Team India: ये तो गनीमत है कि टीम इंडिया ना सिर्फ अपने खेल में बल्कि अपने खेल प्रशासन के कौशल में भी टॉप पर है. साथ ही आईसीसी का सबसे ज्यादा फायदा इंडियन क्रिकेट से हो रहा है. वरना दुनिया देख चुकी है क्या-क्या सुलूक भारतीय क्रिकेट और क्रिकेटर्स के साथ हुआ है. रही बात पाकिस्तान में जाने की.. तो इसके एक नहीं कई नजरिए हैं.
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Champions Trophy In Pakistan: विजडन क्रिकेट मंथली मैगजीन का मूल प्रकाशन 1979 से 2003 तक ब्रिटेन से हुआ. बाद के सालों में इसको दोबारा शुरू किया गया. 1983 के दौर में इसके संपादक डेविड फ्रिथ थे जो लंदन शहर के बहुत ही पॉश इलाके में रहते थे. टीम इंडिया दो वर्ल्ड कप खेल चुकी थी, तीसरी खेलने की बारी आई तो डेविड फ्रिथ ने लिखा कि भारत जैसी टीमों को तो वर्ल्ड कप खिलाना ही नहीं चाहिए. मजे की बात देखिए उसके बाद क्या हुआ. पूरी दुनिया ने देखा. अब वर्ल्ड कप के बाद डेविड फ्रिथ के अगले लेख पर नजर मारिए.. उन्होंने लिखा कि मैं लॉर्ड्स के प्रेस बॉक्स में बैठा.. मेरे एक हाथ में रेड वाइन का पैग था दूसरे में मेरा ही लिखा हुआ लेख था. मैं धीरे-धीरे उस पन्ने को चबा गया और अपने शब्द वापस ले लिए.
एक और छोटा सा वाकया और बताते हैं फिर वापस पाकिस्तान और आफरीदी पर आते हैं. अभी कुछ ही समय पहले 2021 में ऑस्ट्रेलिया के कोच जस्टिन लेंगर थे. वही जस्टिन लेंगर जो अपने खेल के दौर में ऑलमाइटी ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा थे और दुनिया भर की टीमों से स्लेजिंग किया करते थे.. भारत से कुछ ज्यादा ही. तो 2021 में भारतीय टीम ने गाबा में झंडे गाड़ दिए और ऑस्ट्रेलिया का बचा खुचा घमंड तोड़ दिया, सीरीज जीत ली, फिर लेंगर बोले.. जीवन की सबसे बड़ी सीख यही है कि भारतीय टीम को कभी कमतर नहीं आंकना चाहिए.
अभी अभी टीम इंडिया अपना दूसरा टी20 वर्ल्ड कप जीती है. अब चैंपियंस ट्रॉफी पर नजर है जो पाकिस्तान में होनी है.. लेकिन भारत वहां नहीं जाएगा.. उसके कई कारण हैं. इसी बीच पाकिस्तान के क्रिकेट प्रशंसक नाराज भी हैं और उम्मीद में भी भरे हैं कि टीम इंडिया पाकिस्तान आए. फिर एक आते हैं शाहिद आफरीदी, कभी पाक टीम के पोस्टर ब्यॉय रहा करते थे. उन्होंने कह दिया कि विराट कोहली अगर पाकिस्तान आए तो उनकी ऐसी आवभगत होगी कि वे भारत को ही भूल जाएंगे.
नहीं शाहिद आफरीदी साहब. ऐसा नहीं है. कतई नहीं है.. पहले तो आपको खुद अपने हुक्मरानों से पूछना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान क्यों नहीं आती.. आपको सटीक जवाब मिल जाएगा. आपको खुद ही पता होगा वैसे क्योंकि राजनीति में भी आप बीच-बीच में चीकी सिंगल लेते रहते हो. हमारी टीम कोई ईर्ष्यावश नहीं जा रही है बल्कि आपके और आपके नेताओं के कर्मों की वजह से नहीं जा रही है. दूसरी बात आप ईर्ष्या करने लायक बचे ही नहीं हो. दुनिया भर की क्रिकेट टीमें और लीग टीमें तरस रही हैं विराट कोहली, रोहित शर्मा और बुमराह के दर्शन के लिए.. आप कहां भकुआए बैठे हो.
रही बात आपके आवभगत की तो साहब आपको पता नहीं शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस है या लॉन्ग टर्म मेमोरी लॉस है. अभी कुछ ही साल पहले आपका एक इंटरव्यू सरहद के उस पार भी देखा गया.. इस पार भी. जिसमें आपने कहा कि टीवी पर एक भारतीय महिला थाली लेकर किसी का स्वागत कर रही थी और आपकी बेटी टीवी देख रही थी तो आपने टीवी ही फोड़ दिया था. आपने बड़े ही गर्वीले शब्दों में ये सब बताया था. ये सब देखकर आपके यहां काफी लोग खुश हुए होंगे.
ये आपकी असली सोच है. आपके कामरान अकमल अर्शदीप को क्या बोलते हैं. वकार यूनिस साहब भारत में रिजवान को लेकर क्या बोलते हैं, ये सब आपकी सोच है. और इससे ज्यादा भारत के प्रति पाकिस्तान और आप सबकी सोच को हम ना बताएंगे ना आप सुन पाएंगे. वो पूरी दुनिया को पता है. आवभगत की पैंतरेबाजी मत करिए.
तो मेरे पाकिस्तान के दोस्तों क्रिकेट के प्रशंसकों आपकी ये गिड़गिड़ाहट अच्छी लग रही है. आपकी ये बात भी अच्छी लगती है जब आप भारत से अपनी तुलना करते हैं.. अच्छी से ज्यादा बचकानी भी लगती है क्योंकि ये किसी सपने देखने जैसा होता है. आखिर में आप अतिथि देवो भव हमको ना सिखाइए.. काहे से ये बात पूरी दुनिया हमसे सीख रही है. तो आप ऐसी बचकानी बातें ना करिए, आपको शुभकामनाएं.. आपके क्रिकेट को शुभकामनाएं.
लास्ट में एक चीज और जोड़ रहा हूं.. टीम इंडिया क्रिकेट की महाशक्ति ऐसे ही नहीं बनी है. बहुत पापड़ बेले हैं. 83 में उस वेस्टइंडीज टीम को पटका जो सिर्फ भगवान से डरती थी. फिर उस खौफनाक ऑस्ट्रेलियाई दौर को सबसे ज्यादा टीम इंडिया ने झेला. स्लेजिंग झेली. फिर उनको पटकना शुरू किया..उनके कई विजय रथ रोके. यही पोंटिंग.. यही लेंगर.. यही हेडन.. यही ब्रेट ली.. और फिर यही माइकल वान.. यही पीटरसन.. जो आज मुंबई, जयपुर और दिल्ली के मोहल्लों में दिख जाते हैं.. ये ऐसे ही नहीं दिख रहे हैं. आपको यहां तक के लिए लंबा.. बहुत लंबा सफर तय करना है. इसके बारे में सोचिए. टीम इंडिया आपके आवभगत की नहीं भूखी है.