भूकंप के झटकों से दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत फिर हिल गया. लोगों के मुताबिक काफी देर तक उन्होंने झटके महसूस किए. टेक्टोनिक प्लेट्स में होने वाली हलचल के कारण धरती पर भूचाल आता है. आइए जानते हैं क्या हैं ये प्लेट्स और आपस में क्यों टकराते हैं.
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Tectonic Plates: बीती रात 3 नवंबर को दिनभर से थके हारे लोग गहरी नींद की आगोश में थे, तो कुछ सोने की तैयारी कर रहे थे. इसी दौरान 11:30 मिनट पर एक बार फिर दिल्ली के धरती हिल गई. लोगों ने जब भूकंप के तेज झटके महसूस किए, तो हड़कंप मच गया और आनन-फानन में लोग घरों से बाहर दौड़े. दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड समेत उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके करीब 20 सेकेंड तक महसूस किए गए.
रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. इस बार भी भूकंप का केंद्र नेपाल रहा. नेपाल में आए जबरदस्त भूकंप ने तबाही मचा दी है. भूकंप के कारण इमारत गिरने और करीब 70 लोगों की मौत की खबर है. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों बार-बार भूकंप आता है? टेक्टोनिक प्लेट्स के आपस में टकराने के चलते पृथ्वी हिल जाती है. क्या हैं टेक्टोनिक प्लेट्स और आपस में क्यों टकराते हैं? आइए जानते हैं यहां....
क्यों आता है भूकंप?
दरअसल, धरती के अंदर ऐसी 7 प्लेट्स मौजूद हैं, जो लगातार मूव करती रहती हैं. ऐसे में लगातार घूमते हुए ये प्लेट्स जहां सबसे ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से इन प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं और जब इन पर ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में पृथ्वी के नीचे मौजूद ऊर्जा बाहर आने का रास्ता तलाशती हैं और इसी डिस्टर्बेंस के बाद धरती पर भूचाल आता है.
किसे करते हैं टेक्टोनिक प्लेट्स?
भूवैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी का बाहरी आवरण बड़े-बड़े टुकड़ों से मिलकर बना होता है, जिसे टेक्टोनिक प्लेट कहा जाता है. ये प्लेट ठोस चट्टान का एक विशाल स्लैब होता है, जिन्हें लिथोस्फेरिक प्लेट भी कहते हैं, ये प्लेटें आपस में एक साथ फिट होती हैं, लेकिन ये एक जगह पर ही स्थिर नहीं होती हैं, बल्कि पृथ्वी के मैटल लेयर पर तैरती रहती हैं. मैटल पृथ्वी के क्रस्ट और कोर के बीच की लेयर होती है.
पृथ्वी के स्थलमंडल का अहम हिस्सा होती हैं टेक्टोनिक प्लेट. दरअसल, धरती की चार परत इनर, आउटर, क्रस्ट और मैटल कोर है. इनमें सबसे ऊपरी परत क्रस्ट, मैटल कोर के साथ मिलकर लीथोस्फेयर बनाती हैं. लीथोस्फेयर 7 टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनती है. ये प्लेट्स अलग-अलग दिशा में घूमती हैं और इनके आपस में टकराने से भूकंप आता है.
डरहम यूनिवर्सिटी के स्ट्रक्चरल जियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ बॉब होल्डवर्थ के मुताबिक अगर भूकंप 6.5-6.9 की तीव्रता से आए तो एक मीटर तक जमीन खिसक जाती है. इससे ज्यादा तीव्रता से भूकंप आने पर इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है.