. भारत इसका कई बार नॉन परमानेंट मेंबर बन चुका है.
किस पांच देश के पास है वीटो पावर?
इसकी शक्तियों में शांति अभियानों का योगदान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करना और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों से सैन्य कार्रवाई करना भी शामिल होता है. मौजूदा समय में यूएनएससी के पांच परमानेंट मेंबरों के पास वीटो पॉवर है. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन शामिल है. वीटो पॉवर यानी किसी भी फैसले को रोक देने की क्षमता. यूं समझिए 5 देशों में कोई एक देश अगर किसी फैसले को रोकना चाहता है तो वो वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.
भारत को वीटो मिलने से फायदा?
भारत लंबे समय से इसका परमानेंट मेंबर बनना चाहता है, क्योंकि जैसे ही भारत इसका स्थाई सदस्य हो जाएगा तो दुनिया भारत की ताकत बढ़ जाएगी. इतना ही नहीं देश के पास वीटो की पावर भी आ जाएगी, जिससे भारत इंटरनेशनल मामलों में सीधा दखल दे पाएगा. इससे भारत को विश्व स्तर पर कई तरह के कूटनीतिक फायदे भी मिलेंगे. देश की बढ़ती ताकत के दावे पर फिर एक आधिकारिक मुहर लग जाएगी. वहीं फिर भारत पाकिस्तान या दूसरे पड़ोसी देशों से भी डील करने के लिए काफी ताकतवर हो जाएगा.