INDIA bloc News: 2024 में विपक्ष ने बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस समेत तमाम दलों ने घिसे-पिटे बैठ चुके यूपीए को खड़ा करने के बजाए 'इंडिया अलायंस' को जन्म दिया, जिसने 10 साल निष्कंटक राज करने वाली BJP को बहुमत का आंकड़ा छूने से रोक दिया. अब मात्र 6 महीने में यही गठबंधन टूटने के कगार पर आ गया.
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INDIA bloc: भारत में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया अलायंस में कलह का दौर तेज हो गया है. राहुल गांधी के सामने INDIA ब्लॉक में ही चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. उनके खिलाफ बयानबाजी तेज हो गई है. उन्हें चीजें संभालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सपा से तकरार की खबरों की बाढ़ सी आ रही है. ऐसे में हाथ में संविधान लिए जो विपक्षी एकता सड़क से संसद तक नजर आ रही थी, वो अब धीरे धीरे कमजोर पड़ती दिख रही है.
गठबंधन की हकीकत
2024 में विपक्ष ने बीजेपी (BJP) की अगुवाई वाले एनडीए (NDA) का विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस समेत तमाम दलों ने घिसे-पिटे और बैठ चुके यूपीए को खड़ा करने के बजाए इंडिया अलायंस को जन्म दिया. इस अलायंस ने 10 साल केंद्र में निष्कंटक राज चलाने वाली बीजेपी को बहुमत से 32 सीटें नीचे लाकर रोक दिया. कांग्रेस और सपा, बीजेपी के 400 पार वाले नारे को काटने वाले योद्धा बन गए. इस खुशी में राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव और उनके मातहत नेता बयान देने लगे कि जल्द ही इंडिया ब्लॉक बीजेपी को पूरे देश से उखाड़ फेकेगा.
कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता. इसी तर्ज पर कहावत है कि सियासत में स्थाई दोस्ती या दुश्मनी नहीं होती. दुर्भाग्य से आज सुविधाभोगी राजनीति का युग है. जहां सत्ता की मलाई खाने के लिए जनता के हितों के कथित रक्षक उनकी लड़ाई लड़ने की दुहाई देकर बहुमत न मिलने पर बेमेल विचारधारा वाले गठबंधन बनाकर सरकारें बना लेते हैं. फिर मौका निकल जाने पर या मनमुताबिक नतीजे न मिलने पर गठबंधन में दरार आ जाती है और अबतक - 'हम बने तुम बने एकदूजे के लिए' गाने वाले एक दूसरे के जानी-दुश्मन बन जाते हैं.
इंडिया ब्लॉक खात्मे के कगार पर आ गया?
लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा. यूपी में बीजेपी महज 33 सीटों पर सिमट गई. जबकि समाजवादी पार्टी बड़ा उलटफेर कर 37 सीटें जीती. कांग्रेस ओवरआल 48 से 99 पर पहुंच गई. अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी लोकसभा में अगल-बगल बैठकर मोदी-शाह को आंख दिखाने लगी. इस बीच दोनों ही नेताओं ने इंडिया ब्लॉक से इतर अपने-अपने असल एजेंडे पर फोकस शुरू किया. शुरुआत में राहुल गांधी और अखिलेश दोनों एक-दूसरे की जीत को इंडिया ब्लॉक की सामूहिक जीत बता रहे थे. अचानक अखिलेश, पीडीए सेंट्रिक होकर PDA-PDA रटने लगे तो कांग्रेस के नेता भी अपने दम पर केंद्र में सरकार बनाने का सपना देखने लगे.
इंडिया ब्लॉक का हनीमून पीरियड खत्म भी नहीं हुआ था कि चुनाव आयोग ने हरियाणा चुनाव का ऐलान कर दिया. वहां पर टिकट बंटवारे को लेकर कलेश देखने को मिला. इंडिया ब्लॉक के अगुवा धराशाई होकर औंधे मुंह गिर गए. इसके बाद रही सही कसर महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों ने पूरी कर दी. महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के पार्टनर्स नाम बदलकर एमवीए (MVA) यानी महाविकास अघाड़ी के बैनर तले लड़े. कांग्रेस, उद्धव सेना और राकांपा (शरद पवार) का सूपड़ा साफ हो गया तीनों मिलकर 46 सीटें जीत सके. मतगणना के दौरान अघाड़ी के दिग्गजों के पसीने छूट रहे थे. तीनों में से एक का तो दहाई का आंकड़ा पार करना मुश्किल लग रहा था.
राहुल गांधी का इंडिया गुट में विरोध
इसी दौरान यूपी के विधानसभा उपचुनावों में सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर कलह देखने को मिली. वहां अखिलेश की मर्जी चली. नतीजों में बीजेपी ने 9 में से 7 सीटें जीतकर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को 440 वोल्ट का झटका दिया. कुंदरकी और कटेहरी की सीट सपा की नाक के नीचे से छीनकर बीजेपी ने कमल खिलाकर ये बता दिया कि अखिलेश जिस पीडीए की माला जप रहे थे, बीजेपी के योगी बाबा (सीएम योगी आदित्यनाथ) ने मिलजुलकर उसका तोड़ खोज लिया है.
