Shekhar Suman: शेखर सुमन इस समय अपनी सीरीज 'हीरामंडी' की सफलता को काफी एंजॉय कर रहे हैं. इसी बीच एक्टर ने अपने इंटरव्यू में खुलासा किया उनके बेटे आयुष की मौत के बाद उनका भगवान पर से भरोसा उठ गया था और उन्होंने भगवान की सारी मुर्तियों को घर से बाहर फेंक दिया था.
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Shekhar Suman On Son Aayush Demise: टीवी इंडस्ट्री से अपने करियर की शुरुआत करने वाले एक्टर शेखर सुमन कई हिंदी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय का जलवा दिखा चुके हैं. फिलहाल एक्टर फिल्म निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली की सीरीज 'हीरामंडी' में नज़र आ रहे हैं, जिसमें एक बड़े आदमी की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं. सीरीज और इसमें नजर आने वाले सभी कलाकारों के किरदारों को बेहद पसंद किया जा रहा है, जिसकी सफलता का सभी जश्न मना रहे हैं.
इस बीच शेखर सुमन ने अपनी लाइफ के एक बेहद दुखद दौर के बारे में खुलकर बात की. एक्टर ने वो समय याद किया जब उन्होंने अपने बड़े बेटे आयुष की खोया दिया था, जो अपनी मौत के समय महज 11 साल का था. दरअसल, आयुष का निधन एक बीमारी के चलते हुआ था. शेखर ने उस दिल दहला देने वाले पल को याद करते हुए बताया कि जब उनके बेटे की हालत बहुत गंभीर थी तब एक निर्देशक ने उन्हें शूटिंग के लिए आने की डिमांड की थी, लेकिन उनका बेटा नहीं चाहता था वो जाएं.
मौत से पहले पिता से लिपटा हुआ था बेटा आयुष
एक्टर ने उन दर्दनाक पलों को याद करते हुए बताया कि उनका बेटा उनसे बुरी तरह लिपटा हुआ था और उनसे शूटिंग पर न जाने की भीख मांग रहा था. आयुष के निधन के बाद, शेखर ने भगवान के प्रति अपनी आस्था को पूरी तरह से खो दिया था इतना ही नहीं, उन्होंने अपने घर से सभी धार्मिक मूर्तियों को भी हटाने का फैसला कर लिया था. एफएम कनाडा से बात करते हुए शेखर ने कहा, 'एक दिन बहुत बारिश हो रही थी और आयुष बीमार था. एक डायरेक्टर जिसे पता था कि मेरा बेटा सीरीयस है उसने मुझसे शूटिंग पर आने की रिक्वेस्ट की'.
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उस भगवान के पास नहीं जाऊंगा जिसने दर्द दिया...
शेखर ने बात करते हुए आगे कहा, 'मैंने उनको बोला भी कि मैं नहीं आ सकता. उन्होंने कहा प्लीज आ जाओ नहीं तो मेरा बड़ा नुकसान हो जाएगा, जिसके बाद मुझे जाना पड़ा. जब मैं जा रहा था तब आयुष ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा, पापा आज मत जाओ ना प्लीज. मैंने उसका हाथ छुड़ाया और कहा कि मैं जल्दी वापस आ जाऊंगा. वो मोमेंट मैं कभी नहीं मिस कर सकता. उसके बाद हम कभी नहीं मिले'. शेखर ने बताया कि आयुष के जाने पर उनका भगवान पर से भरोसा उठ गया था, जिसके बाद उन्होंने घर के मंदिर को बंद कर दिया था और सभी मूर्तियों को बाहर फेंक दिया था. मैंने कहा कि मैं भगवान के पास नहीं जाऊंगा जिन्होंने इतना दर्द दिया'.