China Offer To France: फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अमेरिका और चीन के बीच उलझी दुनिया में यूरोप को उभारने की कोशिश में लगे हैं. उनकी मंशा भांपकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपना दांव चल दिया है.
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China, France And India: सितंबर 2021 में आई एक एक खबर ने फ्रांस को आगबबूला कर दिया. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया ने पेरिस को बताए बिना साझेदारी कर ली थी. तीनों ने इसे नाम दिया था AUKUS. AUKUS के जरिए अमेरिका और ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीन बनाने में मदद करने वाले थे. फ्रांस को एक और झटका तब लगा जब कुछ घंटों बाद ऑस्ट्रेलिया ने साझा सबमरीन प्रोजेक्ट भी कैंसिल कर दिया. फ्रांस खुद को इस तिकड़ी के हाथों 'ठगा' हुआ महसूस कर रहा था. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शायद उसी पल सोचा हो कि वह फ्रांस के नेतृत्व में यूरोप को न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का मीडिएटर बना सकते हैं. जब अमेरिका, UK और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर झटका दिया, फ्रांस ने भारत से संपर्क साधा और इंडो-पैसिफिक में सहयोग मांगा. जनवरी 2024 में, मैक्रों भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बनकर आए. हिंद महासागर और इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का रोडमैप बना. ठीक दो दिन बाद ही फ्रांस को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से गजब 'ऑफर' मिला है. जिनपिंग चीन-फ्रांस के रिश्तों में आमूल-चूल बदलाव लाना चाहते हैं.
करीब ढाई साल के अंतराल पर घटे इन दो घटनाक्रमों को जोड़कर देखेंगे तो समझ आएगा कि क्यों फ्रांस ने भारत से रक्षा संबंध मजबूत किए हैं और चीन से भी याराना बरकरार रखा. मैक्रों ने AUKUS के जवाब में फ्रांस की इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटजी को ही रीबूट कर दिया.
चीन ने फ्रांस को दिया क्या ऑफर
वैश्विक तनाव और अनिश्चितता के दौर में राष्ट्रपति मैक्रों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. मैक्रों की हालिया भारत यात्रा उस समय हुई जब चीन और फ्रांस राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ मना रहे थे. इस मौके पर जिनपिंग ने फ्रांस के साथ रिश्तों को नया मोड़ देने की पेशकश की. बीजिंग में एक समारोह के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने साझा वीडियो भाषण दिया. मैक्रों ने ऐसी साझेदारी बनाने पर जोर दिया जो वैश्विक शांति और स्थिरता में योगदान देती है. अपने भाषण में, जिनपिंग ने चार प्रमुख सुझाव दिए- द्विपक्षीय संबंधों पर मजबूत ध्यान केंद्रित करना, सांस्कृतिक और लोगों-से-लोगों के बीच आदान-प्रदान का विस्तार करना, एक निष्पक्ष और व्यवस्थित वैश्विक बहुध्रुवीय प्रणाली की संयुक्त रूप से वकालत करना और पारस्परिक लाभ को प्राथमिकता देना.
शी ने कहा, 'चीन और फ्रांस को संयुक्त रूप से मानव विकास के लिए शांति, सुरक्षा, समृद्धि और प्रगति का रास्ता खोलना चाहिए.' विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन ने देश में फ्रांसीसी आयात बढ़ाने की पेशकश की है.
मैक्रों पर डोरे क्यों डाल रहा चीन
बीजिंग ने मैक्रों की भारत यात्रा पर नजरें गड़ाए रखीं. अमेरिका और EU चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को समर्थन दे रहे हैं और फ्रांस भी भारत के लिए एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में उभर रहा है. हिंद महासागर में भारत-फ्रांस के बीच बढ़ते सहयोग से चीन परेशान है. मैक्रों को जिनपिंग का यह ऑफर अचानक ही नहीं आया.
भारत से नजदीकियां क्यों बढ़ा रहा फ्रांस
फ्रांस ने AUKUS की काट के लिए रणनीति ही बदल दी. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती रार के बीच फ्रांस ने खुद को भारत के ज्यादा करीब कर लिया है. गोवा यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर दत्तेश पारुलेकर ने पिछले दिनों टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि भारत के करीब आना फ्रांस के लिए 'चीनी प्रतिस्पर्धा की पृष्ठभूमि में एशिया में मजबूत उपस्थिति बनाए रखते हुए खुद को एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने का एक अच्छा तरीका है.' फ्रांस में साइंसेज पीओ के प्रोफेसर अल्मा पियरे बोनट ने TOI कहा था, 'यह एक तरह से AUKUS की अनदेखी के लिए यूके पर पलटवार' भी हो सकता है.
भारत के लिए फ्रांस ऐसा देश है जो हर बुरे वक्त में भारत के साथ खड़ा रहा है. 1998 में जब भारत ने परमाणु टेस्ट किया, जम्मू-कश्मीर पर समर्थन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे की वकालत... फ्रांस ने भारत का बार-बार साथ दिया.
क्यों खास हैं भारत-फ्रांस संबंध
फ्रांस की नजर भारत को एंग्लो-सैक्सन दुनिया से अलग देखती है. भारत और फ्रांस एक एक-दूसरे की चुनौतियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं. फ्रांस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख पहलों में से एक, इंटरनेशनल सोलर अलायंस का सह-संस्थापक था. वह UPI पेमेंट सिस्टम को स्वीकार करने वाला पहला यूरोपीय देश था. भले ही फ्रांस QUAD का सदस्य नहीं है लेकिन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-फ्रांस साझेदारी को मजबूत करने के लिए कई सिस्टम बने हैं. दोनों के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक समुद्री सहयोग QUAD से भी पहले का है.