चीन के चक्कर में भारत के साथ लुका-छिपी खेल रहा मालदीव, पीएम मोदी ने मारी ऐसी टीप.. पूरी इकॉनमी घुटनों पर आ गई
Advertisement
trendingNow12048446

चीन के चक्कर में भारत के साथ लुका-छिपी खेल रहा मालदीव, पीएम मोदी ने मारी ऐसी टीप.. पूरी इकॉनमी घुटनों पर आ गई

Modi In Lakshadweep: पीएम मोदी लक्षद्वीप गए, तस्वीरें शेयर कीं, लोगों को लगा कि पीएम छुट्टियां मनाने गए हैं. असल बात तो अब समझ में आई. चीन के चक्कर में फंसे मालदीव को तगड़ा मैसेज दे दिया और लक्षद्वीप टूरिज्म एक झटके में साउथ एशिया में चर्चा का विषय बन गया. इस पूरे घटनाक्रम को गहराई से समझने की जरूरत है.

चीन के चक्कर में भारत के साथ लुका-छिपी खेल रहा मालदीव, पीएम मोदी ने मारी ऐसी टीप.. पूरी इकॉनमी घुटनों पर आ गई

India-Maldives-China: करीब पांच साल पहले जब पीएम मोदी दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए तो राजनीतिक विश्लेषकों ने एक बात कही कि पीएम मोदी माइक्रो मैसेजिंग के बहुत बड़े एक्सपर्ट हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि आप मोदी की आलोचना कर सकते हैं, आप उनका समर्थन कर सकते हैं लेकिन आप उनको इग्नोर नहीं कर सकते हैं. पिछले दिनों पीएम मोदी लक्षद्वीप गए तो वहां समुद्र के बीच से कई तस्वीरें और वीडियो शेयर कर दिया. उस समय तो बहुत कम लोगों को समझ आया होगा कि इसका असली मतलब क्या है. अब जब इस दौरे को लेकर मालदीव में हड़कंप मच गया तो सारी चीजें बरबस अपने आप सामने आ गईं.

मालदीव में इस समय मुहम्मद मुइज्जू की सरकार है और वे जबसे सत्ता में आए हैं तभी से लगातर एक के बाद एक भारत विरोधी कदम उठा रहे हैं. वे चीन को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. यहां तक कि उन्होंने 'इंडिया आउट' का नारा दे दिया. जबकि भारत मालदीव के लिए वो देश है जो कई दशकों से उसे संकट से उबारने में सबसे पहले खड़ा रहा. भारतीय पर्यटकों का वहां की इकॉनमी में बड़ा योगदान है. यहां तक कि उसकी आजादी के बाद मान्यता देने वालों में सबसे आगे था. लेकिन इसके बावजूद भी भारत-चीन और मालदीव का हालिया घटनाक्रम ऐसा क्यों हुआ, इसे समझने की जरूरत है.

भारत के साथ पुराने संबंध, मालदीव की जमकर मदद हुई

असल में पहले तो भारत और मालदीव के संबंधों को जानिए, ये बहुत ही ऐतिहासिक रहे हैं. मालदीव की आजादी से लेकर अभी तक भारत उसका एक बहुत ही शानदार मित्र रहा है, हर संकट में पहला कदम भारत की तरफ से ही बढ़ा. चाहे वह 2018 का पानी संकट रहा हो, तब मोदी सरकार ने वहां पीने का पानी भेजा था. शुरुआत में मालदीव के आजाद होते ही भारत ने उसे मान्यता दे दी. 1965 में माले में भारत ने सबसे पहला मिशन खोला. फिर 1988 में राजीव गांधी सरकार ने सेना भेजकर मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को बचाया था. भारत ने 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर और साल 2020 में एक छोटा विमान गिफ्ट में दिया था. इसके अलावा भी कई बार भारत ने बिना शर्त उसकी मदद की है. करीब छह दशकों से अधिक पुराने संबंध को भारत ने जमकर निभाया है. 1988 का ऑपरेशन कैक्टस तो किसको याद नहीं होगा जब रोनाल्ड रीगन से लेकर मार्गेट थ्रेचर तक, पूरी दुनिया ने मालदीव को बचाने के लिए भारतीय सेना को सलाम भेजा था.

