Actor Jeetendra: हर सितारे को अपनी फिल्म के बारे में भरोसा रहता है कि वह चलेगी. दर्शक उसे देखने के लिए थिएटरों में टूट पड़ेंगे. एक दौर में जंपिंग जैक कहे जाने वाले जितेंद्र का स्टारडम आसमान छूता था. लेकिन फिर उन्हें एक तगड़ा झटका लगा. इतना तगड़ा कि पहले कभी नहीं लगा था...
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Jeetendra Films: 1980-90 के दौर में हिंदी फिल्मों के सबसे सफल एक्टरों में शामिल जितेंद्र की बेटी एकता कपूर (Ekta Kapoor) आज इंडस्ट्री की सबसे बड़ी प्रोड्यूसरों में से एक है. लेकिन खुद जितेंद्र भी स्टार बनने के बाद फिल्म मेकिंग में उतरे थे और उन्हें कामायाबी मिली थी. जितेंद्र जब युवा थे, तब उन्होंने निर्देशक एच.एस. रवैल की फिल्म मेरे मेहबूब (Film Mere Mehboob) देखी थी. वह फिल्म से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे कई बार देखा और तय किया कि वह इस निर्देशक के साथ जरूर ऐसी ही किसी फिल्म में काम करेंगे. जब जितेंद्र स्टार बन गए, तो उन्होंने फिल्म निर्माण का फैसला किया. यह वह दौर था, जब जितेंद्र की तूती बोलती थी. तब उन्होंने अपना खुद का बैनर स्थापित किया. नाम रखा, तिरूपति फिल्म्स.
फिर बनी फिल्म
जितेंद्र और उनके भाई प्रसन्न कपूर ने इस बैनर के तहत कई फिल्में बनाईं, जिनमें से अधिकांश हिट रहीं. मगर जितेंद्र के मन में मेरे मेहबूब जैसी फिल्म बनाने का सपना बना रहा. वह चाहते थे कि रवैल उनके बैनर के लिए मेरे मेहबूब जैसी फिल्म बनाएं. रवैल से उन्होंने बातचीत की और वह सहमत भी हो गए. उस दौर के जाने-माने लेखक डॉ. राही मासूम रजा ने स्क्रिप्ट लिखी और फिल्म को नाम दियाः दीदार ए यार. यह एक लव स्टोरी (Love Story) थी. कहानी मुस्लिम (Muslim) पृष्ठभूमि की थी. फिल्म में जितेंद्र, ऋषि कपूर, रेखा (Rekha), टीना मुनीम और अशोक कुमार मुख्य भूमिका में थे. साहिर लुधियानवी, कैफी आजमी, इंदीवर और अमीर मीनाई जैसे कवियों-शायरों ने गाने लिखे. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत दिया.
रह गए हैरान
जितेंद्र को फिल्म हिट होने की पूरी उम्मीद थी और फिल्म इंडस्ट्री को उनका स्टारडम देखते हुए पूरा भरोसा था कि फिल्म कमाल करेगी. जैसे-जैसे रिलीज का दिन करीब आ रहा था, जितेंद्र की उम्मीदें बढ़ रही थीं. उन्हें विश्वास था कि पहले दिन भारी भीड़ होगी. जितेंद्र ने पुलिस से अनुरोध करके रिलीज के पहले दिन पुलिस-बंदोबस्त की व्यवस्था थियेटरों के बाहर करा दी. अन्य प्रमुख शहरों में भी थिएटर के बाहर पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए. इस सुरक्षा व्यवस्था के लिए निर्माताओं ने पैसे खर्च किए थे. रिलीज की सुबह जीतेंद्र और उनकी टीम दर्शकों का रिएक्शन जानने गई. लेकिन सब हैरान रह गए कि थिएटरों के बाहर भीड़ के नाम पर केवल वे पुलिसकर्मी थे, जिनकी ड्यूटी लगी थी. लोग फिल्म देखने नहीं आए और भीड़ नहीं उमड़ी. दीदार-ए-यार जीतेंद्र और उनकी कंपनी के लिए बहुत बड़ी फ्लॉप साबित हुई. जितेंद्र के करियर का यह सबसे बड़ा झटका था. उनका दिल टूट गया. इसके बाद उन्होंने कोई फिल्म नहीं बनाई.