विश्व हिंदू परिषद: अप्रैल, 2018 में हुई गुरुग्राम बैठक में फायरब्रांड प्रवीण तोगड़िया की जगह एडवोकेट आलोक कुमार को विहिप का अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष बनाया गया था. इससे पहले वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत के सह संघचालक थे. मृदुभाषी आलोक कुमार भाजपा में भी बड़े पदों पर रह चुके हैं.
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अयोध्या के कारसेवकपुरम में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की न्यासी मंडल की तीन दिवसीय बैठक में पदाधिकारियों के दायित्व में बदलाव किया गया है. विहिप के मौजूदा कार्याध्यक्ष आलोक कुमार को अब विहिप का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की गई है. अप्रैल, 2018 में फायरब्रांड प्रवीण तोगड़िया की जगह एडवोकेट आलोक कुमार को विहिप का अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष बनाया गया था. अब छह साल बाद उनकी जिम्मेदारी में बदलाव किया गया है.
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में हुई विहिप की बड़ी बैठक
श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण और गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में हुई विहिप की बड़ी बैठक में आलोक कुमार का प्रमोशन किया गया है. उनके साथ ही सीए बजरंग लाल बागड़ा संगठन के नए महामंत्री निर्वाचित हुए. वहीं, मिलिंद परांडे संगठन महामंत्री और विनायक राव देशपांडे को सह संगठन महामंत्री बनाया गया है. आइए, जानते हैं कि विहिप के नए अध्यक्ष आलोक कुमार कौन हैं?
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिसौली गांव के रहने वाले
विश्व हिंदू परिषद के नए अध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार जमीनी तौर पर काम करने के लिए मशहूर हैं. विहिप में आने से पहले तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दिल्ली प्रांत के सह संघचालक रहे हैं. विहिप के ज्यादातर आक्रामक स्वभाव के नेताओं के बीच आलोक कुमार मृदुभाषी हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आलोक कुमार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिसौली गांव के रहने वाले हैं.
डूसू अध्यक्ष और दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे हैं आलोक कुमार
4 सितंबर 1952 को जन्मे आलोक कुमार ने बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक बन गए थे. छात्र जीवन से ही सार्वजनिक जीवन में सक्रिय आलोक कुमार साल 1973 से 1974 तक दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष रहे हैं. छात्र संघ राजनीति के बाद भाजपा के जरिए उन्होंने मुख्यधारा की राजनीति में भी हाथ आजमाया हुआ है. 1993 से 1995 के बीच दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे हैं. इसके अलावा भाजपा में प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक रह चुके हैं.
दधीचि देहदान समिति के संस्थापक सदस्य और संरक्षक के रूप में पहचान
आलोक कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिंदी और अंग्रेजी में माउथपीस बताए जाने वाले पांचजन्य और आर्गेनाइजर को छाप रहे भारत प्रकाशन के एमडी रह चुके हैं. आलोक कुमार की एक और खास पहचान दधीचि देहदान समिति के संस्थापक सदस्य और संरक्षक के रूप में भी है. इसके माध्यम से अब तक वह 200 लोगों का देहदान करा चुके हैं. उन्होंने अपने माता-पिता का भी देह दान कराया है. इसके तहत मरने के बाद ट्रांसप्लांट हो सकने वाले अंग के अलावा बाकी बॉडी पर मेडिकल स्टूडेंट प्रैक्टिकल कर सीखते हैं.
राम मंदिर निर्माण की सफलता के बाद विहिप का नया अभियान
आरएसएस और विहिप सहित तमाम हिंदूवादी संगठनों के केस लड़ते रहने वाले एडवोकेट आलोक कुमार के बारे में कहा जाता है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण अभियान की सफलता के बाद उनकी प्रतिबद्धता के लिए प्रमोशन किया गया. अब वह मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान और काशी में ज्ञानवापी को लेकर आंदोलन को तेज कर सकते हैं. उनका मानना है कि अयोध्या, मथुरा और काशी का मुद्दा किसी एक आदमी की नहीं, बल्कि देश दुनिया में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं की भावना है.
महिलाओं को बराबरी का दर्जा और गरिमा की रक्षा पर फोकस
आलोक कुमार आरएसएस की लाइन 'व्यक्ति नहीं, संगठन बड़ा होता है' को सख्ती से मानते हैं. उनका कहना है कि हिंदू समाज में कहीं भी और किसी भी स्तर पर बिखराव न दिखाई दे. इसके लिए समरसता पर विशेष काम किया जा रहा है. विश्व हिंदू परिषद किसी धर्म के विरोध में नहीं बल्कि देश के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों के खिलाफ है. आलोक कुमार ने कहा कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिले और उनकी गरिमा की रक्षा की जाए. शादी के बाद बिना ठोस कारण के तलाक न हो. इसको लेकर अभियान शुरू किया जा सकता है.
विहिप के अध्यक्ष चुने जाने के बाद आलोक कुमार ने क्या कहा
विहिप के अध्यक्ष चुने जाने के बाद आलोक कुमार ने कहा कि हिंदुओं के 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा होने पर हर तरफ खुशी का माहौल है. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के समारोह को दुनिया के 55 देशों में 7 लाख मंदिरों में जमा होकर 9 करोड़ लोगों ने देखा. महोत्सव के रूप में सामूहिक तौर पर इसे मनाया गया. विहिप की बैठक में राममंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम राज्य की ओर के साथ ही लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवादी एवं हिंदू हित की सरकार बनाने को लेकर प्रस्ताव भी पास किए गए.