Jairam Ramesh Vs N Biren Singh: जयराम रमेश ने बीजेपी से सवाल करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर क्यों नहीं जाते और वहां के हालात पर कुछ क्यों नहीं बोलते?
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N Biren Singh: मणिपुर में जातीय संघर्ष पर अफसोस जाहिर करते हुए सीएम एन बीरेन सिंह ने राज्य के लोगों से माफी मांगी है. इस पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बीजेपी से सवाल करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर क्यों नहीं जाते और वहां के हालात पर कुछ क्यों नहीं बोलते? उन्होंने ये भी कहा कि वह चार मई, 2023 के बाद से जानबूझकर वहां नहीं जा रहे हैं जबकि पूरे देश-दुनिया में घूम रहे हैं. मणिपुर के लोग इस उपेक्षा का कारण समझ नहीं पा रहे? मणिपुर में तीन मई, 2023 से जातीय संघर्ष शुरू हुआ था.
इसका जवाब मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट के जरिये दिया. उन्होंने मणिपुर के मौजूदा हालात के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने जयराम रमेश से कहा कि हर कोई ये जानता है कि अतीत में कांग्रेस ने जो गलतियां की हैं उसके कारण आज मणिपुर सुलग रहा है. मसलन बर्मा शरणार्थियों का मणिपुर में बारंबार सेटेलमेंट और 2008 में म्यांमार में बसे उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस एग्रीमेंट. ये एग्रीमेंट केंद्र, मणिपुर सरकार और 25 कूकी सशस्त्र उग्रवादी समूहों के साथ हुआ था. उस वक्त पी चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे. उसके बाद से हर साल इस एग्रीमेंट को बढ़ाया जा रहा है.
Everyone, including yourself, is aware that Manipur is in turmoil today because of the past sins committed by the Congress, such as the repeated settlement of Burmese refugees in Manipur and the signing of the SoO Agreement with Myanmar-based militants in the state, spearheaded… https://t.co/A0X9urZ7M6
— N. Biren Singh (@NBirenSingh) December 31, 2024
इसके साथ ही बीरेन सिंह ने कहा कि आपको ये भी याद दिलाना चाहूंगा कि मणिपुर में नगा-कूकी जातीय संघर्ष में करीब 13 हजार लोग मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हो गए. ये हिंसक संघर्ष 1992 से लेकर 1997 तक होते रहे जिसमें सबसे ज्यादा 1992-93 में संघर्ष हुआ. नॉर्थ-ईस्ट में वो दौर सबसे भयानक जातीय खूनी संघर्ष का था. इस कारण नगा और कूकी समुदायों के परस्पर रिश्ते बहुत गहरे स्तर पर प्रभावित हुए. 1991-96 के दौरान पीवी नरसिंह राव देश के प्रधानमंत्री थे और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी थे. क्या वो उस संघर्ष के दौरान मणिपुर आए थे और उन्होंने माफी मांगी थी.
N Biren Singh: दुख है, मुझे माफ कर दीजिए...मणिपुर हिंसा पर CM ने तोड़ी चुप्पी
एन बीरेन सिंह ने ये भी सवाल किया कि राज्य में 1997-98 के दौरान कूकी-पाइते जातीय संघर्ष में 350 लोगों की जानें गईं. उस वक्त इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री थे. क्या वो मणिपुर आए और उन्होंने लोगों से माफी मांगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मणिपुर के मूल मुद्दों को सुलझाने के बजाय कांग्रेस इस पर हमेशा राजनीति क्यों करती रहती है?
हिंसा की वजह
मणिपुर में 3 मई 2023 से जारी हिंसक जातीय संघर्ष में अब तक 180 से अधिक लोगों की जान चली गई. राज्य में उस वक्त हिंसा शुरू हुई जब मैती समुदाय ने अनसूचित जनजाति कोटे की डिमांड की और जनजातीय कूकी समुदाय ने विरोध किया.
मणिपुर की आबादी में मैती समुदाय की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत है. इनमें से अधिकांश इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी नागा और कूकी राज्य की जनसंख्या का 40 फीसद हैं और अधिकांशतया पहाड़ों में रहते हैं.