Donkey Route: जानें क्या होता है डंकी रूट, जान हथेली पर इन देशों में क्यों जाना चाहते हैं भारतीय युवा
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Donkey Route: जानें क्या होता है डंकी रूट, जान हथेली पर इन देशों में क्यों जाना चाहते हैं भारतीय युवा

Dunki: शाहरुख खान की फिल्म डंकी 22 दिसंबर को रिलीज होने वाली है. लेकिन इस फिल्म की चर्चा तेज हो गई है. इललीगल इमीग्रेशन पर बनी इस मूवी को देखने के लिए अभी आपको इंतजार करना होगा. लेकिन यहां हम डंकी रूट या डंकी फ्लाइट के बारे में बताएंगे.

Donkey Route: जानें क्या होता है डंकी रूट, जान हथेली पर इन देशों में क्यों जाना चाहते हैं भारतीय युवा

What is Donkey Route:  विदेश जाने की चाह करीब करीब हर भारतीय की होती है. खासतौर से पश्चिमी देश (अमेरिका, कनाडा, यूके) अपनी चमक दमक से भारतीयों को आकर्षित करते हैं. दरअसल बेहतर रोजगार के अवसर, ज्यादा कमाई की चाह इन देशों में जाने की बड़ी वजह है. लेकिन इन देशों में नियम कानून बेहद कड़े होते हैं और उसकी वजह से सीमित संख्या में ही भारतीय कानूनी तौर से जा पाते हैं. भारतीयों में इन देशों में जाने की चाह ने उन लोगों को मौका दिया जो भारत या अमेरिका में रहकर बड़ी रकम बनाने का मौका ढूंढते रहते हैं. चूंकि कानूनी तौर पर वे भारतीय युवाओं को नहीं भेज सकते हैं लिहाजा वे अवैध तरीके से लोगों को भेजते हैं जिसे डंकी रूट,डंकी फ्लाइट के नाम से जाना जाता है.

2017 को याद करना जरूरी

डंकी रूट या डंकी फ्लाइट को समझने से पहले 2017 की एक घटना पर गौर करना जरूरी है. करीब 30 की संख्या में भारतीय अमेरिका के लिए डेरेन गैप से गुजर रहे थे. थकावट, भूख, जंगली जानवरों, जहरीले कीड़े मकोड़े की चुनौतियों की परवाह ना कर वो किसी तरह अमेरिका में दाखिल होना चाहते थे. जब  प्यास लगती थी तो अपने टी शर्ट को निचोड़ कर बारिश के पानी में मिलाकर पी लेते थे. थकावट ज्यादा महसूस होती तो जंगल में कहीं बैठ जाते या लेट जाते. भूख तेज लगती तो दिल को सांत्वना देते कि कोई बात नहीं अब तो मंजिल आने वाली है और आगे बढ़ जाते. यह कहानी सिर्फ 30 लोगों की नहीं है बल्कि सैकड़ों-हजारों भारतीयों की है जो अमेरिका जाने की चाहत में इस तरह के रास्ते पर निकल पड़ते हैं. दरअसल जब वो कानूनी तौर पर अमेरिका में दाखिल नहीं हो पाते हैं तो वे अवैध तरीकों से दाखिल होने की कोशिश करते हैं. भले ही उन्हें तकलीफों के दौर से गुजरना पड़े. खास बात यह है कि अमेरिका, कनाडा या ग्रेट ब्रिटेन जाने में आने वाली मुश्किलों से वाकिफ होते हुए भी भारतीय किसी भी सूरत अपनी जान भी दांव पर लगा देते हैं.

