Shyam Benegal Mandi Film: 900 से ज्यादा फिल्मों, डॉक्यूमेंट्री और फिल्मों का निर्देशन करने वाले श्याम बेनेगल अब इस दुनिया में नहीं रहे. ये अपने पीछे वो विरासत छोड़ गए हैं जिसे हिंदी सिनेमा जगत उनकी फिल्मों के जरिए हमेशा याद रखेगा. श्याम बेनेगेल बॉलीवुड के वो फिल्म मेकर हैं जिन्होंने हर जॉनर की फिल्म को बड़े पर्दे पर उतारा. फिर चाहे वो सामाजिक मुद्दे से जुड़ी फिल्म हो या फिर लोगों की उस सोच को दिखाना जिसे शायद किसी ने पर्दे पर पहले कभी उतारा नहीं था. आज हम आपको इनकी एक ऐसी ही फिल्म के बारे में बताएंगे जिसने 41 साल पहले बवाल मचा दिया था.
संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हीरामंडी' तो आपने देख ली. लेकिन श्याम बेनेगल ने 41 साल पहले पर्दे पर वो अनसुनी कहानी गढ़ी थी जिसे पर्दे पर उतारना तो दूर सोचना भी अपने आप में बड़ी बात मानी जाती थी. वो दौर था 80 के दशक का.
श्याम बेनेगल ने 1983 में ना केवल इस मुद्दे को स्क्रीन पर बखूबी उतारा बल्कि समाज के उस अनछुए पहलू से भी लोगों को अवगत कराया जिसके बारे में वो बात करने से भी कतराते थे. ये फिल्म थी 'मंडी'.
'मंडी' फिल्म गुलाम अब्बास की एक क्लासिक उर्दू शॉर्ट कहानी पर बेस्ड थी. इस फिल्म में वेश्यालय की कहानी को पर्दे पर उतारा गया है. फिल्म में लीड रोल में शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह जैसे कई सितारे थे.
इस फिल्म में दिखाया गया है कि शबाना आजमी हैदराबाद के एक कोठे की मालकिन है. जहां पर कई महिलाएं प्यार से रहती हैं. लेकिन रुक्मणी बाई को रोल निभा रही शबाना सबसे ज्यादा कोठे में रहने वाली तवायफ जीनत (स्मिता पाटिल) पर अपनी जान लुटाती है.
लेकिन एक बार मालकिन को खबर मिलती है कि कोई नया मकान मालिक आया है.जिसका नाम श्री गुप्ता है. इसके बाद ऐसी परिस्थितियां सामने आती हैं कि इस वेश्यालय को कहीं और शिफ्ट किया जाता है. इसके बाद फिल्म में ऐसे ट्विस्ट और टर्न आते हैं जो दिमाग को हिलाकर रख देंगे.
श्याम बेनेगल की ये मूवी 2 घंटे 47 मिनट की थी. जैसे ही ये रिलीज हुई तो इसने कई अवॉर्ड अपने नाम कर लिए. इस फिल्म ने अपने नाम 12 फिल्मफेयर अवॉर्ड किए. जो कि हिंदी सिनेमा की ऐसी इकलौती फिल्म है. इसके साथ ही इस फिल्म के लिए नितीश रॉय को सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन के लिए 1984 का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. साथ ही फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की थी और हिट रही.
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