अडानी ग्रुप के कारोबार की जांच और गौतम अडानी (Gautam Adani) की गिरफ्तारी की मांग का मुद्दा भी अब इंडिया ब्लॉक पर बोझ बनता जा रहा है. तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार में अडानी की कंपनियों के निवेश पर सवाल पूछे जाने और इसी विषय पर अन्य राज्यों के नेताओं की चुप्पी के बावजूद कांग्रेस अडानी के कारोबार की जांच का मुद्दा छोड़ नहीं पा रही है.
ताजा मिसाल की बात करें तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले महीने INDIA ब्लॉक की मीटिंग बुलाई थी, लेकिन उसमें ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ. संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस ने अडानी का मुद्दा जोर शोर से उठाया, वॉकआउट तक किया. अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस की अगुवाई वाले प्रोटेस्ट में न तो पीडीए के कथित प्रणेता अखिलेश यादव की पार्टी सपा के सांसद गए और ना ही ममता बनर्जी की टीएमसी का एक भी सांसद वहां नजर आया.
ममता बनर्जी ने की अगुवा बनने की पेशकश
महाविकास अघाड़ी अभी सदमें से उबरी भी नहीं थी कि इंडिया ब्लॉक में नये कलेश की सुगबुगाहट दिखी. पश्चिम में महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर पूरब में बंगाल की सत्ता चला रहीं टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी शिगूफा छोड़ती हैं कि वो इंडिया ब्लॉक की अगुवा बनने को तैयार हैं. इसके बाद शरद पवार ने भी उन्हें काबिल बताने में देर नहीं लगाई. शरद पवार ने कहा कि ममता काबिल नेता हैं. वो विपक्ष (इंडिया ब्लॉक) का नेतृत्व कर सकती हैं.
टीएमसी Vs कांग्रेस
TMC नेता कुणाल घोष ने कहा कि ममता बनर्जी इंडी का नेतृत्व कर सकती हैं. फौरन यूपी कांग्रेस के सर्वेसर्वा अजय राय लल्लू बोले की देश का नेतृत्व हो या इंडिया अलायंस का हर काम केवल कांग्रेस की कर सकती है.
सपा Vs कांग्रेस
अचानक साल के आखिरी महीने में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होता है. वहां विपक्ष के सांसदों का सिटिंग अरेंज बदल जाता है. पहले कांग्रेस-सपा के दिग्गज एक ही पंक्ति में दिखते थे. अब सपा के सिटिंग प्लान में कांग्रेस की वजह से बदलाव हुआ तो ये बात अखिलेश यादव को अंदर तक चुभ गई. हालांकि अखिलेश ने सीधे राहुल गांधी का नाम नहीं लिया लेकिन उनके चाचा और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव इतना तिलमिला गए कि बोल पड़े- 'राहुल गांधी हमारे नेता नहीं.' यानी समाजवादी पार्टी ने खुलकर कह दिया कि राहुल गांधी हमारे नेता नहीं है.
जैसे ही सपा नेताओं का बयान आया वैसे ही उद्धव सेना यानी एसएस (यूबीटी) के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने समाजवादी पार्टी को बीजेपी की टीम बी बता दिया.
पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण क्या कांग्रेस को भारी पड़ रहा अडानी का मुद्दा?
पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों में सिर फुटौव्वल देखने को मिल रही है. विपक्ष में साउथ की सिर्फ एक पार्टी तमिलनाडु की स्टालिन की अगुवाई वाली डीएमके (DMK) है, जो कांग्रेस के आगे और पीछे दोनों ओर चट्टान की तरह अडिग खड़ी है. बाकी इंडिया ब्लॉक में लोकसभा चुनावों के दौरान ही कई घटक दल अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग बजा रहे थे. बंगाल में ममता नाराज थीं. उन्होंने कांग्रेस को तवज्जों नहीं दी और टीएमसी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं. इसी तरह केरल में भी अंदरखाने नाराजगी थी. यहां पर मामला वामदलों का था.
2025 में गायब हो जाएगा इंडिया ब्लॉक?
अब एक बार फिर से इंडिया ब्लॉक में खींचतान और परस्पर विरोधाभासी बयानबाजी का दौर चरम पर है. 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2025) होने हैं. इंडिया ब्लॉक के बैनर तले एक दशक के ऊपर से दिल्ली की सत्ता का सुख भोग रही आम आदमी पार्टी जिसने कांग्रेस के साथ दोस्ताना निभाते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा था, उसने साफ कर दिया है कि आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. वहीं कांग्रेस भी अपने दम पर दिल्ली में चुनाव लड़ने की बात कह चुकी है.
बिहार में भी 2025 में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2025) होना है. सभी दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं. इंडिया ब्लॉक से अकेले आरजेडी आक्रामक दिख रही है. वहां बिहार में इंडिया के घटक दल कांग्रेस को कितना भाव यानी सीटें देंगे? साथ लड़ेगा या नहीं जैसे सवालों पर कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है. लिहाजा बिहार में आगे इंडिया ब्लॉक का क्या हश्र होगा, ये भविष्य के गर्भ में हैं.