मालदीव में दो धड़े- भारत समर्थक, भारत विरोधी 
वहां में दो प्रमुख पार्टियां हैं. मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस. इस समय मोहम्मद मुइज्जू जो अभी मालदीव के राष्ट्रपति हैं, वे पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के नेता हैं. वे चीन के पक्के समर्थक माने जाते हैं और भारत के विरोधी माने जाते हैं. हाल ही में मालदीव में जब चुनाव हुए तो मोहम्मद मुइज्जू ने भारत समर्थक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया था और मालदीव के आठवें राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. यही दो पार्टियां वहां मुख्य हैं. एक को भारत समर्थक माना जाता है और दूसरे को चीन समर्थक. लेकिन मोहम्मद मुइज्जू को अभी सरकार बनाए कुछ ही महीने हुए, इन्होने तो हद कर दी. लगातार भारत विरोधी गतिविधियां कर रहे हैं. 

मोहम्मद मुइज्जू ने तो हद कर दी..
मालदीव में जब भी कोई नेता चुनाव जीतता था तो पहले भारत का दौरा करता था, मुइज्जू ने इस परंपरा को तोड़ दिया और उन्होंने तुर्की फिर यूएई इसके बाद चीन को चुना फिर चीन के बाद वे भारत आने वाले हैं. इतना ही नहीं राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने भारत से अपने 77 सैनिकों को मालदीव से वापस बुला लेने का भी समझौता कर लिया. 100 से अधिक द्विपक्षीय समझौतों की समीक्षा का भी फैसला किया. मुइज्जू सरकार ने दिसंबर में भारत के साथ जल समझौते को भी खत्म किया. इसमें भारत को मालदीव के जलक्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वे की अनुमति मिली थी. इसके साथ-साथ मुइज्जू सरकार और उसके मंत्री लगातार भारत विरोधी बयान और गतिविधियां देते आ रहे हैं. 

चीन के चक्कर में क्यों फंसा मालदीव?
यह एक बहुत जरूरी पहलू है कि मालदीव चीन के चक्कर में कैसे फंस गया. दोनों देशों के संबंध उतने पुराने नहीं हैं जितने कि भारत से पुराने हैं. चीन और मालदीव के बीच कूटनीतिक रिश्तों की शुरुआत 1972 में हुई, मालदीव ने 2009 में और चीन ने 2011 में अपना दूतावास खोला. फिर 2014 में चीन ने मालदीव को 1.6 करोड़ डॉलर देकर बेल्ट एंड रोड परियोजना में एंट्री मारी, यहीं से चीन के चक्कर में मालदीव पड़ गया. फिर अब मोहम्मद मुइज्जू ने तो चीन को सिर आंखों पर बिठा लिया है. उन्होंने ‘इंडिया आउट’ और 'चीन फर्स्ट' का नारा दिया. जबकि पहले की सरकारों में 'इंडिया फर्स्ट' का नारा था. चीन ने हाल के वर्षों में मालदीव में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश किया है. इन्हीं सबकी वजहों से चीन धीरे-धीरे अपना प्रभुत्व मालदीव पर जमाने लगा. यहां तक कि आईएमएफ के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मालदीव पर चीन का लगभग 1.3 बिलियन डॉलर (1 खरब से ज्यादा) बकाया हो गया है. चीन अब मालदीव का सबसे बड़ा बाहरी कर्जदाता है. सार्वजनिक कर्ज में लगभग 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी चीन हो गई. मतलब साफ है क़ चीन कहां पहुंच चुका है.

