Rashmika Mandanna Deepfake Video Explainer: रश्मिका मंदाना मामले में चुप है कानून या सख्त, एक क्लिक में पूरी जानकारी
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Rashmika Mandanna Deepfake Video Explainer: रश्मिका मंदाना मामले में चुप है कानून या सख्त, एक क्लिक में पूरी जानकारी

Deepfake Laws in India: तकनीक के आवरण में आप किसी की जगह किसी को दिखा सकते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ था अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के साथ. डीपफेक के जरिए एक ब्रिटिश इंडियन लड़की की जगह उनकी तस्वीर का इस्तेमाल हुआ. ऐसी सूरत में हमारा अपना कानून कितना सख्त है उसे समझने की कोशिश करेंगे.

Rashmika Mandanna Deepfake Video Explainer: रश्मिका मंदाना मामले में चुप है कानून या सख्त, एक क्लिक में पूरी जानकारी

Rashmika Mandanna Deepfake Video : रश्मिका मंदाना मामले में चुप है कानून या सख्त, एक क्लिक में पूरी जानकारी  तकनीक की वजह से हम सब एक दूसरे के जितना करीब हुए हैं उसमें किसी तरह का संदेह नहीं है. लेकिन तकनीक खुद में कितनी खतरनाक है उसे आप रश्मिका मंदाना डीपफेक प्रकरण से समझ सकते हैं. दरअसल हुआ कुछ यूं कि डीपफेक तकनीक की मदद से रश्मिका मंदाना का एक वीडियो शेयर हुआ.जिस  उस वीडियो में जिसे रश्मिका मंदाना को दिखाया गया था. उसमें वो नहीं थीं बल्कि एक ब्रिटिश इंडियन लड़की जारा पटेल थी. इन सबके बीच असली वीडियो को रीशेयर करते हुए बिग बी ने कहा कि यह कितना भयावह है. खुद रश्मिका मंदाना ने लिखा कि वो बेहद डरी हुई है, इन सबके बीच यहां हम समझने की कोशिश करेंगे कि डीपफेक पर भारतीय आईटी कानून का कितना कड़ा है. इस तरह के मामलों से निपटने के लिए क्या भारतीय कानून चुप है या बेहद सख्त है.

क्या है डीपफेक तकनीक

डीपफेक तकनीक के खिलाफ भारतीय कानून कितना कड़ा है उसे समझने से पहले रश्मिका ने क्या कहा है कि उसे भी जानना जरूरी है. उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि तकनीक का जिस तरह से गलत इस्तेमाल किया गया है उससे उन्हें ना सिर्फ हैरानी हो रही है बल्कि बेहद डरी हैं. ऐसा किसी के साथ हो सकता है. कोई भी इसका शिकार हो सकता है.डीपफेक तकनीक के जरिए बहुत से डेटा का इस्तेमाल कर किसी वीडियो में चेहरा बदला जा सकता है. उदाहरण के लिए वीडियो किसी और का हो और चेहरा आपका हो सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आ जाने के बाद इस तरह की शरार और आसान हो चुका है. इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ ब्लैकमेल करना, परेशान करना और पैसे ऐंठना शामिल होता है. इस तकनीक में कोई भी जानकार फ्रेम बाई फ्रेम एडिटिंग नहीं कर पाता है, लिहाजा क्या असली और क्या नकली उसकी पहचान में मुश्किल होती है. वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट पर भी गौर करना जरूरी है. पिछले एक साल में पूरी दुनिया में करीब डेढ़ लाख मामले डीपफेक के आए हैं. यही नहीं एआई तकनीक से अपलोड करने वाली दुनिया की टॉप 10 साइट पर 2018 से अबतक करीब 290 फीसद का इजाफा हुआ है.

डीपफेक को किस तरह डील करता है भारतीय कानून

आईटी अधिनियम 2000

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 डी में प्रावधान है कि जब किसी संचार उपकरण या कंप्यूटर संसाधन का उपयोग गलत इरादे से धोखाधड़ी करने के लिए किया जाता है, तो व्यक्ति को तीन साल तक की कैद हो सकती है  इसके साथ 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. आईटी एक्ट का दूसरा भाग धारा 66 ई है. डीपफेक का इस धारा में जिक्र है.  यदि कोई शख्स बड़े पैमाने पर मीडिया में तस्वीरों को कैप्चर करने, प्रकाशित करने या प्रसारित करने के लिए  किसी शख्स की गोपनीयता का उल्लंघन करता है तो उसे तीन साल तक की कैद या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.''

कॉपीराइट अधिनियम, 1957

अधिनियम की धारा 51 के तहत किसी अन्य व्यक्ति की किसी भी संपत्ति का उपयोग करना, जिस पर बाद वाले व्यक्ति का विशेष अधिकार है,अधिनियम का उल्लंघन है. हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हैं.  

डेटा संरक्षण विधेयक 2023

विधेयक में किसी भी प्रकृति के व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत डेटा के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान है. आईटी रूल्स 2023 में स्पष्ट प्रावधान है कि इस तरह के वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से 36 घंटे के भीतर हटाना होगा, अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से नहीं हटाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.यह डीप फेक सहित विभिन्न साइबर अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. 

अब यदि इन प्रावधानों को देखें को डीपफेक के लिए सजा की व्यवस्था है. लेकिन व्यवहारिक तौर पर इस तरह के मामलों में लोग कम रिपोर्ट करते हैं. इसके साथ ही भारत में सायबर क्राइम डिटेक्शन में जितनी तेजी से कार्रवाई होनी चाहिए उसमें भी ढीला ढाला रवैया सामने आता है. हालांकि रश्मिका मंदाना केस के सामने आने के बाद आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने भी अपनी टिप्पणी दी. उन्होंने कहा कि जो लोग भी इस तरह की फर्जी जानकारी या वीडियो फैलाने का काम करते हैं उन्हें नहीं बख्शेंगे. 

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