An Action Hero Review: एक्टर करते हैं फिल्म को संभालने की कोशिश, लेकिन लड़खड़ा जाती है यहां कहानी
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An Action Hero Review: एक्टर करते हैं फिल्म को संभालने की कोशिश, लेकिन लड़खड़ा जाती है यहां कहानी

Weekend Film: क्या एक एक्शन हीरो आयुष्मना खुराना जैसा होना चाहिए, जिसे गुस्सा भी ठीक से न आता होॽ बॉलीवुड इस फिल्म में अपना बचाव करने के साथ-साथ खुद की पीठ ठोक रहा है. लेकिन दर्शकों को एंटरटेन करने के लिए जो एक्शन-रोमांस-कॉमेडी-ड्रामा और डांस यहां चाहिए, वह गायब है.

 

An Action Hero Review: एक्टर करते हैं फिल्म को संभालने की कोशिश, लेकिन लड़खड़ा जाती है यहां कहानी

Ayushmann Khurrana Film: फिल्मों में एक्शन नकली होता है. एक्शन हीरो नकली होता है. एक्शन हीरो के खतरनाक एक्शन सीन उसका बॉडी डबल करता है. जिन्हें टुकड़ों-टुकड़ों में शूट किया जाता है. यह बात किसी से छुपी नहीं है. एक्शन हीरो भी जानता है कि पर्दे पर जो दिख रहा है, उसकी हकीकत क्या है. लेखक-निर्देशक अनिरुद्ध अय्यर की फिल्म ऐसे ही बॉलीवुड एक्शन हीरो की कहानी है, जो दिखावे की जिंदगी जीता है. जिसे घमंड है, उसने इतना पैसा कमा रखा है कि अपने पीछे लगी पुलिस से लेकर सिस्टम के हर आदमी को खरीद सकता है. इतने नकली आदमी को हीरो बनाने वाली कहानी कैसे असली लग सकती हैॽ यही एन एक्शन हीरो की समस्या है. इसकी कथा-पटकथा में इतनी ढील है कि हीरो न तो यहां बॉलीवुड फिल्म का हीरो बन सका और न हॉलीवुड का. राइटर को समझ नहीं आ रहा था कि इस नकली एक्शन हीरो के हाथों में क्या बड़ा काम संपन्न कराएं तो वह अंडरवर्ल्ड को बीच में ले आया और उसके सबसे बड़े आका का काम तमाम करा दिया. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा जैसी कहावतें ऐसी ही कहानियों के लिए हैं.

हादसा और उसके बाद
ऐसे समय जबकि सीमा पर सैनिक जान की बाजी लगाए हैं और कर्मठ सिपाही तथा गुप्तचर एजेंसियां आंतरिक सुरक्षा में दिन-रात एक किए हैं, एक नकली हीरो असली खुफिया-अफसरों से कहता है कि मैंने देश से लंबे समय से फरार चल रहे आतंकी को मार दिया है, आप लोगों को कैसे समझाओगे कि इतने साल में आप यह क्यों नहीं कर पाएॽ एन एक्शन हीरो में वे बॉलीवुड वाले अपने हाथों अपनी पीठ ठोकते हैं, जो कभी अंडरवर्ड सरगना की पार्टियों में नाचा करते थे. उन्होंने खुद को बहादुर साबित करने के लिए यह कहानी गढ़ी है. एन एक्शन हीरो में एक लोकप्रिय फिल्मी सितारा मानव (आयुष्मान खुराना) हरियाणा में शूटिंग के लिए जाता है. वहां एक नगर पार्षद भूरा सिंह सोलंकी (जयदीप अहलावत) के भाई विक्की से उसकी नोकझोंक होती है और हीरो उसे धक्का दे देता है. विक्की का सिर एक नुकीले पत्थर से टकराता है और वह मौके पर ही मर जाता है. यह सब अंधेरी सड़क पर सूनसान में घटता है. हादसे के बाद मानव वहां से भागकर मुंबई होता हुआ कुछ ही घंटों में लंदन पहुंच जाता है. जहां उसकी विशाल कोठी है. इधर मानव को मारने के लिए भूरा निकला है. वह भी रातोंरात लंदन पहुंचता है. भूरा अब मानव के पीछे है. उधर भारत में पूरा मीडिया मानव को हत्यारा-दोषी ठहराते हुए रात-दिन शोर मचा रहा है. लंदन पुलिस भी मानव के पीछे लग जाती है. मानव का क्या होगाॽ