इस लुका-छिपी के खेल में पीएम मोदी का लक्षद्वीप दौरा
उधर मोहम्मद मुइज्जू चीन की गलबहियां के लिए बिसात बिछा ही रहे थे कि इधर पीएम मोदी ने एक चाल चल ही दी, वो भी बिना किसी तामझाम किए हुए. वे लक्षद्वीप गए, वहां कई योजनाओं का शुभारंभ किया और फिर वो चीज कर आए, जिसे लोग दो तीन दिन बाद समझ पाए. वह भी तब जब मालदीव में बवाल हो गया. हुआ यह कि पीएम मोदी ने लक्षद्वीप के बीच से कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किए, इसके बाद बॉलीवुड और देश की बड़ी हस्तियों ने इसे हाथोंहाथ ले लिया और लक्षद्वीप टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात होने लगी. उधर मालदीव के कुछ मंत्रियों ने पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी कर दी. फिर मालदीव की ही विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथ ले लिया. फिर मुइज्जू सरकार को समझ में आ गया कि गलती हो गई. 

मुइज्जू सरकार बैकफुट पर, इकॉनमी घुटनों पर
मालदीव ने तत्काल डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया. सरकार ने 3 मंत्रियों पर एक्शन लिया. मरियम शूजा, मालशा और हसन जिशान को पद से हटा दिया. इन सबने पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद आपत्तिजनक बयान दिया था. मालदीव के विपक्षी नेताओं ने अपनी सरकार से साफ कह दिया कि यह देश भारत की मदद से बना और बिना उसकी मदद से नहीं चल सकता है. यहां तक कि इब्राहिम मोहम्मद सोलिह सरकार में विदेश मंत्री रहे अब्दुल्ला ने तो यह भी कह दिया कि भारत आजमाया हुआ मित्र है. हम अपना ही नुकसान कर रहे हैं. उन्होंने पीएम मोदी के साथ तस्वीर भी शेयर की है. इसके अलावा कई अन्य विपक्षी नेताओं ने भारत के प्रति समर्थन जताया.

इधर बॉलीवुड और क्रिकेटर्स भी मैदान में..
बिना मालदीव का नाम लिए हुए पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर बॉलीवुड भी मैदान में उतर गया. अक्षय कुमार, कंगना रनौत, श्रद्धा कपूर, सलमान खान. जॉन अब्राहम जैसी बड़ी सेलिब्रिटीज ने ट्वीट कर लोगों से भारतीय टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही है. ट्वीट कर सेलेब्स ने मालदीव्स के नेताओं को उनकी औकात दिखा दी. यहां तक की दिग्गज सचिन तेंदुलकर और सुरेश रैना ने भी मालदीव के नेताओं को खरी-खोटी सुना दी. साथ ही लक्षद्वीप टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही. अभिनेत्री ईशा गुप्ता ने तो लक्षद्वीप के अपने दौरे की शानदार तस्वीरें भी शेयर कर दी हैं.

अब क्या होगा मालदीव का अगला कदम.. 
सच तो यह है कि मोदी के एक कदम ने मुइज्जू सरकार की हेकड़ी निकाल दी और गेंद मालदीव के पाले में डाल दी है. वह भी बिना मालदीव का नाम लिए, बिना कोई कड़ा कदम उठाए. लेकिन सच यह भी है कि मालदीव अब इसका नुकसान भुगतेगा क्योंकि आज ही एक रिपोर्ट आई है कि इस घटनाक्रम के बाद से करीब आठ हजार से ज्यादा की होटल बुकिंग और करीब ढाई हजार से ज्यादा फ्लाइट टिकट कैंसल हो चुके हैं. मालदीव में टूरिज्म ही सबसे बड़ी इंडस्ट्री है. मालदीव की इकोनॉमी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 28 फीसदी तक की है और भारतीय पर्यटकों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. ऐसे में उसका घाटा होना तय है. साथ में यह भी तय है कि लक्षद्वीप में टूरिज्म बढ़ेगा. अब मालदीव के सामने डैमेज कंट्रोल के अलावा कोई और चारा नहीं होगा.

Trending news