क्या है डंकी रूट

सामान्य शब्दों में आप इसे ऐसे समझ सकते हैं. जब लोगों को अलग अलग देशों में रुकते-रुकाते हुए अवैध तरीके से बाहरी मुल्कों में भेजा जाता है तो उसे डंकी रूट कहते हैं. यह एक पंजाबी टर्म है जिसका अर्थ यह है कि कूद कर, फांद कर, फुदक कर एक जगह से दूसरी जगह जाना.अमेरिका जाने के लिए साउथ और सेंट्रल अमेरिका के देश मुख्य एंट्री प्वाइंट्स हैं. अवैध तरीके से यूएस जाने वालों को तरह तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. मसलन अगर आपके पास खाने की कमी हो गई या कोई हादसा हो गया तो दलाल पल्ला झाड़ लेता है. इसका अर्थ यह है कि आप अपनी रिस्क पर जितना आगे बढ़ सकते हैं. आगे बढ़ते रहिए. एजेंट्स की जिम्मेदारी सिर्फ इतनी भर है कि वो आपको रास्ते के बारे में जानकारी देता रहेगा. उससे अधिक कुछ भी नहीं. एजेंट्स की कारगुजारियों को आप ऐसे भी समझ सकते हैं. 2022 में दो बच्चे जिनकी उम्र 3 साल और 11 साल थी वे यूएस की सीमा से महज 10 मीटर की दूरी पर मृत पाए गए थे और एजेंट्स उनके शवों को छोड़कर भाग गए.

अमेरिका जाने का क्रेज सबसे अधिक

  • अवैध तरीके से अमेरिका जाने वालों में भारतीयों की तादाद सबसे अधिक है. 

  • अमेरिका के बाद मेक्सिको, ग्वाटेमाला, अल सल्वाडोर का नंबर है.

  • भारत में पंजाब और हरियाणा,यूपी और हिमाचल प्रदेश से ज्यादा लोग जाते हैं.

इस तरह से जाते हैं भारतीय नागरिक

  • नौजवानों को एजुकेशन वीजा के नाम पर विदेश भेजे जाने की लालच दी जाती है.

  • जब विदेश जाने वाले युवा पूरी रकम अदा कर देते हैं तो बताया जाता है कि एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दिया गया है.

  • अब ऐसी सूरत में हताश युवाओं को एजेंट विदेश जाने का रास्ता सुझाते हैं जो गैरकानूनी होता है. वो अवैध तरीके से युवाओं को भेजते हैं जिसे डंकी रूट का नाम दिया गया है.

  • डंकी रूट से भेजने के एवज में एजेंट 20 से 30 लाख रुपए चार्ज करते हैं.

  • एक आंकड़े के मुताबिक साल 2016, 2017 और 2018 में अवैध तरीके से यूएस जाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है और यह सालों साल बढ़ता गया.

  • 2016 में करीब साढ़े तीन हजार, 2017 में करीब 3 हजार और 2018 में करीब 9 हजार लोगों ने अवैध तरीके से यूएस में दाखिल होने की ख्वाहिश की थी.

  • 2014 से करीब 22 हजार भारतीयों ने यूएस में शरण के लिए अर्जी लगाई थी. इनमें से करीब सात हजार महिलाएं थीं. असाइलम के लिए एवरेज बेलबांड की कीमत 2 हजार डॉलर से बढ़कर 10 हजार डॉलर हो गई है.

पंजाब और हरियाणा के लोगों में क्रेज क्यों

यहां एक सवाल मन में उठ रहा होगा कि आखिर पंजाब, हरियाणा के लोग अमेरिका और कनाडा क्यों जाना चाहते हैं. दरअसल इसके लिए हमें 20वीं सदी की तरफ नजर डालना होगा. 20 सदी की शुरुआत में पंजाब के करीब हर परिवार से लोग अमेरिका, कनाडा और यूके गए. वहां उन लोगों ने कड़ी मेहनत की और उसका असर भी दिखाई दिया. अमेरिका, कनाडा, और यूके गए लोग अपने घरों में पैसे भेजते थे और उसकी वजह से आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ. यहीं से दूसरे लोगों और युवाओं में क्रेज बढ़ा और वो किसी भी तरह से इन देशों में जाने की कोशिश करने लगे.भले ही उसकी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े. इस तरह की स्थिति को समझ कर एजेंट्स या यूं कहें कि कबूतरबाजों के लिए कम मेहनत में ज्यादा पैसे कमाने का अवसर मिला. इस तरह से अवैध तौर पर भारतीयों को विदेश भेजने का सिलसिला शुरू हुआ. विदेश जाने की चाह के बारे में पंजाब और हरियाणा के युवा कहते हैं कि अपने यहां धूल धक्कड़ फांकने से बेहतर है कि वो किसी तरह से अमेरिका, कनाडा और यूके पहुंच कर ना सिर्फ खुद की बल्कि अपने परिवार की किस्मत संवार सके.

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