दो हत्याओं के पीछे के तर्क
लेखक-निर्देशक अनिरुद्ध अय्यर की कहानी में जमीनी हकीकत गायब है. यहां दो बातें साफ है. एक तो सितारे का मीडिया ट्रायल और दूसरा हीरो के कसूरवार होने पर भी कहानी में उसका महिमामंडन. स्थिति यह है कि फिल्म के आखिरी दृश्य में एक व्यक्ति मीडिया कैमरे के सामने कहता है कि मानव ने किसी की हत्या की है तो क्या हुआ, उसने देश के मोस्टवांटेड आतंकी मसूद अब्राहम काटकर (गौतम जोगलेकर) को भी मारा है. कमाल का तर्क है. जबकि पर्दे कहानी आपको लगातार सच से रू-ब-रू कराती है कि मसूद की मौत कैसे हुई. भूरा का क्या हुआ. अनिरुद्ध नायर की राइटिंग और डायरेक्शन दोनों में बहुत हड़बड़ी हैं. वह बातों और घटनाओं को साफ-सुथरे-सुलझे ढंग से नहीं कह पाए. भले ही एन एक्शन हीरो की मूल फंतासी का आइडिया पहली नजर में आकर्षक लगता है, परंतु इसे सही ढंग से क्रियान्वित नहीं किया गया है.

एक ट्विस्ट और थोड़ा उधार
एन एक्शन हीरो ड्राई फिल्म है. जिसमें न सही ढंग से एक्शन है और न आम बॉलीवुड एक्शन फिल्मों को सफल बनाने वाले रोमांस, कॉमेडी, थ्रिल और अच्छे गाने. आधी से ज्यादा फिल्म में भूरा मानव के पीछे है. दोनों जब-जब आमने-सामने होते हैं, एक जैसी बातें दोहराते हैं. अंत से कुछ पहले अचानक मसूद अब्राहम काटकर का ट्विस्ट है. इसमें भी जैसे ही काटकर का किरदार कहता है कि तुम बॉलीवुड वालों ने तो डी-डे (2013 में आई फिल्म) में मुझे मार दिया था परंतु मैं यहां हूं लंदन में. अब साफ हो जाता है कि एन एक्शन हीरो की कहानी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनिरुद्ध अय्यर डी-डे से उधार लिया है. मगर कहानी की बुनावट कच्ची है, जो एंटरटेन नहीं करती. मलाइका अरोड़ा का आइटम डांस आप जैसा कोई... फिल्म के बजाय यू-ट्यूब पर ज्यादा बेहतर कट के साथ उपलब्ध है. पर्दे पर डांस निराश करता है. नोरा फतेही का डांस आखिरी क्रेडिट्स के साथ आता है. उसका फिल्म से कोई संबंध नहीं. आयुष्मान और जयदीप अहलावत ने अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाया है. मगर लेखक-निर्देशक ने जयदीप के किरदार में जान डालने की कोई अतिरिक्त कोशिश नहीं की. वह हीरो के सामने कमजोर विलेन ठहरते हैं. फिल्म बताती है कि आयुष्मान करियर में स्थायित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हेयर स्टाइल छोड़ दें तो उनका एक्शन हीरो लुक चंडीगढ़ करे आशिकी (2021) के आस-पास नजर आता है.

निर्देशकः अनिरुद्ध अय्यर
सितारेः आयुष्मान खुराना, जयदीप अहलावत, गौतम जोगलेकर
रेटिंग **

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